1. {धर्मीजन की पीड़ा और आशीर्वाद} PS क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है!
विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा। |
2. यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा,
और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़। |
3. जब वह व्याधि के मारे शय्या पर पड़ा हो*,
तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा। |
6. और जब वह मुझसे मिलने को आता है,
तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है। |
7. मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरुद्ध कानाफूसी करते हैं;
वे मेरे विरुद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं। |
9. मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था,
जो मेरी रोटी खाता था, उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है। (2 शमू. 15:12, यूह. 13:18, प्रेरि. 1:16) |
13. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा
आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन। (लूका 1:68, भजन 106:48) PE |