1. जैसे हिरनी नदी के जल के लिये हाँफती है, [QBR] वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हाँफता हूँ। [QBR]
2. जीविते परमेश्वर, हाँ परमेश्वर, का मैं प्यासा हूँ, [QBR] मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुँह दिखाऊँगा? (भज. 63:1, प्रका. 22:4) [QBR]
3. मेरे आँसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; [QBR] और लोग दिन भर मुझसे कहते रहते हैं, [QBR] तेरा परमेश्वर कहाँ है? [QBR]
4. मैं कैसे भीड़ के संग जाया करता था, [QBR] मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ [QBR] उत्सव करनेवाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन* [QBR] को धीरे-धीरे जाया करता था; यह स्मरण करके मेरा प्राण शोकित हो जाता है। [QBR]
5. हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? [QBR] और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? [QBR] परमेश्वर पर आशा लगाए रह; [QBR] क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूँगा। (मत्ती 26:38, मर. 14:34, यूह. 12:27) [QBR]
6. हे मेरे परमेश्वर; मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, [QBR] इसलिए मैं यरदन के पास के देश से और हेर्मोन [QBR] के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर [QBR] से तुझे स्मरण करता हूँ। [QBR]
7. तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, [QBR] जल को पुकारता है*; तेरी सारी तरंगों [QBR] और लहरों में मैं डूब गया हूँ। [QBR]
8. तो भी दिन को यहोवा अपनी शक्ति [QBR] और करुणा प्रगट करेगा; [QBR] और रात को भी मैं उसका गीत गाऊँगा, [QBR] और अपने जीवनदाता परमेश्वर से प्रार्थना करूँगा। [QBR]
9. मैं परमेश्वर से जो मेरी चट्टान है कहूँगा, [QBR] “तू मुझे क्यों भूल गया? [QBR] मैं शत्रु के अत्याचार के मारे क्यों शोक का [QBR] पहरावा पहने हुए चलता-फिरता हूँ?” [QBR]
10. मेरे सतानेवाले जो मेरी निन्दा करते हैं, [QBR] मानो उससे मेरी हड्डियाँ चूर-चूर होती हैं, [QBR] मानो कटार से छिदी जाती हैं, [QBR] क्योंकि वे दिन भर मुझसे कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहाँ है? [QBR]
11. हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? [QBR] परमेश्वर पर भरोसा रख; [QBR] क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, [QBR] मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा। (भज. 43:5, मर. 14:34, यूह. 12:27) [PE]