1. {मार्गदर्शन की प्रार्थना} [PS] हे यहोवा, मेरे वचनों पर कान लगा; [QBR] मेरे कराहने की ओर ध्यान लगा। [QBR]
2. हे मेरे राजा, हे मेरे परमेश्वर, मेरी दुहाई पर ध्यान दे, [QBR] क्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूँ। [QBR]
3. हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, [QBR] मैं भोर को प्रार्थना करके तेरी बाट जोहूँगा। [QBR]
4. क्योंकि तू ऐसा परमेश्वर है, जो दुष्टता से प्रसन्न नहीं होता; [QBR] बुरे लोग तेरे साथ नहीं रह सकते। [QBR]
5. घमण्डी तेरे सम्मुख खड़े होने न पाएँगे; [QBR] तुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है। [QBR]
6. तू उनको जो झूठ बोलते हैं नाश करेगा; [QBR] यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है*। [QBR]
7. परन्तु मैं तो तेरी अपार करुणा के कारण तेरे भवन में आऊँगा, [QBR] मैं तेरा भय मानकर तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा। [QBR]
8. हे यहोवा, मेरे शत्रुओं के कारण अपने धर्म के मार्ग में मेरी अगुआई कर; [QBR] मेरे आगे-आगे अपने सीधे मार्ग को दिखा। [QBR]
9. क्योंकि उनके मुँह में कोई सच्चाई नहीं; [QBR] उनके मन में निरी दुष्टता है। [QBR] उनका गला खुली हुई कब्र है*, [QBR] वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं। (रोम. 3:13) [QBR]
10. हे परमेश्वर तू उनको दोषी ठहरा; [QBR] वे अपनी ही युक्तियों से आप ही गिर जाएँ; [QBR] उनको उनके अपराधों की अधिकाई के कारण निकाल बाहर कर, [QBR] क्योंकि उन्होंने तुझ से बलवा किया है। [QBR]
11. परन्तु जितने तुझ में शरण लेते हैं वे सब आनन्द करें, [QBR] वे सर्वदा ऊँचे स्वर से गाते रहें; क्योंकि तू उनकी रक्षा करता है, [QBR] और जो तेरे नाम के प्रेमी हैं तुझ में प्रफुल्लित हों। [QBR]
12. क्योंकि तू धर्मी को आशीष देगा; हे यहोवा, [QBR] तू उसको ढाल के समान अपनी कृपा से घेरे रहेगा। [PE]