1. {उत्पीड़कों से राहत के लिये प्रार्थना} [PS] हे परमेश्वर, मुझ पर दया कर, क्योंकि मनुष्य मुझे निगलना चाहते हैं; [QBR] वे दिन भर लड़कर मुझे सताते हैं। [QBR]
2. मेरे द्रोही दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं, [QBR] क्योंकि जो लोग अभिमान करके मुझसे लड़ते हैं वे बहुत हैं। [QBR]
3. जिस समय मुझे डर लगेगा, [QBR] मैं तुझ पर भरोसा रखूँगा। [QBR]
4. परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूँगा, [QBR] परमेश्वर पर मैंने भरोसा रखा है, मैं नहीं डरूँगा। [QBR] कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है? [QBR]
5. वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा-लगाकर मरोड़ते रहते हैं; [QBR] उनकी सारी कल्पनाएँ मेरी ही बुराई करने की होती है*। [QBR]
6. वे सब मिलकर इकट्ठे होते हैं और छिपकर बैठते हैं; [QBR] वे मेरे कदमों को देखते भालते हैं [QBR] मानो वे मेरे प्राणों की घात में ताक लगाए बैठे हों। [QBR]
7. क्या वे बुराई करके भी बच जाएँगे? [QBR] हे परमेश्वर, अपने क्रोध से देश-देश के लोगों को गिरा दे! [QBR]
8. तू मेरे मारे-मारे फिरने का हिसाब रखता है; [QBR] तू मेरे आँसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! [QBR] क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है*? [QBR]
9. तब जिस समय मैं पुकारूँगा, उसी समय मेरे शत्रु उलटे फिरेंगे। [QBR] यह मैं जानता हूँ, कि परमेश्वर मेरी ओर है। [QBR]
10. परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूँगा, [QBR] यहोवा की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूँगा। [QBR]
11. मैंने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूँगा। [QBR] मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? [QBR]
12. हे परमेश्वर, तेरी मन्नतों का भार मुझ पर बना है; [QBR] मैं तुझको धन्यवाद-बलि चढ़ाऊँगा। [QBR]
13. क्योंकि तूने मुझ को मृत्यु से बचाया है; [QBR] तूने मेरे पैरों को भी फिसलने से बचाया है, [QBR] ताकि मैं परमेश्वर के सामने जीवितों के उजियाले में चलूँ फिरूँ*। [PE]