पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
भजन संहिता
1. {#1अन्याय के खिलाफ प्रार्थना } [QS][PS]*प्रधान बजानेवाले के लिये अल-तशहेत राग में दाऊद का मिक्ताम *[PE][PBR]हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? [QE][QS]और हे मनुष्य वंशियों क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो? [QE]
2. [QS]नहीं, तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो; [QE][QS]तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो। [QE]
3. [QS]दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं, [QE][QS]वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं। [QE]
4. [QS]उनमें सर्प का सा विष है; [QE][QS]वे उस नाग के समान है, जो सुनना नहीं चाहता*; [QE]
5. [QS]और सपेरा कितनी ही निपुणता से क्यों न मंत्र पढ़े, [QE][QS]तो भी उसकी नहीं सुनता। [QE]
6. [QS]हे परमेश्‍वर, उनके मुँह में से दाँतों को तोड़ दे; [QE][QS]हे यहोवा, उन जवान सिंहों की दाढ़ों को उखाड़ डाल! [QE]
7. [QS]वे घुलकर बहते हुए पानी के समान हो जाएँ; [QE][QS]जब वे अपने तीर चढ़ाएँ, तब तीर मानो दो टुकड़े हो जाएँ। [QE]
8. [QS]वे घोंघे के समान हो जाएँ जो घुलकर नाश हो जाता है, [QE][QS]और स्त्री के गिरे हुए गर्भ के समान हो जिस ने सूरज को देखा ही नहीं। [QE]
9. [QS]इससे पहले कि तुम्हारी हाँड़ियों में काँटों की आँच लगे, [QE][QS]हरे व जले, दोनों को वह बवण्डर से उड़ा ले जाएगा। [QE]
10. [QS]परमेश्‍वर का ऐसा पलटा देखकर आनन्दित होगा; [QE][QS]वह अपने पाँव दुष्ट के लहू में धोएगा*। [QE]
11. [QS]तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है; [QE][QS]निश्चय परमेश्‍वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है। [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 58 / 150
अन्याय के खिलाफ प्रार्थना 1 प्रधान बजानेवाले के लिये अल-तशहेत राग में दाऊद का मिक्ताम हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? और हे मनुष्य वंशियों क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो? 2 नहीं, तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो; तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो। 3 दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं, वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं। 4 उनमें सर्प का सा विष है; वे उस नाग के समान है, जो सुनना नहीं चाहता*; 5 और सपेरा कितनी ही निपुणता से क्यों न मंत्र पढ़े, तो भी उसकी नहीं सुनता। 6 हे परमेश्‍वर, उनके मुँह में से दाँतों को तोड़ दे; हे यहोवा, उन जवान सिंहों की दाढ़ों को उखाड़ डाल! 7 वे घुलकर बहते हुए पानी के समान हो जाएँ; जब वे अपने तीर चढ़ाएँ, तब तीर मानो दो टुकड़े हो जाएँ। 8 वे घोंघे के समान हो जाएँ जो घुलकर नाश हो जाता है, और स्त्री के गिरे हुए गर्भ के समान हो जिस ने सूरज को देखा ही नहीं। 9 इससे पहले कि तुम्हारी हाँड़ियों में काँटों की आँच लगे, हरे व जले, दोनों को वह बवण्डर से उड़ा ले जाएगा। 10 परमेश्‍वर का ऐसा पलटा देखकर आनन्दित होगा; वह अपने पाँव दुष्ट के लहू में धोएगा*। 11 तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है; निश्चय परमेश्‍वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है।
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