पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {रक्षा के लिये प्रार्थना} [PS] हे परमेश्‍वर, मेरा चिल्लाना सुन, [QBR] मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दे। [QBR]
2. मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूँगा, [QBR] जो चट्टान मेरे लिये ऊँची है, उस पर मुझ को ले चल*; [QBR]
3. क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, [QBR] और शत्रु से बचने के लिये ऊँचा गढ़ है। [QBR]
4. मैं तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूँगा। [QBR] मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिए रहूँगा। (सेला) [QBR]
5. क्योंकि हे परमेश्‍वर, तूने मेरी मन्नतें सुनीं, [QBR] जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तूने मुझे दिया है। [QBR]
6. तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; [QBR] उसके वर्ष पीढ़ी-पीढ़ी के बराबर होंगे। [QBR]
7. वह परमेश्‍वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; [QBR] तू अपनी करुणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख। [QBR]
8. इस प्रकार मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा-गाकर [QBR] अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूँगा। [PE]

Notes

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भजन संहिता 61:169
रक्षा के लिये प्रार्थना 1 हे परमेश्‍वर, मेरा चिल्लाना सुन, मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दे। 2 मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूँगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊँची है, उस पर मुझ को ले चल*; 3 क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊँचा गढ़ है। 4 मैं तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूँगा। मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिए रहूँगा। (सेला) 5 क्योंकि हे परमेश्‍वर, तूने मेरी मन्नतें सुनीं, जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तूने मुझे दिया है। 6 तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी-पीढ़ी के बराबर होंगे। 7 वह परमेश्‍वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; तू अपनी करुणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख। 8 इस प्रकार मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा-गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूँगा।
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