1. {अनर्थकारियों से संरक्षण} PS हे परमेश्वर, जब मैं तेरी दुहाई दूँ, तब मेरी सुन;
शत्रु के उपजाए हुए भय के समय मेरे प्राण की रक्षा कर। |
5. वे बुरे काम करने को हियाव बाँधते हैं;
वे फंदे लगाने के विषय बातचीत करते हैं; और कहते हैं, “हमको कौन देखेगा?” |
6. वे कुटिलता की युक्ति निकालते हैं;
और कहते हैं, “हमने पक्की युक्ति खोजकर निकाली है।” क्योंकि मनुष्य के मन और हृदय के विचार गहरे है। |
8. वे अपने ही वचनों के कारण ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे;
जितने उन पर दृष्टि करेंगे वे सब अपने-अपने सिर हिलाएँगे |
9. तब सारे लोग डर जाएँगे;
और परमेश्वर के कामों का बखान करेंगे, और उसके कार्यक्रम को भली भाँति समझेंगे। |