पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्‍वर के लिये जयजयकार करो; [QBR]
2. उसके नाम की महिमा का भजन गाओ; [QBR] उसकी स्तुति करते हुए, उसकी महिमा करो। [QBR]
3. परमेश्‍वर से कहो, “तेरे काम कितने भयानक हैं*! [QBR] तेरी महासामर्थ्य के कारण तेरे शत्रु तेरी चापलूसी करेंगे। [QBR]
4. सारी पृथ्वी के लोग तुझे दण्डवत् करेंगे, [QBR] और तेरा भजन गाएँगे; [QBR] वे तेरे नाम का भजन गाएँगे।” (सेला) [QBR]
5. आओ परमेश्‍वर के कामों को देखो; [QBR] वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है। [QBR]
6. उसने समुद्र को सूखी भूमि कर डाला; [QBR] वे महानद में से पाँव-पाँव पार उतरे। [QBR] वहाँ हम उसके कारण आनन्दित हुए, [QBR]
7. जो अपने पराक्रम से सर्वदा प्रभुता करता है, [QBR] और अपनी आँखों से जाति-जाति को ताकता है। [QBR] विद्रोही अपने सिर न उठाए। (सेला) [QBR]
8. हे देश-देश के लोगों, हमारे परमेश्‍वर को धन्य कहो, [QBR] और उसकी स्तुति में राग उठाओ, [QBR]
9. जो हमको जीवित रखता है; [QBR] और हमारे पाँव को टलने नहीं देता। [QBR]
10. क्योंकि हे परमेश्‍वर तूने हमको जाँचा; [QBR] तूने हमें चाँदी के समान ताया था*। (1 पत. 1:7, यह. 48:10) [QBR]
11. तूने हमको जाल में फँसाया; [QBR] और हमारी कमर पर भारी बोझ बाँधा था; [QBR]
12. तूने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, [QBR] हम आग और जल से होकर गए; [QBR] परन्तु तूने हमको उबार के सुख से भर दिया है। [QBR]
13. मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊँगा [QBR] मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूँगा*, [QBR]
14. जो मैंने मुँह खोलकर मानीं, [QBR] और संकट के समय कही थीं। [QBR]
15. मैं तुझे मोटे पशुओं की होमबलि, [QBR] मेढ़ों की चर्बी की धूप समेत चढ़ाऊँगा; [QBR] मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊँगा। (सेला) [QBR]
16. हे परमेश्‍वर के सब डरवैयों, आकर सुनो, [QBR] मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिये क्या-क्या किया है। [QBR]
17. मैंने उसको पुकारा, [QBR] और उसी का गुणानुवाद मुझसे हुआ। [QBR]
18. यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, [QBR] तो प्रभु मेरी न सुनता। (यूह. 9:31, नीति. 15:29) [QBR]
19. परन्तु परमेश्‍वर ने तो सुना है; [QBR] उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है। [QBR]
20. धन्य है परमेश्‍वर, [QBR] जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, [QBR] और न मुझसे अपनी करुणा दूर कर दी है! [PE]

Notes

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Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 66 / 150
भजन संहिता 66:87
1 हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्‍वर के लिये जयजयकार करो; 2 उसके नाम की महिमा का भजन गाओ; उसकी स्तुति करते हुए, उसकी महिमा करो। 3 परमेश्‍वर से कहो, “तेरे काम कितने भयानक हैं*! तेरी महासामर्थ्य के कारण तेरे शत्रु तेरी चापलूसी करेंगे। 4 सारी पृथ्वी के लोग तुझे दण्डवत् करेंगे, और तेरा भजन गाएँगे; वे तेरे नाम का भजन गाएँगे।” (सेला) 5 आओ परमेश्‍वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है। 6 उसने समुद्र को सूखी भूमि कर डाला; वे महानद में से पाँव-पाँव पार उतरे। वहाँ हम उसके कारण आनन्दित हुए, 7 जो अपने पराक्रम से सर्वदा प्रभुता करता है, और अपनी आँखों से जाति-जाति को ताकता है। विद्रोही अपने सिर न उठाए। (सेला) 8 हे देश-देश के लोगों, हमारे परमेश्‍वर को धन्य कहो, और उसकी स्तुति में राग उठाओ, 9 जो हमको जीवित रखता है; और हमारे पाँव को टलने नहीं देता। 10 क्योंकि हे परमेश्‍वर तूने हमको जाँचा; तूने हमें चाँदी के समान ताया था*। (1 पत. 1:7, यह. 48:10) 11 तूने हमको जाल में फँसाया; और हमारी कमर पर भारी बोझ बाँधा था; 12 तूने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से होकर गए; परन्तु तूने हमको उबार के सुख से भर दिया है। 13 मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊँगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूँगा*, 14 जो मैंने मुँह खोलकर मानीं, और संकट के समय कही थीं। 15 मैं तुझे मोटे पशुओं की होमबलि, मेढ़ों की चर्बी की धूप समेत चढ़ाऊँगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊँगा। (सेला) 16 हे परमेश्‍वर के सब डरवैयों, आकर सुनो, मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिये क्या-क्या किया है। 17 मैंने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझसे हुआ। 18 यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता। (यूह. 9:31, नीति. 15:29) 19 परन्तु परमेश्‍वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है। 20 धन्य है परमेश्‍वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझसे अपनी करुणा दूर कर दी है!
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