1. {इस्राएल का विजयगान} [PS] परमेश्वर उठे, उसके शत्रु तितर-बितर हों; [QBR] और उसके बैरी उसके सामने से भाग जाएँ! [QBR]
2. जैसे धुआँ उड़ जाता है, वैसे ही तू उनको उड़ा दे; [QBR] जैसे मोम आग की आँच से पिघल जाता है, [QBR] वैसे ही दुष्ट लोग परमेश्वर की उपस्थिति से नाश हों। [QBR]
3. परन्तु धर्मी आनन्दित हों; वे परमेश्वर के सामने प्रफुल्लित हों; [QBR] वे आनन्द में मगन हों! [QBR]
4. परमेश्वर का गीत गाओ, उसके नाम का भजन गाओ; [QBR] जो निर्जल देशों में सवार होकर चलता है, [QBR] उसके लिये सड़क बनाओ; [QBR] उसका नाम यहोवा है, इसलिए तुम उसके सामने प्रफुल्लित हो! [QBR]
5. परमेश्वर अपने पवित्र धाम में, [QBR] अनाथों का पिता और विधवाओं का न्यायी है*। [QBR]
6. परमेश्वर अनाथों का घर बसाता है; [QBR] और बन्दियों को छुड़ाकर सम्पन्न करता है; [QBR] परन्तु विद्रोहियों को सूखी भूमि पर रहना पड़ता है। [QBR]
7. हे परमेश्वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे-आगे चलता था, [QBR] जब तू निर्जल भूमि में सेना समेत चला, (सेला) [QBR]
8. तब पृथ्वी काँप उठी, [QBR] और आकाश भी परमेश्वर के सामने टपकने लगा, [QBR] उधर सीनै पर्वत परमेश्वर, हाँ इस्राएल के परमेश्वर के सामने काँप उठा। (इब्रा. 12:26, न्या 5:4-5) [QBR]
9. हे परमेश्वर, तूने बहुतायत की वर्षा की; [QBR] तेरा निज भाग तो बहुत सूखा था, परन्तु तूने उसको हरा-भरा किया है; [QBR]
10. तेरा झुण्ड उसमें बसने लगा; [QBR] हे परमेश्वर तूने अपनी भलाई से दीन जन के लिये तैयारी की है। [QBR]
11. प्रभु आज्ञा देता है, [QBR] तब शुभ समाचार सुनानेवालियों की बड़ी सेना हो जाती है। [QBR]
12. अपनी-अपनी सेना समेत राजा भागे चले जाते हैं, [QBR] और गृहस्थिन लूट को बाँट लेती है। [QBR]
13. क्या तुम भेड़शालों के बीच लेट जाओगे? [QBR] और ऐसी कबूतरी के समान होंगे जिसके पंख चाँदी से [QBR] और जिसके पर पीले सोने से मढ़े हुए हों? [QBR]
14. जब सर्वशक्तिमान ने उसमें राजाओं को तितर-बितर किया, [QBR] तब मानो सल्मोन पर्वत पर हिम पड़ा। [QBR]
15. बाशान का पहाड़ परमेश्वर का पहाड़ है; [QBR] बाशान का पहाड़ बहुत शिखरवाला पहाड़ है। [QBR]
16. परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो, [QBR] जिसे परमेश्वर ने अपने वास के लिये चाहा है, [QBR] और जहाँ यहोवा सदा वास किए रहेगा? [QBR]
17. परमेश्वर के रथ बीस हजार, वरन् हजारों हजार हैं; [QBR] प्रभु उनके बीच में है, [QBR] जैसे वह सीनै पवित्रस्थान में है। [QBR]
18. तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बँधुवाई में ले गया; [QBR] तूने मनुष्यों से, वरन् हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, [QBR] जिससे यहोवा परमेश्वर उनमें वास करे। (इफि. 4:8) [QBR]
19. धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है; [QBR] वही हमारा उद्धारकर्ता परमेश्वर है। (सेला) [QBR]
20. वही हमारे लिये बचानेवाला परमेश्वर ठहरा; [QBR] यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है*। [QBR]
21. निश्चय परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर पर, [QBR] और जो अधर्म के मार्ग पर चलता रहता है, [QBR] उसका बाल भरी खोपड़ी पर मार-मार के उसे चूर करेगा। [QBR]
22. प्रभु ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊँगा, [QBR] मैं उनको गहरे सागर के तल से भी फेर ले आऊँगा, [QBR]
23. कि तू अपने पाँव को लहू में डुबोए, [QBR] और तेरे शत्रु तेरे कुत्तों का भाग ठहरें।” [QBR]
24. हे परमेश्वर तेरी शोभा-यात्राएँ देखी गई, [QBR] मेरे परमेश्वर और राजा की शोभा यात्रा पवित्र स्थान में जाते हुए देखी गई। [QBR]
25. गानेवाले आगे-आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे-पीछे गए, [QBR] चारों ओर कुमारियाँ डफ बजाती थीं। [QBR]
26. सभाओं में परमेश्वर का, [QBR] हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों, [QBR] प्रभु का धन्यवाद करो। [QBR]
27. पहला बिन्यामीन जो सब से छोटा गोत्र है, [QBR] फिर यहूदा के हाकिम और उनकी सभा [QBR] और जबूलून और नप्ताली के हाकिम हैं। [QBR]
28. तेरे परमेश्वर ने तेरी सामर्थ्य को बनाया है, [QBR] हे परमेश्वर, अपनी सामर्थ्य को हम पर प्रकट कर, जैसा तूने पहले प्रकट किया है। [QBR]
29. तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं, [QBR] राजा तेरे लिये भेंट ले आएँगे। [QBR]
30. नरकटों में रहनेवाले जंगली पशुओं को, [QBR] सांडों के झुण्ड को और देश-देश के बछड़ों को झिड़क दे। [QBR] वे चाँदी के टुकड़े लिये हुए प्रणाम करेंगे; [QBR] जो लोगे युद्ध से प्रसन्न रहते हैं, उनको उसने तितर-बितर किया है। [QBR]
31. मिस्र से अधिकारी आएँगे; [QBR] कूशी अपने हाथों को परमेश्वर की ओर फुर्ती से फैलाएँगे। [QBR]
32. हे पृथ्वी पर के राज्य-राज्य के लोगों परमेश्वर का गीत गाओ; [QBR] प्रभु का भजन गाओ, (सेला) [QBR]
33. जो सबसे ऊँचे सनातन स्वर्ग में सवार होकर चलता है; [QBR] देखो वह अपनी वाणी सुनाता है, वह गम्भीर वाणी शक्तिशाली है। [QBR]
34. परमेश्वर की सामर्थ्य की स्तुति करो*, [QBR] उसका प्रताप इस्राएल पर छाया हुआ है, [QBR] और उसकी सामर्थ्य आकाशमण्डल में है। [QBR]
35. हे परमेश्वर, तू अपने पवित्रस्थानों में भययोग्य है, [QBR] इस्राएल का परमेश्वर ही अपनी प्रजा को सामर्थ्य और शक्ति का देनेवाला है। [QBR] परमेश्वर धन्य है। [PE]