पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {#1मसीह के शासनकाल की महिमा और सार्वभौमिकता } [QS][PS]*सुलैमान का गीत *[PE][PBR]हे परमेश्‍वर, राजा को अपना नियम बता, [QE][QS]राजपुत्र को अपना धर्म सिखला! [QE]
2. [QS]वह तेरी प्रजा का न्याय धर्म से, [QE][QS]और तेरे दीन लोगों का न्याय ठीक-ठीक चुकाएगा। (मत्ती25:31-34, प्रेरि. 17:31, रोम. 14:10, 2 कुरि. 5:10) [QE]
3. [QS]पहाड़ों और पहाड़ियों से प्रजा के लिये, [QE][QS]धर्म के द्वारा शान्ति मिला करेगी [QE]
4. [QS]वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; [QE][QS]और अत्याचार करनेवालों को चूर करेगा*। (यह. 11:4) [QE]
5. [QS]जब तक सूर्य और चन्द्रमा बने रहेंगे [QE][QS]तब तक लोग पीढ़ी-पीढ़ी तेरा भय मानते रहेंगे। [QE]
6. [QS]वह घास की खूँटी पर बरसने वाले मेंह, [QE][QS]और भूमि सींचने वाली झड़ियों के समान होगा। [QE]
7. [QS]उसके दिनों में धर्मी फूले फलेंगे, [QE][QS]और जब तक चन्द्रमा बना रहेगा, तब तक शान्ति बहुत रहेगी। [QE]
8. [QS]वह समुद्र से समुद्र तक [QE][QS]और महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा। [QE]
9. [QS]उसके सामने जंगल के रहनेवाले घुटने टेकेंगे, [QE][QS]और उसके शत्रु मिट्टी चाटेंगे। [QE]
10. [QS]तर्शीश और द्वीप-द्वीप के राजा भेंट ले आएँगे, [QE][QS]शेबा और सबा दोनों के राजा उपहार पहुँचाएगे। [QE]
11. [QS]सब राजा उसको दण्डवत् करेंगे, [QE][QS]जाति-जाति के लोग उसके अधीन हो जाएँगे। (प्रका. 21:26, मत्ती 2:11) [QE]
12. [QS]क्योंकि वह दुहाई देनेवाले दरिद्र का, [QE][QS]और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। [QE]
13. [QS]वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, [QE][QS]और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। [QE]
14. [QS]वह उनके प्राणों को अत्याचार और उपद्रव से छुड़ा लेगा; [QE][QS]और उनका लहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा*। (तीतु. 2:14) [QE]
15. [QS]वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। [QE][QS]लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; [QE][QS]और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे। [QE]
16. [QS]देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा; [QE][QS]जिसकी बालें लबानोन के देवदारों के समान झूमेंगी; [QE][QS]और नगर के लोग घास के समान लहलहाएँगे। [QE]
17. [QS]उसका नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; [QE][QS]जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, [QE][QS]और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, [QE][QS]सारी जातियाँ उसको धन्य कहेंगी। [QE]
18. [QS]धन्य है यहोवा परमेश्‍वर, जो इस्राएल का परमेश्‍वर है; [QE][QS]आश्चर्यकर्म केवल वही करता है। (भजन 136:4) [QE]
19. [QS]उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; [QE][QS]और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। [QE][QS]आमीन फिर आमीन। [QE]
20. [QS]यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थना समाप्त हुई। [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 72 / 150
मसीह के शासनकाल की महिमा और सार्वभौमिकता 1 सुलैमान का गीत हे परमेश्‍वर, राजा को अपना नियम बता, राजपुत्र को अपना धर्म सिखला! 2 वह तेरी प्रजा का न्याय धर्म से, और तेरे दीन लोगों का न्याय ठीक-ठीक चुकाएगा। (मत्ती25:31-34, प्रेरि. 17:31, रोम. 14:10, 2 कुरि. 5:10) 3 पहाड़ों और पहाड़ियों से प्रजा के लिये, धर्म के द्वारा शान्ति मिला करेगी 4 वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अत्याचार करनेवालों को चूर करेगा*। (यह. 11:4) 5 जब तक सूर्य और चन्द्रमा बने रहेंगे तब तक लोग पीढ़ी-पीढ़ी तेरा भय मानते रहेंगे। 6 वह घास की खूँटी पर बरसने वाले मेंह, और भूमि सींचने वाली झड़ियों के समान होगा। 7 उसके दिनों में धर्मी फूले फलेंगे, और जब तक चन्द्रमा बना रहेगा, तब तक शान्ति बहुत रहेगी। 8 वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा। 9 उसके सामने जंगल के रहनेवाले घुटने टेकेंगे, और उसके शत्रु मिट्टी चाटेंगे। 10 तर्शीश और द्वीप-द्वीप के राजा भेंट ले आएँगे, शेबा और सबा दोनों के राजा उपहार पहुँचाएगे। 11 सब राजा उसको दण्डवत् करेंगे, जाति-जाति के लोग उसके अधीन हो जाएँगे। (प्रका. 21:26, मत्ती 2:11) 12 क्योंकि वह दुहाई देनेवाले दरिद्र का, और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। 13 वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। 14 वह उनके प्राणों को अत्याचार और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा*। (तीतु. 2:14) 15 वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे। 16 देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा; जिसकी बालें लबानोन के देवदारों के समान झूमेंगी; और नगर के लोग घास के समान लहलहाएँगे। 17 उसका नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, सारी जातियाँ उसको धन्य कहेंगी। 18 धन्य है यहोवा परमेश्‍वर, जो इस्राएल का परमेश्‍वर है; आश्चर्यकर्म केवल वही करता है। (भजन 136:4) 19 उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन। 20 यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थना समाप्त हुई।
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