1. {परमेश्वर के भवन की चाहत } [QS][PS]*प्रधान बजानेवाले के लिये गित्तीथ में कोरहवंशियों का भजन *[PE][PBR]हे सेनाओं के यहोवा, तेरे निवास क्या ही प्रिय हैं! [QE]
2. [QS]मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते मूर्छित हो चला; [QE][QS]मेरा तन मन दोनों* जीविते परमेश्वर को पुकार रहे। [QE]
3. [QS]हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमेश्वर, तेरी वेदियों में गौरैया ने अपना बसेरा [QE][QS]और शूपाबेनी ने घोंसला बना लिया है जिसमें वह अपने बच्चे रखे। [QE]
4. [QS]क्या ही धन्य हैं वे, जो तेरे भवन में रहते हैं; [QE][QS]वे तेरी स्तुति निरन्तर करते रहेंगे। (सेला) [QE]
5. [QS]क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ से शक्ति पाता है, [QE][QS]और वे जिनको सिय्योन की सड़क की सुधि रहती है। [QE]
6. [QS]वे रोने की तराई में जाते हुए उसको सोतों का स्थान बनाते हैं; [QE][QS]फिर बरसात की अगली वृष्टि उसमें आशीष ही आशीष उपजाती है। [QE]
7. [QS]वे बल पर बल पाते जाते हैं*; [QE][QS]उनमें से हर एक जन सिय्योन में परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएगा। [QE]
8. [QS]हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, [QE][QS]हे याकूब के परमेश्वर, कान लगा! (सेला) [QE]
9. [QS]हे परमेश्वर, हे हमारी ढाल, दृष्टि कर; [QE][QS]और अपने अभिषिक्त का मुख देख! [QE]
10. [QS]क्योंकि तेरे आँगनों में एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है। [QE][QS]दुष्टों के डेरों में वास करने से [QE][QS]अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भावता है। [QE]
11. [QS]क्योंकि यहोवा परमेश्वर सूर्य और ढाल है; [QE][QS]यहोवा अनुग्रह करेगा, और महिमा देगा; [QE][QS]और जो लोग खरी चाल चलते हैं; [QE][QS]उनसे वह कोई अच्छी वस्तु रख न छोड़ेगा*। [QE]
12. [QS]हे सेनाओं के यहोवा, [QE][QS]क्या ही धन्य वह मनुष्य है, जो तुझ पर भरोसा रखता है! [QE]