1. हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, [QBR] मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूँ। [QBR]
2. मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुँचे, [QBR] मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा! [QBR]
3. क्योंकि मेरा प्राण क्लेश से भरा हुआ है, [QBR] और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुँचा है। [QBR]
4. मैं कब्र में पड़नेवालों में गिना गया हूँ; [QBR] मैं बलहीन पुरुष के समान हो गया हूँ। [QBR]
5. मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूँ, [QBR] और जो घात होकर कब्र में पड़े हैं, [QBR] जिनको तू फिर स्मरण नहीं करता [QBR] और वे तेरी सहायता रहित हैं, [QBR] उनके समान मैं हो गया हूँ। [QBR]
6. तूने मुझे गड्ढे के तल ही में, [QBR] अंधेरे और गहरे स्थान में रखा है। [QBR]
7. तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है*, [QBR] और तूने अपने सब तरंगों से मुझे दुःख दिया है। (सेला) [QBR]
8. तूने मेरे पहचानवालों को मुझसे दूर किया है; [QBR] और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। [QBR] मैं बन्दी हूँ और निकल नहीं सकता; (अय्यू. 19:13, भजन 31:11, लूका 23:49) [QBR]
9. दुःख भोगते-भोगते मेरी आँखें धुँधला गई। [QBR] हे यहोवा, मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूँ। [QBR]
10. क्या तू मुर्दों के लिये अद्भुत काम करेगा? [QBR] क्या मरे लोग उठकर तेरा धन्यवाद करेंगे? (सेला) [QBR]
11. क्या कब्र में तेरी करुणा का, [QBR] और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा? [QBR]
12. क्या तेरे अद्भुत काम अंधकार में, [QBR] या तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा? [QBR]
13. परन्तु हे यहोवा, मैंने तेरी दुहाई दी है; [QBR] और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुँचेगी। [QBR]
14. हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? [QBR] तू अपना मुख मुझसे क्यों छिपाता रहता है? [QBR]
15. मैं बचपन ही से दुःखी वरन् अधमुआ हूँ, [QBR] तुझसे भय खाते* मैं अति व्याकुल हो गया हूँ। [QBR]
16. तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; [QBR] उस भय से मैं मिट गया हूँ। [QBR]
17. वह दिन भर जल के समान मुझे घेरे रहता है; [QBR] वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है। [QBR]
18. तूने मित्र और भाईबन्धु दोनों को मुझसे दूर किया है; [QBR] और मेरे जान-पहचानवालों को अंधकार में डाल दिया है। [PE]