1. {#1राष्ट्रीय विपत्ति के समय स्तुतिगान } [QS][PS]*एतान एज्रावंशी का मश्कील *[PE][PBR]मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय सदा गाता रहूँगा; [QE][QS]मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बताता रहूँगा। [QE]
2. [QS]क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा बनी रहेगी, [QE][QS]तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।” [QE]
3. [QS]तूने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है, [QE][QS]मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है, [QE]
4. [QS]'मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा*; [QE][QS]और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी-पीढ़ी तक बनाए रखूँगा'।” (सेला) (यूह. 7:42, 2 शमू. 7:11-16) [QE]
5. [QS]हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की, [QE][QS]और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी। [QE]
6. [QS]क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? [QE][QS]बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी? [QE]
7. [QS]परमेश्वर पवित्र लोगों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य, [QE][QS]और अपने चारों ओर सब रहनेवालों से अधिक भययोग्य है। (2 थिस्सलु. 1:10, भजन 76:7,11) [QE]
8. [QS]हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, [QE][QS]हे यहोवा, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है? [QE][QS]तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है! [QE]
9. [QS]समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है; [QE][QS]जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है। [QE]
10. [QS]तूने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला, [QE][QS]और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर-बितर किया है। (लूका 1:51, यह 51:9) [QE]
11. [QS]आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; [QE][QS]जगत और जो कुछ उसमें है, उसे तू ही ने स्थिर किया है। (1 कुरि. 10:26, भजन 24:1-2) [QE]
12. [QS]उत्तर और दक्षिण को तू ही ने सिरजा; [QE][QS]ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं। [QE]
13. [QS]तेरी भुजा बलवन्त है; [QE][QS]तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है। [QE]
14. [QS]तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; [QE][QS]करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है। [QE]
15. [QS]क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है; [QE][QS]हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं, [QE]
16. [QS]वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, [QE][QS]और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं। [QE]
17. [QS]क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, [QE][QS]और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊँचा करेगा। [QE]
18. [QS]क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है, [QE][QS]हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है। [QE]
19. [QS]एक समय तूने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की; [QE][QS]और कहा, “मैंने सहायता करने का भार एक वीर पर रखा है, [QE][QS]और प्रजा में से एक को चुनकर बढ़ाया है। [QE]
20. [QS]मैंने अपने दास दाऊद को लेकर, [QE][QS]अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है। (प्रेरि. 13:22) [QE]
21. [QS]मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा, [QE][QS]और मेरी भुजा उसे दृढ़ रखेगी। [QE]
22. [QS]शत्रु उसको तंग करने न पाएगा, [QE][QS]और न कुटिल जन उसको दुःख देने पाएगा। [QE]
23. [QS]मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा, [QE][QS]और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूँगा। [QE]
24. [QS]परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी, [QE][QS]और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा हो जाएगा। [QE]
25. [QS]मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे [QE][QS]और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा। [QE]
26. [QS]वह मुझे पुकारकर कहेगा, 'तू मेरा पिता है, [QE][QS]मेरा परमेश्वर और मेरे उद्धार की चट्टान है।' (1 पत. 1:17, प्रका. 21:7) [QE]
27. [QS]फिर मैं उसको अपना पहलौठा, [QE][QS]और पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान ठहराऊँगा। (प्रका. 1:5, प्रका. 17:18) [QE]
28. [QS]मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा*, [QE][QS]और मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी। [QE]
29. [QS]मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा, [QE][QS]और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी। [QE]
30. [QS]यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें [QE][QS]और मेरे नियमों के अनुसार न चलें, [QE]
31. [QS]यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, [QE][QS]और मेरी आज्ञाओं को न मानें, [QE]
32. [QS]तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से, [QE][QS]और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूँगा। [QE]
33. [QS]परन्तु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा, [QE][QS]और न सच्चाई त्याग कर झूठा ठहरूँगा। [QE]
34. [QS]मैं अपनी वाचा न तोड़ूँगा, [QE][QS]और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा। [QE]
35. [QS]एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ; [QE][QS]मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा*। [QE]
36. [QS]उसका वंश सर्वदा रहेगा, [QE][QS]और उसकी राजगद्दी सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी। (लूका 1:32-33) [QE]
37. [QS]वह चन्द्रमा के समान, [QE][QS]और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” (सेला) [QE]
38. [QS]तो भी तूने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया, [QE][QS]और उस पर अति क्रोध किया है। [QE]
39. [QS]तूने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया, [QE][QS]और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है। [QE]
40. [QS]तूने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है, [QE][QS]और उसके गढ़ों को उजाड़ दिया है। [QE]
41. [QS]सब बटोही उसको लूट लेते हैं, [QE][QS]और उसके पड़ोसियों से उसकी नामधराई होती है। [QE]
42. [QS]तूने उसके विरोधियों को प्रबल किया; [QE][QS]और उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है। [QE]
43. [QS]फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है, [QE][QS]और युद्ध में उसके पाँव जमने नहीं देता। [QE]
44. [QS]तूने उसका तेज हर लिया है, [QE][QS]और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है। [QE]
45. [QS]तूने उसकी जवानी को घटाया, [QE][QS]और उसको लज्जा से ढाँप दिया है। (सेला) [QE]
46. [QS]हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा, [QE][QS]तेरी जलजलाहट कब तक आग के समान भड़की रहेगी। [QE]
47. [QS]मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ, [QE][QS]तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है? [QE]
48. [QS]कौन पुरुष सदा अमर रहेगा? [QE][QS]क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? (सेला) [QE]
49. [QS]हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही*, [QE][QS]जिसके विषय में तूने अपनी सच्चाई की शपथ दाऊद से खाई थी? [QE]
50. [QS]हे प्रभु, अपने दासों की नामधराई की सुधि ले; [QE][QS]मैं तो सब सामर्थी जातियों का बोझ लिए रहता हूँ। [QE]
51. [QS]तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा, [QE][QS]तेरे अभिषिक्त के पीछे पड़कर उसकी नामधराई की है। [QE]
52. [QS]यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा! [QE][QS]आमीन फिर आमीन। [QE]