1. {विजय के लिये धन्यवाद} PS हे यहोवा परमेश्वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा;
मैं तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करूँगा। |
4. तूने मेरे मुकद्दमें का न्याय मेरे पक्ष में किया है*;
तूने सिंहासन पर विराजमान होकर धर्म से न्याय किया। |
6. शत्रु अनन्तकाल के लिये उजड़ गए हैं;
उनके नगरों को तूने ढा दिया, और उनका नाम और निशान भी मिट गया है। |
8. और वह जगत का न्याय धर्म से करेगा,
वह देश-देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा। (भज. 96:13, प्रेरि. 17:31) |
10. और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे,
क्योंकि हे यहोवा तूने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया। |
11. यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ!
जाति-जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो! |
13. हे यहोवा, मुझ पर दया कर। देख, मेरे बैरी मुझ पर अत्याचार कर रहे है,
तू ही मुझे मृत्यु के फाटकों से बचा सकता है; |
14. ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूँ,
और तेरे किए हुए उद्धार से मगन होऊँ। |
15. अन्य जातिवालों ने जो गड्ढा खोदा था, उसी में वे आप गिर पड़े;
जो जाल उन्होंने लगाया था, उसमें उन्हीं का पाँव फंस गया। |
16. यहोवा ने अपने को प्रगट किया, उसने न्याय किया है;
दुष्ट अपने किए हुए कामों में फंस जाता है। (हिग्गायोन*, सेला) |
18. क्योंकि दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे,
और न तो नम्र लोगों की आशा सर्वदा के लिये नाश होगी। |