1. {विजय के लिये धन्यवाद} [PS] हे यहोवा परमेश्वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; [QBR] मैं तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करूँगा। [QBR]
2. मैं तेरे कारण आनन्दित और प्रफुल्लित होऊँगा, [QBR] हे परमप्रधान, मैं तेरे नाम का भजन गाऊँगा। [QBR]
3. मेरे शत्रु पराजित होकर पीछे हटते हैं, [QBR] वे तेरे सामने से ठोकर खाकर नाश होते हैं। [QBR]
4. तूने मेरे मुकद्दमें का न्याय मेरे पक्ष में किया है*; [QBR] तूने सिंहासन पर विराजमान होकर धर्म से न्याय किया। [QBR]
5. तूने जाति-जाति को झिड़का और दुष्ट को नाश किया है; [QBR] तूने उनका नाम अनन्तकाल के लिये मिटा दिया है। [QBR]
6. शत्रु अनन्तकाल के लिये उजड़ गए हैं; [QBR] उनके नगरों को तूने ढा दिया, [QBR] और उनका नाम और निशान भी मिट गया है। [QBR]
7. परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है*, [QBR] उसने अपना सिंहासन न्याय के लिये सिद्ध किया है; [QBR]
8. और वह जगत का न्याय धर्म से करेगा, [QBR] वह देश-देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा। (भज. 96:13, प्रेरि. 17:31) [QBR]
9. यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊँचा गढ़ ठहरेगा, [QBR] वह संकट के समय के लिये भी ऊँचा गढ़ ठहरेगा। [QBR]
10. और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, [QBR] क्योंकि हे यहोवा तूने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया। [QBR]
11. यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ! [QBR] जाति-जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो! [QBR]
12. क्योंकि खून का पलटा लेनेवाला उनको स्मरण करता है; [QBR] वह पिसे हुओं की दुहाई को नहीं भूलता। [QBR]
13. हे यहोवा, मुझ पर दया कर। देख, मेरे बैरी मुझ पर अत्याचार कर रहे है, [QBR] तू ही मुझे मृत्यु के फाटकों से बचा सकता है; [QBR]
14. ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूँ, [QBR] और तेरे किए हुए उद्धार से मगन होऊँ। [QBR]
15. अन्य जातिवालों ने जो गड्ढा खोदा था, उसी में वे आप गिर पड़े; [QBR] जो जाल उन्होंने लगाया था, उसमें उन्हीं का पाँव फंस गया। [QBR]
16. यहोवा ने अपने को प्रगट किया, उसने न्याय किया है; [QBR] दुष्ट अपने किए हुए कामों में फंस जाता है। (हिग्गायोन*, सेला) [QBR]
17. दुष्ट अधोलोक में लौट जाएँगे, [QBR] तथा वे सब जातियाँ भी जो परमेश्वर को भूल जाती है। [QBR]
18. क्योंकि दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे, [QBR] और न तो नम्र लोगों की आशा सर्वदा के लिये नाश होगी। [QBR]
19. हे यहोवा, उठ, मनुष्य प्रबल न होने पाए! [QBR] जातियों का न्याय तेरे सम्मुख किया जाए। [QBR]
20. हे यहोवा, उनको भय दिला! [QBR] जातियाँ अपने को मनुष्यमात्र ही जानें। (सेला) [PE]