1. {स्तुति का गीत भजन} [PS] यहोवा का धन्यवाद करना भला है, [QBR] हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; [QBR]
2. प्रातःकाल को तेरी करुणा, [QBR] और प्रति रात तेरी सच्चाई* का प्रचार करना, [QBR]
3. दस तारवाले बाजे और सारंगी पर, [QBR] और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है। [QBR]
4. क्योंकि, हे यहोवा, तूने मुझ को अपने कामों से आनन्दित किया है; [QBR] और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूँगा। [QBR]
5. हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े है! [QBR] तेरी कल्पनाएँ बहुत गम्भीर है; (प्रका. 15:3, रोमी 11:33,34) [QBR]
6. पशु समान मनुष्य इसको नहीं समझता, [QBR] और मूर्ख इसका विचार नहीं करता: [QBR]
7. कि दुष्ट जो घास के समान फूलते-फलते हैं, [QBR] और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, [QBR] यह इसलिए होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएँ, [QBR]
8. परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा। [QBR]
9. क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हाँ तेरे शत्रु नाश होंगे; [QBR] सब अनर्थकारी तितर-बितर होंगे। [QBR]
10. परन्तु मेरा सींग तूने जंगली सांड के समान ऊँचा किया है; [QBR] तूने ताजे तेल से मेरा अभिषेक किया है। [QBR]
11. मैं अपने शत्रुओं पर दृष्टि करके, [QBR] और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूँ। [QBR]
12. धर्मी लोग खजूर के समान फूले फलेंगे*, [QBR] और लबानोन के देवदार के समान बढ़ते रहेंगे। [QBR]
13. वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, [QBR] हमारे परमेश्वर के आँगनों में फूले फलेंगे। [QBR]
14. वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, [QBR] और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, [QBR]
15. जिससे यह प्रगट हो, कि यहोवा सच्चा है; [QBR] वह मेरी चट्टान है, और उसमें कुटिलता कुछ भी नहीं। [PE]