पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
प्रकाशित वाक्य
1. {#1स्त्री और लाल रंग का पशु } [PS]जिन सात स्वर्गदूतों के पास वे सात कटोरे थे, उनमें से एक ने आकर मुझसे यह कहा, “इधर आ, मैं तुझे उस बड़ी वेश्या का दण्ड दिखाऊँ, जो बहुत से पानी पर बैठी है।
2. जिसके साथ पृथ्वी के राजाओं ने व्यभिचार किया, और पृथ्वी के रहनेवाले उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाले हो गए थे।”
3. तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा।
4. यह स्त्री बैंगनी, और लाल रंग के कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमूल्य मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था।
5. और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, “भेद बड़ा बाबेल पृथ्वी की वेश्याओं और घृणित वस्तुओं की माता।” (प्रका. 19:2)
6. और मैंने उस स्त्री को पवित्र लोगों के लहू और यीशु के गवाहों के लहू पीने से मतवाली देखा; और उसे देखकर मैं चकित हो गया। [PE]
7. {#1स्त्री और पशु का अर्थ } [PS]उस स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “तू क्यों चकित हुआ? मैं इस स्त्री, और उस पशु का, जिस पर वह सवार है, और जिसके सात सिर और दस सींग हैं, तुझे भेद बताता हूँ।
8. जो पशु तूने देखा है, यह पहले तो था, पर अब नहीं है, और अथाह कुण्ड से निकलकर विनाश में पड़ेगा, और पृथ्वी के रहनेवाले जिनके नाम जगत की उत्पत्ति के समय से जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, इस पशु की यह दशा देखकर कि पहले था, और अब नहीं; और फिर आ जाएगा, अचम्भा करेंगे। (प्रका. 17:11)
9. यह समझने के लिए एक ज्ञानी मन आवश्यक है: वे सातों सिर सात पहाड़* हैं, जिन पर वह स्त्री बैठी है।
10. और वे सात राजा भी हैं, पाँच तो हो चुके हैं, और एक अभी है; और एक अब तक आया नहीं, और जब आएगा तो कुछ समय तक उसका रहना भी अवश्य है।
11. जो पशु पहले था, और अब नहीं*, वह आप आठवाँ है; और उन सातों में से एक है, और वह विनाश में पड़ेगा।
12. जो दस सींग तूने देखे वे दस राजा हैं; जिन्होंने अब तक राज्य नहीं पाया; पर उस पशु के साथ घड़ी भर के लिये राजाओं के समान अधिकार पाएँगे। (दानि. 7:24)
13. ये सब एक मन होंगे, और वे अपनी-अपनी सामर्थ्य और अधिकार उस पशु को देंगे। [PE]
14. {मेम्‍ने के लिये विजय } [PS]ये मेम्‍ने से लड़ेंगे, और मेम्‍ना उन पर जय पाएगा; क्योंकि वह प्रभुओं का प्रभु, और राजाओं का राजा है*, और जो बुलाए हुए, चुने हुए और विश्वासयोग्य है, उसके साथ हैं, वे भी जय पाएँगे।”
15. फिर उसने मुझसे कहा, “जो पानी तूने देखे, जिन पर वेश्या बैठी है, वे लोग, भीड़, जातियाँ, और भाषाएँ हैं।
16. और जो दस सींग तूने देखे, वे और पशु उस वेश्या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे; और उसका माँस खा जाएँगे, और उसे आग में जला देंगे।
17. “क्योंकि परमेश्‍वर उनके मन में यह डालेगा कि वे उसकी मनसा पूरी करें; और जब तक परमेश्‍वर के वचन पूरे न हो लें, तब तक एक मन होकर अपना-अपना राज्य पशु को दे दें।
18. और वह स्त्री, जिसे तूने देखा है वह बड़ा नगर है, जो पृथ्वी के राजाओं पर राज्य करता है।” [PE]
Total 22 अध्याय, Selected अध्याय 17 / 22
स्त्री और लाल रंग का पशु 1 जिन सात स्वर्गदूतों के पास वे सात कटोरे थे, उनमें से एक ने आकर मुझसे यह कहा, “इधर आ, मैं तुझे उस बड़ी वेश्या का दण्ड दिखाऊँ, जो बहुत से पानी पर बैठी है। 2 जिसके साथ पृथ्वी के राजाओं ने व्यभिचार किया, और पृथ्वी के रहनेवाले उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाले हो गए थे।” 3 तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा। 4 यह स्त्री बैंगनी, और लाल रंग के कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमूल्य मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। 5 और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, “भेद बड़ा बाबेल पृथ्वी की वेश्याओं और घृणित वस्तुओं की माता।” (प्रका. 19:2) 6 और मैंने उस स्त्री को पवित्र लोगों के लहू और यीशु के गवाहों के लहू पीने से मतवाली देखा; और उसे देखकर मैं चकित हो गया। स्त्री और पशु का अर्थ 7 उस स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “तू क्यों चकित हुआ? मैं इस स्त्री, और उस पशु का, जिस पर वह सवार है, और जिसके सात सिर और दस सींग हैं, तुझे भेद बताता हूँ। 8 जो पशु तूने देखा है, यह पहले तो था, पर अब नहीं है, और अथाह कुण्ड से निकलकर विनाश में पड़ेगा, और पृथ्वी के रहनेवाले जिनके नाम जगत की उत्पत्ति के समय से जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, इस पशु की यह दशा देखकर कि पहले था, और अब नहीं; और फिर आ जाएगा, अचम्भा करेंगे। (प्रका. 17:11) 9 यह समझने के लिए एक ज्ञानी मन आवश्यक है: वे सातों सिर सात पहाड़* हैं, जिन पर वह स्त्री बैठी है। 10 और वे सात राजा भी हैं, पाँच तो हो चुके हैं, और एक अभी है; और एक अब तक आया नहीं, और जब आएगा तो कुछ समय तक उसका रहना भी अवश्य है। 11 जो पशु पहले था, और अब नहीं*, वह आप आठवाँ है; और उन सातों में से एक है, और वह विनाश में पड़ेगा। 12 जो दस सींग तूने देखे वे दस राजा हैं; जिन्होंने अब तक राज्य नहीं पाया; पर उस पशु के साथ घड़ी भर के लिये राजाओं के समान अधिकार पाएँगे। (दानि. 7:24) 13 ये सब एक मन होंगे, और वे अपनी-अपनी सामर्थ्य और अधिकार उस पशु को देंगे। 14 {मेम्‍ने के लिये विजय } ये मेम्‍ने से लड़ेंगे, और मेम्‍ना उन पर जय पाएगा; क्योंकि वह प्रभुओं का प्रभु, और राजाओं का राजा है*, और जो बुलाए हुए, चुने हुए और विश्वासयोग्य है, उसके साथ हैं, वे भी जय पाएँगे।” 15 फिर उसने मुझसे कहा, “जो पानी तूने देखे, जिन पर वेश्या बैठी है, वे लोग, भीड़, जातियाँ, और भाषाएँ हैं। 16 और जो दस सींग तूने देखे, वे और पशु उस वेश्या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे; और उसका माँस खा जाएँगे, और उसे आग में जला देंगे। 17 “क्योंकि परमेश्‍वर उनके मन में यह डालेगा कि वे उसकी मनसा पूरी करें; और जब तक परमेश्‍वर के वचन पूरे न हो लें, तब तक एक मन होकर अपना-अपना राज्य पशु को दे दें। 18 और वह स्त्री, जिसे तूने देखा है वह बड़ा नगर है, जो पृथ्वी के राजाओं पर राज्य करता है।”
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