पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
प्रकाशित वाक्य
1. {#1बाबेल का विनाश } [PS]इसके बाद मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिसको बड़ा अधिकार प्राप्त था; और पृथ्वी उसके तेज से प्रकाशित हो उठी।
2. उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, [PE][QS]“गिर गया, बड़ा बाबेल गिर गया है! और दुष्टात्माओं का निवास, [QE][QS]और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया। (यशा. 13:21, यिर्म. 50:39, यिर्म. 51:37) [QE]
3. [QS]क्योंकि उसके व्यभिचार के भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, [QE][QS]और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है; [QE][QS]और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं।” (यिर्म. 51:7) [QE]
4. [QS]फिर मैंने स्वर्ग से एक और शब्द सुना, [QE][QS]“हे मेरे लोगों, उसमें से निकल आओ* कि तुम उसके पापों में भागी न हो, [QE][QS]और उसकी विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े; (यशा. 52:11, यिर्म. 50:8, यिर्म. 51:45) [QE]
5. [QS]क्योंकि उसके पापों का ढेर स्वर्ग तक पहुँच गया हैं, [QE][QS]और उसके अधर्म परमेश्‍वर को स्मरण आए हैं। [QE]
6. [QS]जैसा उसने तुम्हें दिया है, वैसा ही उसको दो, [QE][QS]और उसके कामों के अनुसार उसे दो गुणा बदला दो*, [QE][QS]जिस कटोरे में उसने भर दिया था उसी में उसके लिये दो गुणा भर दो। (भज. 137:8) [QE]
7. [QS]जितनी उसने अपनी बड़ाई की और सुख-विलास किया; [QE][QS]उतनी उसको पीड़ा, और शोक दो; [QE][QS]क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी हो बैठी हूँ, विधवा नहीं; और शोक में कभी न पड़ूँगी।’ [QE]
8. [QS]इस कारण एक ही दिन में उस पर विपत्तियाँ आ पड़ेंगी, [QE][QS]अर्थात् मृत्यु, और शोक, और अकाल; और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, [QE][QS]क्योंकि उसका न्यायी प्रभु परमेश्‍वर शक्तिमान है। (यिर्म. 50:31) [QE]
9. {#1बाबेल के लिये विलाप } [PS]“और पृथ्वी के राजा जिन्होंने उसके साथ व्यभिचार, और सुख-विलास किया, जब उसके जलने का धूआँ देखेंगे, तो उसके लिये रोएँगे, और छाती पीटेंगे। (यिर्म. 50:46)
10. और उसकी पीड़ा के डर के मारे वे बड़ी दूर खड़े होकर कहेंगे, [QE][QS]‘हे बड़े नगर, बाबेल! हे दृढ़ नगर, हाय! हाय! [QE][QS]घड़ी ही भर में तुझे दण्ड मिल गया है।’ (यिर्म. 51:8-9) [QE]
11. [PS]“और पृथ्वी के व्यापारी उसके लिये रोएँगे और विलाप करेंगे, क्योंकि अब कोई उनका माल मोल न लेगा
12. अर्थात् सोना, चाँदी, रत्न, मोती, मलमल, बैंगनी, रेशमी, लाल रंग के कपड़े, हर प्रकार का सुगन्धित काठ, हाथी दाँत की हर प्रकार की वस्तुएँ, बहुमूल्य काठ, पीतल, लोहे और संगमरमर की सब भाँति के पात्र,
13. और दालचीनी, मसाले, धूप, गन्धरस, लोबान, मदिरा, तेल, मैदा, गेहूँ, गाय-बैल, भेड़-बकरियाँ, घोड़े, रथ, और दास, और मनुष्यों के प्राण।
14. अब तेरे मन भावने फल तेरे पास से जाते रहे; और सुख-विलास और वैभव की वस्तुएँ तुझ से दूर हुई हैं, और वे फिर कदापि न मिलेगी।
15. इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके द्वारा धनवान हो गए थे, उसकी पीड़ा के डर के मारे दूर खड़े होंगे, और रोते और विलाप करते हुए कहेंगे, [QE]
16. [QS]‘हाय! हाय! यह बड़ा नगर जो मलमल, बैंगनी, लाल रंग के कपड़े पहने था, [QE][QS]और सोने, रत्नों और मोतियों से सजा था; [QE]
17. [QS]घड़ी ही भर में उसका ऐसा भारी धन नाश हो गया।’ [QE][PS]और हर एक माँझी, और जलयात्री, और मल्लाह, और जितने समुद्र से कमाते हैं, सब दूर खड़े हुए,
18. और उसके जलने का धूआँ देखते हुए पुकारकर कहेंगे, ‘कौन सा नगर इस बड़े नगर के समान है?’ (यिर्म. 51:37)
19. और अपने-अपने सिरों पर धूल डालेंगे*, और रोते हुए और विलाप करते हुए चिल्ला-चिल्लाकर कहेंगे, [QE][QS]‘हाय! हाय! यह बड़ा नगर जिसकी सम्पत्ति के द्वारा समुद्र के सब जहाज वाले धनी हो गए थे, [QE][QS]घड़ी ही भर में उजड़ गया।’ (यहे. 27:30) [QE]
20. [QS]हे स्वर्ग, और हे पवित्र लोगों, [QE][QS]और प्रेरितों, और भविष्यद्वक्ताओं, उस पर आनन्द करो, [QE][QS]क्योंकि परमेश्‍वर ने न्याय करके उससे तुम्हारा पलटा लिया है।” [QE]
21. {#1बाबेल के विनाश की अन्तिम स्थिति } [PS]फिर एक बलवन्त स्वर्गदूत ने बड़ी चक्की के पाट के समान एक पत्थर उठाया, और यह कहकर समुद्र में फेंक दिया, [QE][QS]“बड़ा नगर बाबेल ऐसे ही बड़े बल से गिराया जाएगा, [QE][QS]और फिर कभी उसका पता न मिलेगा। (यिर्म. 51:63-64, यहे. 26:21) [QE]
22. [QS]वीणा बजानेवालों, गायकों, बंसी बजानेवालों, और तुरही फूँकनेवालों का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा, [QE][QS]और किसी उद्यम का कोई कारीगर भी फिर कभी तुझ में न मिलेगा; [QE][QS]और चक्की के चलने का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा; (यशा. 24:8, यहे. 26:13) [QE]
23. [QS]और दीया का उजाला फिर कभी तुझ में न चमकेगा [QE][QS]और दूल्हे और दुल्हन का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा; [QE][QS]क्योंकि तेरे व्यापारी पृथ्वी के प्रधान थे, [QE][QS]और तेरे टोने से सब जातियाँ भरमाई गई थी। (यिर्म. 7:34, यिर्म. 16:9) [QE]
24. [QS]और भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों, और पृथ्वी पर सब मरे हुओं का लहू उसी में पाया गया।” (यिर्म. 51:49) [QE]
Total 22 अध्याय, Selected अध्याय 18 / 22
बाबेल का विनाश 1 इसके बाद मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिसको बड़ा अधिकार प्राप्त था; और पृथ्वी उसके तेज से प्रकाशित हो उठी। 2 उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “गिर गया, बड़ा बाबेल गिर गया है! और दुष्टात्माओं का निवास, और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया। (यशा. 13:21, यिर्म. 50:39, यिर्म. 51:37) 3 क्योंकि उसके व्यभिचार के भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है; और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं।” (यिर्म. 51:7) 4 फिर मैंने स्वर्ग से एक और शब्द सुना, “हे मेरे लोगों, उसमें से निकल आओ* कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उसकी विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े; (यशा. 52:11, यिर्म. 50:8, यिर्म. 51:45) 5 क्योंकि उसके पापों का ढेर स्वर्ग तक पहुँच गया हैं, और उसके अधर्म परमेश्‍वर को स्मरण आए हैं। 6 जैसा उसने तुम्हें दिया है, वैसा ही उसको दो, और उसके कामों के अनुसार उसे दो गुणा बदला दो*, जिस कटोरे में उसने भर दिया था उसी में उसके लिये दो गुणा भर दो। (भज. 137:8) 7 जितनी उसने अपनी बड़ाई की और सुख-विलास किया; उतनी उसको पीड़ा, और शोक दो; क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी हो बैठी हूँ, विधवा नहीं; और शोक में कभी न पड़ूँगी।’ 8 इस कारण एक ही दिन में उस पर विपत्तियाँ आ पड़ेंगी, अर्थात् मृत्यु, और शोक, और अकाल; और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी प्रभु परमेश्‍वर शक्तिमान है। (यिर्म. 50:31) बाबेल के लिये विलाप 9 “और पृथ्वी के राजा जिन्होंने उसके साथ व्यभिचार, और सुख-विलास किया, जब उसके जलने का धूआँ देखेंगे, तो उसके लिये रोएँगे, और छाती पीटेंगे। (यिर्म. 50:46) 10 और उसकी पीड़ा के डर के मारे वे बड़ी दूर खड़े होकर कहेंगे, ‘हे बड़े नगर, बाबेल! हे दृढ़ नगर, हाय! हाय! घड़ी ही भर में तुझे दण्ड मिल गया है।’ (यिर्म. 51:8-9) 11 “और पृथ्वी के व्यापारी उसके लिये रोएँगे और विलाप करेंगे, क्योंकि अब कोई उनका माल मोल न लेगा 12 अर्थात् सोना, चाँदी, रत्न, मोती, मलमल, बैंगनी, रेशमी, लाल रंग के कपड़े, हर प्रकार का सुगन्धित काठ, हाथी दाँत की हर प्रकार की वस्तुएँ, बहुमूल्य काठ, पीतल, लोहे और संगमरमर की सब भाँति के पात्र, 13 और दालचीनी, मसाले, धूप, गन्धरस, लोबान, मदिरा, तेल, मैदा, गेहूँ, गाय-बैल, भेड़-बकरियाँ, घोड़े, रथ, और दास, और मनुष्यों के प्राण। 14 अब तेरे मन भावने फल तेरे पास से जाते रहे; और सुख-विलास और वैभव की वस्तुएँ तुझ से दूर हुई हैं, और वे फिर कदापि न मिलेगी। 15 इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके द्वारा धनवान हो गए थे, उसकी पीड़ा के डर के मारे दूर खड़े होंगे, और रोते और विलाप करते हुए कहेंगे, 16 ‘हाय! हाय! यह बड़ा नगर जो मलमल, बैंगनी, लाल रंग के कपड़े पहने था, और सोने, रत्नों और मोतियों से सजा था; 17 घड़ी ही भर में उसका ऐसा भारी धन नाश हो गया।’ और हर एक माँझी, और जलयात्री, और मल्लाह, और जितने समुद्र से कमाते हैं, सब दूर खड़े हुए, 18 और उसके जलने का धूआँ देखते हुए पुकारकर कहेंगे, ‘कौन सा नगर इस बड़े नगर के समान है?’ (यिर्म. 51:37) 19 और अपने-अपने सिरों पर धूल डालेंगे*, और रोते हुए और विलाप करते हुए चिल्ला-चिल्लाकर कहेंगे, ‘हाय! हाय! यह बड़ा नगर जिसकी सम्पत्ति के द्वारा समुद्र के सब जहाज वाले धनी हो गए थे, घड़ी ही भर में उजड़ गया।’ (यहे. 27:30) 20 हे स्वर्ग, और हे पवित्र लोगों, और प्रेरितों, और भविष्यद्वक्ताओं, उस पर आनन्द करो, क्योंकि परमेश्‍वर ने न्याय करके उससे तुम्हारा पलटा लिया है।” बाबेल के विनाश की अन्तिम स्थिति 21 फिर एक बलवन्त स्वर्गदूत ने बड़ी चक्की के पाट के समान एक पत्थर उठाया, और यह कहकर समुद्र में फेंक दिया, “बड़ा नगर बाबेल ऐसे ही बड़े बल से गिराया जाएगा, और फिर कभी उसका पता न मिलेगा। (यिर्म. 51:63-64, यहे. 26:21) 22 वीणा बजानेवालों, गायकों, बंसी बजानेवालों, और तुरही फूँकनेवालों का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा, और किसी उद्यम का कोई कारीगर भी फिर कभी तुझ में न मिलेगा; और चक्की के चलने का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा; (यशा. 24:8, यहे. 26:13) 23 और दीया का उजाला फिर कभी तुझ में न चमकेगा और दूल्हे और दुल्हन का शब्द फिर कभी तुझ में सुनाई न देगा; क्योंकि तेरे व्यापारी पृथ्वी के प्रधान थे, और तेरे टोने से सब जातियाँ भरमाई गई थी। (यिर्म. 7:34, यिर्म. 16:9) 24 और भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों, और पृथ्वी पर सब मरे हुओं का लहू उसी में पाया गया।” (यिर्म. 51:49)
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