1. हे परमेश्वर अन्यजातियां तेरे निज भग में घुस आई; उन्हों ने तेेरे पवित्रा मन्दिर को अशुठ्ठ किया; और यरूशलेम को खंडहर कर दिया है।
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2. उन्हों ने तेरे दासों की लोथों को आकाश के पक्षियों का आहार कर दिया, और तेरे भक्तों का मांस वनपशुओें को खिला दिया है।
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6. जो जातियां तुझ को नहीं जानती, और जिन राज्यों के लोग तुझ से प्रार्थना नहीं करते, उन्ही पर अपनी सब जलजलाहट भड़का!
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8. हमारी हानि के लिये हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामों को स्मरण न कर; तेरी दया हम पर शीघ्र हो, क्योंकि हम बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं।
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9. हे हमारे उठ्ठारकर्त्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के निमित हमारी सहायता कर; और अपने नाम के निमित हम को छुड़ाकर हमारे पापों को ढांप दे।
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10. अनयजातियां क्यों कहने पाएं कि उनका परमेश्वर कहां रहा? अन्यजातियों के बीच तेरे दासों के खून का पलटा लेना हमारे देखते उन्हें मालूम हो जाए।।
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13. तब हम जो तेरी प्रजा और तेरी चराई की भेड़ें हैं, तेरा धन्यवाद सदा करते रहेंगे; और पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा गुणानुवाद करते रहेंगें।।
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