1. पलिश्ती इस्राएलियों से लड़े; और इस्राएली पलिश्तियों के साम्हने से भागे, और गिलबो नाम पहाड़ पर मारे गए।
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2. और पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों के पीछे लगे रहे, और पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रा योनातान, अबीनादाब और मल्कीशू को मार डाला।
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3. और शाऊल के साथ धमासान युठ्ठ होता रहा और धनुर्धारियों ने उसे जा लिया, और वह उनके कारण रयाकुल हो गया।
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4. तब शाऊल ने अपने हथियार ढोनेवाले से कहा, अपनी तलवार खींचकर मुझे झोंक दे, कहीं ऐसा न हो कि वे खतनारहित लोग आकर मेरी ठट्ठा करें, परन्तु उसके हथियार ढोनेवाले ने भयभीत होकर ऐसा करने से इनकार किया, तब शाऊल अपनी तलवार खड़ी करके उस पर गिर पड़ा।
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7. यह देखकर कि वे भाग गए, और शाऊल और उसके पुत्रा मर गए, उस तराई में रहनेवाले सब इस्राएली मनुष्य अपने अपने नगर को छोड़कर भाग गए; और पलिश्ती आकर उन में रहने लगे।
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8. दूसरे दिन जब पलिश्ती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उनको शाऊल और उसके पुत्रा गिलबो पहाड़ पर पड़े हुए मिले।
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9. तब उन्हों ने उसके वस्त्रों को उतार उसका सिर और हथियार ले लिया और पलिश्तियों के देश के सब स्थानों में दूतों को इसलिये भेजा कि उनके देवताओं और साधारण लोगों में यह शुभ समाचार देते जाएं।
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12. तब सब शूरवीर चले और शाऊल और उसके पुत्रों की लोथें उठाकर याबेश में ले आए, और उनकी हडि्डयों को याबेश में एक बांज वृक्ष के तले गाड़ दिया और सात दिन तक अनशन किया।
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13. यों शाऊल उस विश्वासघात के कारण मर गया, जो उस ने यहोवा से किया था; क्योंकि उस ने यहोवा का वचन टाल दिया था, फिर उस ने भूतसिध्दि करनेवाली से पूछकर सम्मति ली थी।
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