पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 राजा
1. जब सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और जो कुछ उस ने करना चाहा था, उसे कर चुका,
2. तब यहोवा ने जैसे गिबोन में उसको दर्शन दिया था, वैसे ही दूसरी बार भी उसे दर्शन दिया।
3. और यहोवा ने उस से कहा, जो प्रार्थना गिड़गिड़ाहट के साथ तू ने मुझ से की है, उसको मैं ने सुना है, यह जो भवन तू ने बनाया है, उस में मैं ने अपना नाम सदा के लिये रखकर उसे पवित्रा किया है; और मेरी आंखें और मेरा मन नित्य वहीं लगे रहेंगे।
4. और यादे तू अपने पिता दाऊद की नाई मन की खराई और सिधाई से अपने को मेरे साम्हने जानकर चलता रहे, और मेरी सब अपज्ञाओं के अनुसार किया करे, और मेरी विधियों और नियमों को मानता रहे, तो मैं तेरा राज्य इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थ्रि करूंगा;
5. जैसे कि मैं ने तेरे पिता दाऊद को वचन दिया था, कि तेरे कुल में इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे।
6. परन्तु यदि तुम लोग वा तुम्हारे वंश के लोग मेरे पीछे चलना छोड़ दें; और मेरी उन आज्ञाओं और विधियों को जो मैं ने तुम को दी हैं, न मानें, और जाकर पराये देवताओं की उपासना करे और उन्हें दणडवत करने लगें,
7. तो मैं इस्राएल को इस देश में से जो मैं ने उनको दिया है, काट डालूंगा और इस भवन को जो मैं ने अपने नाम के लिये पवित्रा किया है, अपनी दृष्टि से उतार दूंगा; और सब देशों के लोगों में इस्राएल की उपमा दी जायेगी और उसका दृष्टान्त चलेगा।
8. और यह भवन जो ऊंचे पर रहेगा, तो जो कोई इसके पास होकर चलेगा, वह चकित होगा, और ताली बजाएगा और वे पूछेंगे, कि यहोवा ने इस देश और इस भवन के साथ क्यों ऐसा किया है;
9. तब लोग कहेंगे, कि उन्हों ने अपने परमेश्वर यहोवा को जो उनके पुरखाओं को मिस्र देश से निकाल लाया था। तजकर पराये देवताओं को पकड़ लिया, और उनको दणडवत की और उनकी उपासना की इस कारण यहोवा ने यह सब विपत्ति उन पर डाल दी।
10. सुलैमान को तो यहोवा के भवन और राजभवन दोनों के बनाने में बीस वर्ष लग गए।
11. तब सुलैमान ने सोर के राजा हीराम को जिस ने उसके मनमाने देवदारू और सनोवर की लकड़ी और सोना दिया था, गलील देश के बीस नगर दिए।
12. जब हीराम ने सोर से जाकर उन नगरों को देखा, जो सुलैमान ने उसको दिए थे, तब वे उसको अच्छे न लगे।
13. तब उस ने कहा, हे मेरे भाई, ये नगर क्या तू ने मुझे दिए हैं? और उस ने उनका नाम कबूल देश रखा।
14. और यही नाम आज के दिन तक पड़ा है। फिर हीराम ने राजा के पास साठ किक्कार सोना भेज दिया।
15. राजा सुलैमान ने लोगों को जो बेगारी में रखा, इसका प्रयोजन यह था, कि यहोवा का और अपना भवन बनाए, और मिल्लो और यरूशलेम की शहरपनाह और हासोर, मगिद्दॊ और गेजेर नगरों को दृढ़ करे।
16. गेजेर पर तो मिस्र के राजा फ़िरौन ने चढ़ाई करके उसे ले लिया और आग लगाकर फूंक दिया, और उस नगर में रहनेवाले कनानियों को मार डालकर, उसे अपनी बेटी सुलैमान की रानी का निज भाग करके दिया था,
17. सो सुलैमान ने गेजेर और नीचेवाले बथोरेन,
18. बालात और तामार को जो जंगल में हैं, दृढ़ किया, ये तो देश में हैं।
19. फिर सुलैमान के जितने भणडार के नगर थे, और उसके रथों और सवारों के नगर, उनको वरन जो कुछ सुलैमान ने यरूशलेम, लबानोन और अपने राज्य के सब देशों में बनाना चाहा, उन सब को उस ने दृढ़ किया।
20. एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी जो रह गए थे, जो इस्राएलियों में के न थे,
21. उनके वंश जो उनके बाद देश में रह गए, और उनको इस्राएली सत्यानाश न कर सके, उनको तो सुलैमान ने दास कर के बेगारी में रखा, और आज तक उनको वही दशा है।
22. परन्तु इस्राएलियों में से सुलैमान ने किसी को दास न बनाया; वे तो योठ्ठा और उसके कर्मचारी, उसके हाकिम, उसके सरदार, और उसके रथों, और सवारों के प्रधान हुए।
23. जो मुख्य हाकिम सुलैमान के कामों के ऊपर ठहर के काम करनेवालों पर प्रभुता करते थे, ये पांच सौ पचास थे।
24. जब फ़िरौन की बेटी दाऊदपुर में से अपने उस भवन को आ गई, जो उस ने उसके लिये बनाया था तब उस ने मिल्लो को बनाया।
25. और सुलैमान उस वेदी पर जो उस ने यहोवा के लिये बनाई थी, प्रति वर्ष में तीन बार होमबलि और मेलबलि चढ़ाया करता था और साथ ही उस वेदी पर जो यहोवा के सम्मुख थी, धूप जलाया करता था, इस प्रकार उस ने उस भवन को तैयार कर दिया।
26. फिर राजा सुलैमान ने एस्योनगेबेर में जो एदोम देश मे लाल समुद्र के तीर एलोत के पास है, जहाज बनाए।
27. और जहाजों में हीराम ने अपने अधिकार के मल्लाहों को, जो समुद्र से जानकारी रखते थे, सुलैमान के सेवकों के संग भेज दिया।
28. उन्हों ने ओपोर को जाकर वहां से चार सौ बीस किक्कार सोना, राजा सुलैमान को लाकर दिया।

Notes

No Verse Added

Total 22 Chapters, Current Chapter 9 of Total Chapters 22
1 राजा 9:14
1. जब सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और जो कुछ उस ने करना चाहा था, उसे कर चुका,
2. तब यहोवा ने जैसे गिबोन में उसको दर्शन दिया था, वैसे ही दूसरी बार भी उसे दर्शन दिया।
3. और यहोवा ने उस से कहा, जो प्रार्थना गिड़गिड़ाहट के साथ तू ने मुझ से की है, उसको मैं ने सुना है, यह जो भवन तू ने बनाया है, उस में मैं ने अपना नाम सदा के लिये रखकर उसे पवित्रा किया है; और मेरी आंखें और मेरा मन नित्य वहीं लगे रहेंगे।
4. और यादे तू अपने पिता दाऊद की नाई मन की खराई और सिधाई से अपने को मेरे साम्हने जानकर चलता रहे, और मेरी सब अपज्ञाओं के अनुसार किया करे, और मेरी विधियों और नियमों को मानता रहे, तो मैं तेरा राज्य इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थ्रि करूंगा;
5. जैसे कि मैं ने तेरे पिता दाऊद को वचन दिया था, कि तेरे कुल में इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे।
6. परन्तु यदि तुम लोग वा तुम्हारे वंश के लोग मेरे पीछे चलना छोड़ दें; और मेरी उन आज्ञाओं और विधियों को जो मैं ने तुम को दी हैं, मानें, और जाकर पराये देवताओं की उपासना करे और उन्हें दणडवत करने लगें,
7. तो मैं इस्राएल को इस देश में से जो मैं ने उनको दिया है, काट डालूंगा और इस भवन को जो मैं ने अपने नाम के लिये पवित्रा किया है, अपनी दृष्टि से उतार दूंगा; और सब देशों के लोगों में इस्राएल की उपमा दी जायेगी और उसका दृष्टान्त चलेगा।
8. और यह भवन जो ऊंचे पर रहेगा, तो जो कोई इसके पास होकर चलेगा, वह चकित होगा, और ताली बजाएगा और वे पूछेंगे, कि यहोवा ने इस देश और इस भवन के साथ क्यों ऐसा किया है;
9. तब लोग कहेंगे, कि उन्हों ने अपने परमेश्वर यहोवा को जो उनके पुरखाओं को मिस्र देश से निकाल लाया था। तजकर पराये देवताओं को पकड़ लिया, और उनको दणडवत की और उनकी उपासना की इस कारण यहोवा ने यह सब विपत्ति उन पर डाल दी।
10. सुलैमान को तो यहोवा के भवन और राजभवन दोनों के बनाने में बीस वर्ष लग गए।
11. तब सुलैमान ने सोर के राजा हीराम को जिस ने उसके मनमाने देवदारू और सनोवर की लकड़ी और सोना दिया था, गलील देश के बीस नगर दिए।
12. जब हीराम ने सोर से जाकर उन नगरों को देखा, जो सुलैमान ने उसको दिए थे, तब वे उसको अच्छे लगे।
13. तब उस ने कहा, हे मेरे भाई, ये नगर क्या तू ने मुझे दिए हैं? और उस ने उनका नाम कबूल देश रखा।
14. और यही नाम आज के दिन तक पड़ा है। फिर हीराम ने राजा के पास साठ किक्कार सोना भेज दिया।
15. राजा सुलैमान ने लोगों को जो बेगारी में रखा, इसका प्रयोजन यह था, कि यहोवा का और अपना भवन बनाए, और मिल्लो और यरूशलेम की शहरपनाह और हासोर, मगिद्दॊ और गेजेर नगरों को दृढ़ करे।
16. गेजेर पर तो मिस्र के राजा फ़िरौन ने चढ़ाई करके उसे ले लिया और आग लगाकर फूंक दिया, और उस नगर में रहनेवाले कनानियों को मार डालकर, उसे अपनी बेटी सुलैमान की रानी का निज भाग करके दिया था,
17. सो सुलैमान ने गेजेर और नीचेवाले बथोरेन,
18. बालात और तामार को जो जंगल में हैं, दृढ़ किया, ये तो देश में हैं।
19. फिर सुलैमान के जितने भणडार के नगर थे, और उसके रथों और सवारों के नगर, उनको वरन जो कुछ सुलैमान ने यरूशलेम, लबानोन और अपने राज्य के सब देशों में बनाना चाहा, उन सब को उस ने दृढ़ किया।
20. एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी जो रह गए थे, जो इस्राएलियों में के थे,
21. उनके वंश जो उनके बाद देश में रह गए, और उनको इस्राएली सत्यानाश कर सके, उनको तो सुलैमान ने दास कर के बेगारी में रखा, और आज तक उनको वही दशा है।
22. परन्तु इस्राएलियों में से सुलैमान ने किसी को दास बनाया; वे तो योठ्ठा और उसके कर्मचारी, उसके हाकिम, उसके सरदार, और उसके रथों, और सवारों के प्रधान हुए।
23. जो मुख्य हाकिम सुलैमान के कामों के ऊपर ठहर के काम करनेवालों पर प्रभुता करते थे, ये पांच सौ पचास थे।
24. जब फ़िरौन की बेटी दाऊदपुर में से अपने उस भवन को गई, जो उस ने उसके लिये बनाया था तब उस ने मिल्लो को बनाया।
25. और सुलैमान उस वेदी पर जो उस ने यहोवा के लिये बनाई थी, प्रति वर्ष में तीन बार होमबलि और मेलबलि चढ़ाया करता था और साथ ही उस वेदी पर जो यहोवा के सम्मुख थी, धूप जलाया करता था, इस प्रकार उस ने उस भवन को तैयार कर दिया।
26. फिर राजा सुलैमान ने एस्योनगेबेर में जो एदोम देश मे लाल समुद्र के तीर एलोत के पास है, जहाज बनाए।
27. और जहाजों में हीराम ने अपने अधिकार के मल्लाहों को, जो समुद्र से जानकारी रखते थे, सुलैमान के सेवकों के संग भेज दिया।
28. उन्हों ने ओपोर को जाकर वहां से चार सौ बीस किक्कार सोना, राजा सुलैमान को लाकर दिया।
Total 22 Chapters, Current Chapter 9 of Total Chapters 22
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References