पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
लैव्यवस्था
1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2. यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे,
3. वा पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं,
4. तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उस ने लूट, वा अन्धेर करके, वा धरोहर, वा पड़ी पाई हो;
5. चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उस ने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे।
6. और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए।
7. इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।।
8. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
9. हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह, कि होमबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात् होमबलि ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे।
10. और याजक अपने सनी के वस्त्रा और अपने तन पर अपनी सनी की जांघिया पहिनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठाकर वेदी के पास रखे।
11. तब वह अपने वस्त्रा उतारकर दूसरे वस्त्रा पहिनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए।
12. और वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकड़ियां जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे।
13. वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए।।
14. अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है, कि हारून के पुत्रा उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएं।
15. और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अन्नबलि के स्मरणार्थ के इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए।
16. और उस में से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्रा खा जाएं; वह बिना खमीर पवित्रा स्थान में खाया जाए, अर्थात् वे मिलापवाले तम्बू के आंगन में उसे खाएं।
17. वह खमीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैं ने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिये जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्रा है वैसा ही वह भी है।
18. हारून के वंश के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं तुम्हारी पीढ़ी- पीढ़ी में यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्रा ठहरेगा।।
19. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
20. जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात् एपा का दसवां भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए, उस में से आधा भोर को और आधा सन्ध्या के समय चढ़ाए।
21. वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अन्नबलि के पके हुए टुकडे यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना।
22. और उसके पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्त होगा, वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधी सदा के लिये है, कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाये।
23. याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएं; वह कभी न खाया जाए।।
24. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
25. हारून और उसके पुत्रों से यह कह, कि पापबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात् जिस स्थान में होमबलिपशु वध किया जाता है उसी में पापबलिपशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्रा है।
26. और जो याजक पापबलि चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवित्रा स्थान में, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए।
27. जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवित्रा ठहरेगा; और यदि उसके लोहू के छींटे किसी वस्त्रा पर पड़ जाएं, तो उसे किसी पवित्रास्थान में धो देना।
28. और वह मिट्टी का पात्रा जिस में वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्रा में सिझाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो लिया जाए।
29. और याजकों में से सब पुरूष उसे खा सकते हैं;
30. पर जिस पापबलिपशु के लोहू में से कुछ भी खून मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रास्थान में प्रायश्चित्त करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए।।

Notes

No Verse Added

Total 27 Chapters, Current Chapter 6 of Total Chapters 27
लैव्यवस्था 6
1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2. यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे,
3. वा पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं,
4. तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उस ने लूट, वा अन्धेर करके, वा धरोहर, वा पड़ी पाई हो;
5. चाहे कोई वस्तु क्यों हो जिसके विषय में उस ने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे।
6. और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए।
7. इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।।
8. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
9. हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह, कि होमबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात् होमबलि ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे।
10. और याजक अपने सनी के वस्त्रा और अपने तन पर अपनी सनी की जांघिया पहिनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठाकर वेदी के पास रखे।
11. तब वह अपने वस्त्रा उतारकर दूसरे वस्त्रा पहिनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए।
12. और वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकड़ियां जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे।
13. वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने पाए।।
14. अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है, कि हारून के पुत्रा उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएं।
15. और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अन्नबलि के स्मरणार्थ के इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए।
16. और उस में से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्रा खा जाएं; वह बिना खमीर पवित्रा स्थान में खाया जाए, अर्थात् वे मिलापवाले तम्बू के आंगन में उसे खाएं।
17. वह खमीर के साथ पकाया जाए; क्योंकि मैं ने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिये जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्रा है वैसा ही वह भी है।
18. हारून के वंश के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं तुम्हारी पीढ़ी- पीढ़ी में यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्रा ठहरेगा।।
19. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
20. जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात् एपा का दसवां भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए, उस में से आधा भोर को और आधा सन्ध्या के समय चढ़ाए।
21. वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अन्नबलि के पके हुए टुकडे यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना।
22. और उसके पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्त होगा, वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधी सदा के लिये है, कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाये।
23. याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएं; वह कभी खाया जाए।।
24. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
25. हारून और उसके पुत्रों से यह कह, कि पापबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात् जिस स्थान में होमबलिपशु वध किया जाता है उसी में पापबलिपशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्रा है।
26. और जो याजक पापबलि चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवित्रा स्थान में, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए।
27. जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवित्रा ठहरेगा; और यदि उसके लोहू के छींटे किसी वस्त्रा पर पड़ जाएं, तो उसे किसी पवित्रास्थान में धो देना।
28. और वह मिट्टी का पात्रा जिस में वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्रा में सिझाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो लिया जाए।
29. और याजकों में से सब पुरूष उसे खा सकते हैं;
30. पर जिस पापबलिपशु के लोहू में से कुछ भी खून मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रास्थान में प्रायश्चित्त करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए।।
Total 27 Chapters, Current Chapter 6 of Total Chapters 27
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References