पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
2 इतिहास
1. {#1मिस्र द्वारा येरूशलेम का लूटा जाना } [PS]जब रिहोबोयाम का शासन मजबूत और स्थिर हो गया, उसने और उसके साथ सारे इस्राएल ने याहवेह की व्यवस्था को छोड़ दिया.
2. (2-3)याहवेह से उनके विश्वासघात के कारण, रिहोबोयाम के शासनकाल के पांचवें साल में मिस्र के राजा शिशाक ने बारह सौ रथों और साठ हजार घुड़सवारों को लेकर येरूशलेम पर हमला किया. उसके साथ आए लिबिया के, सुक्किईम के और कूश[* कूश नील नदी का ऊपरी क्षेत्र ] देशवासी मिस्री सैनिक अनगिनत थे.
3.
4. शिशाक ने यहूदिया के गढ़ नगरों को अपने अधीन कर लिया और वह येरूशलेम आ पहुंचा. [PE]
5.
6. [PS]तब भविष्यद्वक्ता शेमायाह रिहोबोयाम और यहूदिया के राजाओं के पास आए, जो इस समय शिशाक के हमले के कारण येरूशलेम में ही इकट्ठा थे. भविष्यद्वक्ता शेमायाह ने उनसे कहा, “यह याहवेह का संदेश है ‘तुमने मुझे छोड़ दिया है इसलिये मैंने भी तुम्हें छोड़कर शिशाक के हाथों में सौंप दिया है.’ ” [PE]
7. [PS]यह सुन इस्राएल के शासकों और राजा ने खुद को नम्र बनाते हुए यह स्वीकार किया, “महान हैं याहवेह.” [PE][PS]जब याहवेह ने देखा कि वे सब नम्र हो गए हैं, शेमायाह को याहवेह का यह संदेश मिला: “उन्होंने अपने आपको नम्र बना लिया है, इसलिये अब मैं उन्हें नाश होने न दूंगा; मैं उन्हें एक हद्द तक छुड़ौती दूंगा. अब शिशाक द्वारा मेरा क्रोध येरूशलेम पर उंडेला न जाएगा.
8. मगर वे शिशाक के दास हो जाएंगे कि वे यह समझ सकें कि मेरी सेवा और अन्य देशों के राज्यों की सेवा में कितना अंतर होता है.” [PE]
9. [PS]तब मिस्र के राजा ने येरूशलेम पर हमला किया और याहवेह के भवन के और राजमहल के खजाने को अपने साथ ले गया. वस्तुतः वह अपने साथ सभी कुछ ले गया. यहां तक कि वे सोने की ढालें भी जिनको शलोमोन ने बनवाया था.
10. तब राजा रिहोबोयाम ने उनकी जगह पर कांसे में गढ़ी गई ढालें वहां रख दीं. इनकी जवाबदारी रिहोबोयाम ने राजघराने के पहरेदारों के प्रधान को सौंप दी.
11. तब रीति यह बन गई कि जब-जब राजा याहवेह के भवन को जाता था, पहरेदार ये ढालें लेकर चलते थे और राजा के वहां से लौटने पर इन्हें पहरेदारों के कमरों में दोबारा रख दिया जाता था. [PE]
12.
13. [PS]जब रिहोबोयाम ने अपने आपको विनम्र बना लिया, याहवेह का क्रोध शांत हो गया और उसका सर्वनाश नहीं किया गया. इसी समय यहूदिया की कुछ दशा अच्छी भी थी. [PE][PS]रिहोबोयाम ने राजधानी येरूशलेम में स्वयं को पुनः सुदृढ़ किया, और यहूदिया प्रदेश पर शासन करने लगा. जब रिहोबोयाम ने शासन शुरू किया, उसकी उम्र एकतालीस साल की थी. येरूशलेम में उसने सत्रह साल शासन किया. येरूशलेम वह नगर है, जिसे याहवेह ने सारे इस्राएल में से इसलिये चुना, कि वह इसमें अपनी महिमा करें. उसकी माता का नाम था नामाह जो अम्मोनी थी.
14. जीवन में वह वही सब करता रहा, जो गलत है, क्योंकि उसने अपना हृदय याहवेह की इच्छा पता करने की ओर लगाया ही नहीं. [PE]
15. [PS]शुरू से अंत तक रिहोबोयाम के कामों का ब्यौरा भविष्यद्वक्ता शेमायाह और दर्शी इद्दो की पुस्तकों में उपलब्ध है, जो वंशावली का हिसाब भी रखते थे. रिहोबोयाम और यरोबोअम हमेशा आपस में युद्ध में ही लगे रहें.
16. रिहोबोयाम अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए सो गया. उसका अंतिम संस्कार दावीद के नगर में किया गया; उनका पुत्र अबीयाह उसके स्थान पर राजा हो गया. [PE]
Total 36 अध्याय, Selected अध्याय 12 / 36
मिस्र द्वारा येरूशलेम का लूटा जाना 1 जब रिहोबोयाम का शासन मजबूत और स्थिर हो गया, उसने और उसके साथ सारे इस्राएल ने याहवेह की व्यवस्था को छोड़ दिया. 2 (2-3)याहवेह से उनके विश्वासघात के कारण, रिहोबोयाम के शासनकाल के पांचवें साल में मिस्र के राजा शिशाक ने बारह सौ रथों और साठ हजार घुड़सवारों को लेकर येरूशलेम पर हमला किया. उसके साथ आए लिबिया के, सुक्किईम के और कूश* कूश नील नदी का ऊपरी क्षेत्र देशवासी मिस्री सैनिक अनगिनत थे. 3 4 शिशाक ने यहूदिया के गढ़ नगरों को अपने अधीन कर लिया और वह येरूशलेम आ पहुंचा. 5 6 तब भविष्यद्वक्ता शेमायाह रिहोबोयाम और यहूदिया के राजाओं के पास आए, जो इस समय शिशाक के हमले के कारण येरूशलेम में ही इकट्ठा थे. भविष्यद्वक्ता शेमायाह ने उनसे कहा, “यह याहवेह का संदेश है ‘तुमने मुझे छोड़ दिया है इसलिये मैंने भी तुम्हें छोड़कर शिशाक के हाथों में सौंप दिया है.’ ” 7 यह सुन इस्राएल के शासकों और राजा ने खुद को नम्र बनाते हुए यह स्वीकार किया, “महान हैं याहवेह.” जब याहवेह ने देखा कि वे सब नम्र हो गए हैं, शेमायाह को याहवेह का यह संदेश मिला: “उन्होंने अपने आपको नम्र बना लिया है, इसलिये अब मैं उन्हें नाश होने न दूंगा; मैं उन्हें एक हद्द तक छुड़ौती दूंगा. अब शिशाक द्वारा मेरा क्रोध येरूशलेम पर उंडेला न जाएगा. 8 मगर वे शिशाक के दास हो जाएंगे कि वे यह समझ सकें कि मेरी सेवा और अन्य देशों के राज्यों की सेवा में कितना अंतर होता है.” 9 तब मिस्र के राजा ने येरूशलेम पर हमला किया और याहवेह के भवन के और राजमहल के खजाने को अपने साथ ले गया. वस्तुतः वह अपने साथ सभी कुछ ले गया. यहां तक कि वे सोने की ढालें भी जिनको शलोमोन ने बनवाया था. 10 तब राजा रिहोबोयाम ने उनकी जगह पर कांसे में गढ़ी गई ढालें वहां रख दीं. इनकी जवाबदारी रिहोबोयाम ने राजघराने के पहरेदारों के प्रधान को सौंप दी. 11 तब रीति यह बन गई कि जब-जब राजा याहवेह के भवन को जाता था, पहरेदार ये ढालें लेकर चलते थे और राजा के वहां से लौटने पर इन्हें पहरेदारों के कमरों में दोबारा रख दिया जाता था. 12 13 जब रिहोबोयाम ने अपने आपको विनम्र बना लिया, याहवेह का क्रोध शांत हो गया और उसका सर्वनाश नहीं किया गया. इसी समय यहूदिया की कुछ दशा अच्छी भी थी. रिहोबोयाम ने राजधानी येरूशलेम में स्वयं को पुनः सुदृढ़ किया, और यहूदिया प्रदेश पर शासन करने लगा. जब रिहोबोयाम ने शासन शुरू किया, उसकी उम्र एकतालीस साल की थी. येरूशलेम में उसने सत्रह साल शासन किया. येरूशलेम वह नगर है, जिसे याहवेह ने सारे इस्राएल में से इसलिये चुना, कि वह इसमें अपनी महिमा करें. उसकी माता का नाम था नामाह जो अम्मोनी थी. 14 जीवन में वह वही सब करता रहा, जो गलत है, क्योंकि उसने अपना हृदय याहवेह की इच्छा पता करने की ओर लगाया ही नहीं. 15 शुरू से अंत तक रिहोबोयाम के कामों का ब्यौरा भविष्यद्वक्ता शेमायाह और दर्शी इद्दो की पुस्तकों में उपलब्ध है, जो वंशावली का हिसाब भी रखते थे. रिहोबोयाम और यरोबोअम हमेशा आपस में युद्ध में ही लगे रहें. 16 रिहोबोयाम अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए सो गया. उसका अंतिम संस्कार दावीद के नगर में किया गया; उनका पुत्र अबीयाह उसके स्थान पर राजा हो गया.
Total 36 अध्याय, Selected अध्याय 12 / 36
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References