1. {#1पेन्तेकॉस्त पर्व पर पवित्र आत्मा का उतरना } [PS]यहूदियों के पेन्तेकॉस्त पर्व[* पेन्तेकॉस्त पर्व फ़सह के बाद का पचासवां दिन; यह वह दिन था जब यहूदी लोग फसल के पर्व मनाते थे. निर्ग 34:22; लेवी 23:15-22 ] के दिन, जब शिष्य एक स्थान पर इकट्ठा थे,
2. सहसा आकाश से तेज आंधी जैसी आवाज उस कमरे में फैल गई, जहां वे सब बैठे थे.
3. तब उनके सामने ऐसी ज्वाला प्रकट हुई जिसका आकार जीभ के समान था, जो अलग होकर उनमें से प्रत्येक व्यक्ति पर जाकर ठहरती गई.
4. वे सभी पवित्र आत्मा से भरकर पवित्र आत्मा द्वारा दी गई अन्य भाषाओं में बातें करने लगे. [PE]
5. [PS]उस समय आकाश के नीचे के हर एक देश से आए श्रद्धालु यहूदी येरूशलेम में ही ठहरे हुए थे.
6. इस कोलाहल को सुनकर वहां भीड़ इकट्ठा हो गईं. वे सभी आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि वे सभी हर एक को अपनी निज भाषा में बातें करते हुए सुन रहे थे.
7. अचंभित हो वे एक दूसरे से पूछ रहे थे, “क्या ये सभी गलीलवासी नहीं हैं?
8. तब यह क्या हो रहा है, जो हममें से हर एक विदेशी इन्हें हमारी अपनी-अपनी मातृभाषा में बातें करते हुए सुन रहा है!
9. पारथी, मादी, इलामी और मेसोपोतामियावासि, यहूदिया तथा कप्पादोकिया, पोन्तॉस तथा आसिया,
10. फ़्रिजिया, पम्फ़ूलिया, मिस्र, और लिबियावासी, जो क्रेते के आस-पास है; रोमी के रहनेवाले यहूदी तथा दीक्षित यहूदी,
11. क्रेती तथा अरबी, सभी अपनी-अपनी मातृभाषा में इनके मुख से परमेश्वर के पराक्रम के विषय में सुन रहे हैं!”
12. चकित और घबराकर वे एक दूसरे से पूछ रहे थे, “यह क्या हो रहा है?” [PE]
13.
14. [PS]किंतु कुछ अन्य ठट्ठा कर कह रहे थे, “इन्होंने कुछ अधिक मधु ही पी रखी है.” [PE]{#1भीड़ को पेतरॉस का संबोधन } [PS]तब ग्यारह के साथ पेतरॉस ने खड़े होकर ऊंचे शब्द में कहना प्रारंभ किया: “यहूदियावासियों तथा येरूशलेम वासियों, आपके लिए इस विषय को समझना अत्यंत आवश्यक है; इसलिये मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुनिए:
15. जैसा आप समझ रहे हैं, ये व्यक्ति नशे में नहीं हैं क्योंकि यह दिन का तीसरा ही घंटा है!
16. वस्तुत, यह योएल भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति है: [PE]
17. [QS]“ ‘यह परमेश्वर की आवाज है, [QE][QS2]मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उंडेलूंगा. [QE][QS]तुम्हारे बेटे और बेटियां भविष्यवाणी करेंगे, [QE][QS2]तुम्हारे बुज़ुर्ग लोग स्वप्न देखेंगे, [QE][QS2]तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे. [QE]
18. [QS]मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों, [QE][QS2]पर अपना आत्मा उंडेल दूंगा, [QE][QS2]और वे भविष्यवाणी करेंगे. [QE]
19. [QS]मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार [QE][QS2]और नीचे पृथ्वी पर लहू, [QE][QS2]आग और धुएं के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊंगा. [QE]
20. [QS]प्रभु के उस वैभवशाली और वर्णनीय दिन के [QE][QS2]पूर्व सूर्य अंधेरा [QE][QS2]और चंद्रमा लहू समान हो जाएगा. [QE]
21. [QS]तथा हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा, उद्धार प्राप्त करेगा.’[† योए 2:28-32 ] [QE]
22. [PS]“इस्राएली प्रियजन, ध्यान से सुनिए! नाज़रेथवासी[‡ मत्ति 2:23 ] मसीह येशु को, जिन्हें आप जानते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके मध्य सामर्थ्य के कामों, चमत्कारों तथा चिह्नों के द्वारा प्रकट किया,
23. परमेश्वर की निर्धारित योजना तथा पूर्व ज्ञान में आपके हाथों में अधर्मियों की सहायता से सौंप दिया गया कि उन्हें क्रूस-मृत्युदंड दिया जाए;
24. किंतु परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु के दर्द से छुड़ाकर मरे हुओं में से जीवित कर दिया क्योंकि यह असंभव था कि मृत्यु उन्हें अपने बंधन में रख सके.
25. दावीद ने उनके विषय में कहा था: [QE][QS]“मैं सर्वदा प्रभु को निहारता रहा [QE][QS2]क्योंकि वह मेरी दायीं ओर हैं, [QE][QS2]कि मैं लड़खड़ा न जाऊं. [QE]
26. [QS]इसलिये मेरा हृदय आनंदित और मेरी जीभ मगन हुई; [QE][QS2]इसके अलावा मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा, [QE]
27. [QS]क्योंकि आप न तो मेरी आत्मा को अधोलोक में छोड़ेंगे [QE][QS2]और न अपने पवित्र जन के शव को सड़ने देंगे. [QE]
28. [QS]आपने मुझ पर जीवन का मार्ग प्रकट कर दिया. [QE][QS2]आप मुझे अपनी उपस्थिति में आनंद से भर देंगे.[§ स्तोत्र 16:8-11 ] [QE]
29. [PS]“प्रियजन, पूर्वज दावीद के विषय में यह बिलकुल सच है कि उनकी मृत्यु हुई तथा उनके शव को कब्र में भी रखा गया. वह कब्र आज भी वहीं है.
30. इसलिये उनके भविष्यवक्ता होने के कारण तथा इसलिये भी कि उन्हें यह मालूम था कि परमेश्वर ने शपथ ली थी कि उन्हीं का एक वंशज सिंहासन पर बैठाया जाएगा,
31. होनेवाली घटनाओं को साफ़-साफ़ देखते हुए दावीद ने मसीह येशु के पुनरुत्थान का वर्णन किया कि मसीह येशु न तो अधोलोक में छोड़ दिए गए और न ही उनके शव को सड़न ने स्पर्श किया.
32. इन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने मरे हुओं में से उठाकर जीवित किया. हम इस सच्चाई के प्रत्यक्ष साक्षी हैं.
33. परमेश्वर की दायीं ओर सर्वोच्च पद पर बैठकर, पिता से प्राप्त पवित्र आत्मा लेकर उन्होंने हम पर उंडेल दिया, जो आप स्वयं देख और सुन रहे हैं.
34. यद्यपि दावीद उस समय स्वर्ग नहीं पहुंचे थे तौभी उन्होंने स्वयं कहा था, [QE][QS]“ ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा: [QE][QS2]“मेरी दायीं ओर बैठे रहो [QE]
35. [QS]मैं तुम्हारे शत्रुओं को [QE][QS2]तुम्हारे अधीन करूंगा.”[* स्तोत्र 110:1 ]’ [QE]
36. [PS]“इसलिये सारा इस्राएल निश्चित रूप से यह जान ले कि इन्हीं येशु को, जिन्हें तुम लोगों ने क्रूसित किया परमेश्वर ने प्रभु और मसीह पद से सम्मानित किया.” [QE]
37. [PS]इस बात ने उनके हृदयों को छेद दिया. उन्होंने पेतरॉस और शेष प्रेरितों से जानना चाहा, “प्रियजन, अब हमारे लिए क्या करना सही है?” [QE]
38. [PS]पेतरॉस ने उत्तर दिया, “पश्चाताप कीजिए तथा आप में से हर एक मसीह येशु के नाम में पाप क्षमा का बपतिस्मा ले—आपको दान के रूप में पवित्र आत्मा मिलेगा;
39. क्योंकि यह प्रतिज्ञा आपके, आपकी संतान और उन सबके लिए भी है, जो अभी दूर-दूर हैं तथा परमेश्वर जिनको अपने पास बुलाने पर हैं.” [QE]
40. [PS]पेतरॉस ने अनेक तर्क प्रस्तुत करते हुए उनसे विनती की, “स्वयं को इस टेढ़ी पीढ़ी से बचाए रखिए.”
41. जितनों ने पेतरॉस के प्रवचन को स्वीकार किया, उन्होंने बपतिस्मा लिया. उस दिन लगभग तीन हज़ार व्यक्ति उनमें शामिल हो गए. [QE]
42. {#1नए विश्वासियों की घनिष्ठ एकता } [PS]वे सभी लगातार प्रेरितों की शिक्षा के प्रति समर्पित होकर, पारस्परिक संगति, प्रभु-भोज की क्रिया और प्रार्थना में लीन रहने लगे.
43. प्रेरितों द्वारा किए जा रहे अद्भुत काम तथा अद्भुत चिह्न सभी के लिए आश्चर्य का विषय बन गए थे.
44. मसीह के सभी विश्वासी घनिष्ठ एकता में रहने लगे तथा उनकी सब वस्तुओं पर सबका एक सा अधिकार था.
45. वे अपनी संपत्ति बेचकर, जिनके पास कम थी उनमें बांटने लगे.
46. हर रोज़ वे मंदिर के आंगन में एक मन हो नियमित रूप से इकट्ठा होते, भोजन के लिए एक दूसरे के घर में निर्मल भाव से आनंदपूर्वक सामूहिक रूप से भोजन करते
47. तथा परमेश्वर का गुणगान करते थे. वे सभी की प्रसन्नता के भागी थे. परमेश्वर इनमें दिन-प्रतिदिन उनको मिलाते जा रहे थे, जो उद्धार प्राप्त कर रहे थे. [QE]