1. {#1इस्राएल का नाश किया जाना } [PS]मैंने प्रभु को वेदी के निकट खड़े देखा, और उन्होंने कहा: [PE][QS]“मीनारों के सिराओं को ऐसे मारो [QE][QS2]कि नीवें तक हिल जाएं. [QE][QS]उन्हें सब लोगों के सिरों पर गिराओ; [QE][QS2]जो बच जाएंगे, उनको मैं तलवार से मार डालूंगा. [QE][QS]एक भी भाग नहीं सकेगा, [QE][QS2]एक भी बच न सकेगा. [QE]
2. [QS]चाहे वे खोदकर अधोलोक तक पहुंच जाएं, [QE][QS2]मेरा हाथ उन्हें वहां से भी खींच लाएगा. [QE][QS]चाहे वे आकाश के ऊपर भी चढ़ जाएं, [QE][QS2]मैं उन्हें वहां से भी नीचे ले आऊंगा. [QE]
3. [QS]चाहे वे कर्मेल पर्वत के शिखर पर जा छिपें, [QE][QS2]मैं उन्हें वहां भी ढूंढ़कर पकड़ लूंगा. [QE][QS]चाहे वे मेरी दृष्टि से समुद्र के तल में छिप जाएं, [QE][QS2]वहां मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूंगा. [QE]
4. [QS]चाहे उनके शत्रु उन्हें बंधुआई में ले जाएं, [QE][QS2]वहां मैं आज्ञा देकर उन्हें तलवार से मरवा डालूंगा. [QE][PBR] [QS]“मैं उनकी भलाई के लिये नहीं [QE][QS2]पर उनकी हानि के लिये उन पर नजर रखूंगा.” [QE][PBR]
5. [QS]प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह, [QE][QS]वे पृथ्वी को छूते हैं और वह पिघल जाती है, [QE][QS2]और उसमें रहनेवाले सब विलाप करते हैं; [QE][QS]पूरी भूमि नील नदी के समान ऊपर उठती है, [QE][QS2]और फिर मिस्र देश की नदी के समान नीचे बैठ जाती है; [QE]
6. [QS]वे आकाश में अपना ऊंचा महल बनाते हैं [QE][QS2]और उसकी नींव पृथ्वी पर रखते हैं; [QE][QS]वे समुद्र के पानी को बुलाते हैं [QE][QS2]और भूमि पर वर्षा करते हैं— [QE][QS2]याहवेह है उनका नाम. [QE][PBR]
7. [QS]“क्या तुम इस्राएली मेरे लिये [QE][QS2]कूश वासियों के समान नहीं हो?” [QE][QS2]याहवेह की यह घोषणा है. [QE][QS]“क्या मैं इस्राएलियों को मिस्र देश से, [QE][QS2]फिलिस्तीनियों को काफ़तोर देश से [QE][QS2]और सीरियावासियों को कीर देश से बाहर निकालकर नहीं लाया? [QE][PBR]
8. [QS]“निश्चित रूप से परम प्रभु की आंखें [QE][QS2]पापमय राज्य पर लगी हुई हैं. [QE][QS]मैं धरती पर से [QE][QS2]इसे नाश कर दूंगा. [QE][QS]तौभी, मैं याकोब के वंश को [QE][QS2]पूरी तरह नाश नहीं करूंगा,” [QE][QS2]याहवेह की यह घोषणा है. [QE]
9. [QS]“क्योंकि मैं आज्ञा दूंगा, [QE][QS2]और मैं इस्राएल के लोगों को [QE][QS2]सब जनताओं के बीच ऐसे हिलाऊंगा, [QE][QS]जैसे किसी चलनी में अनाज को हिलाया जाता है, [QE][QS2]और भूमि पर एक भी कंकड़ नहीं गिरता. [QE]
10. [QS]मेरे लोगों के बीच में जो पापी हैं, [QE][QS2]वे सब जो यह कहते हैं, [QE][QS]‘न तो विपत्ति हमारे ऊपर आएगी और न ही विपत्ति से हमारा सामना होगा,’ [QE][QS2]वे सबके सब तलवार से मारे जाएंगे. [QE]
11. {#1इस्राएल की वापसी } [PS]“उस समय [PE][QS]“मैं दावीद के गिरे हुए आश्रय का पुनर्निमाण करूंगा, [QE][QS2]मैं इसके टूटे दीवारों को ठीक करूंगा, [QE][QS2]इसके खंडहरों को ठीक करूंगा, [QE][QS2]और इसको पहले जैसा फिर से बना दूंगा, [QE]
12. [QS]ताकि वे एदोम के बचे लोगों को [QE][QS2]और उन सब जाति के लोगों को अपने अधीन कर लें, जो मेरा नाम लेते हैं,” [QE][QS2]यह उन्हीं याहवेह की घोषणा है, जो यह सब करने पर हैं. [QE]
13. [PS]यह याहवेह का कहना है, “ऐसे दिन आ रहे हैं, [PE][QS]“जब हल चलानेवाला फसल काटनेवाले से, [QE][QS2]और अंगूर को रौंदनेवाला पौधा रोपनेवाले से आगे निकल जाएगा. [QE][QS]नये अंगूर का मधु पर्वतों से टपकने लगेगा [QE][QS2]और यह सब पहाड़ियों से बह जाएगा, [QE]
2. [QS2]और मैं अपने इस्राएली लोगों को बंधुआई से वापस ले आऊंगा. [QE][PBR] [QS]“वे नष्ट हुए नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे और उनमें रहने लगेंगे. [QE][QS2]वे अंगूर की बारियां लगाएंगे और उनकी शराब पिएंगे; [QE][QS2]वे बगीचा लगाएंगे और उनके फलों को खाएंगे. [QE]
15. [QS]मैं इस्राएल को उनके अपने देश में स्थापित करूंगा, [QE][QS2]और वे उस देश से फिर कभी निकाले नहीं जाएंगे [QE][QS2]जिसे मैंने उन्हें दिया है,” [QE][MS]यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर का कहना है. [ME]