पवित्र बाइबिल

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व्यवस्थाविवरण
1. {#1मोशेह का अंतिम आशीर्वाद } [PS]अपनी मृत्यु के पहले मोशेह ने, जो परमेश्वर के जन थे, इस्राएलियों को इन शब्दों में आशीर्वाद दिए.
2. उन्होंने कहा: [PE][QS]“याहवेह सीनायी से आ गए [QE][QS2]और सेईर से उन पर सूर्योदय के समान प्रकट हुए; [QE][QS2]पारान पर्वत से उन्होंने अपनी रोशनी बिखेरी, [QE][QS]और वह दस हज़ार पवित्र प्राणियों के बीच में दिखाई दिए, [QE][QS2]उनके दाएं हाथ से उन पर बिजली कौंध गई. [QE]
3. [QS]वस्तुतः वह तो अपनी प्रजा से प्रेम ही करते हैं. याहवेह, [QE][QS2]आपके सभी पवित्र प्राणी आपके अधीन हैं, [QE][QS]वे आपके चरणों में बैठ, [QE][QS2]आपकी आज्ञा स्वीकार करते हैं. [QE]
4. [QS]मोशेह से हमें व्यवस्था प्राप्‍त हुआ है, [QE][QS2]यह याकोब के वंशजों का खजाना है. [QE]
5. [QS]जब सारी प्रजा के प्रधान इकट्ठा हुए थे, [QE][QS2]जब इस्राएल के सारे गोत्र वहां थे, [QE][QS2]याहवेह यशुरून[* अर्थ: धर्मी; अर्थात् इस्राएल ] में शासक थे. [QE][PBR]
6. [QS]“रियूबेन जीवित रहे, उसकी मृत्यु न हो, [QE][QS2]और न ही उसके गोत्र की गिनती कम हो.” [QE]
7. [PS]यहूदाह के लिए मोशेह के वचन थे: [QE][QS]“याहवेह, यहूदाह की विनती सुनिए, [QE][QS2]उसे अपने लोगों तक ले आइए. [QE][QS]उसके हाथों को मजबूत कर दीजिए, [QE][QS2]आप ही उसके शत्रुओं के विरुद्ध उसकी सहायता बने रहें!” [QE]
8. [PS]लेवी के विषय में मोशेह के वचन थे, [QE][QS]“याहवेह, आपका थुम्मीम और आपका उरीम [QE][QS2]आपके विश्वासयोग्य लोगों के अधिकार में बना रहे, [QE][QS]जिसे आप मस्साह में परख चुके हैं, [QE][QS2]जिसके साथ आपने मेरिबाह जल के सोते पर वाद-विवाद किया था; [QE]
9. [QS]जिसने अपने पिता और अपनी माता के विषय में कहा था, [QE][QS2]‘वे मेरे लिए कोई नहीं हैं.’ [QE][QS]उसने अपने भाइयों को भी नहीं अपनाया, [QE][QS2]और न ही अपनी ही संतान को, [QE][QS]क्योंकि वे आपके आदेश के पालक बने रहे, [QE][QS2]उन्होंने आपकी वाचा का सम्मान बनाए रखा. [QE]
10. [QS]वे ही हैं, जो याकोब को आपके नियमों की शिक्षा देंगे, [QE][QS2]और इस्राएल को आपके विधान की. [QE][QS]वे आपके सामने धूप जलाएंगे, [QE][QS2]और आपकी वेदी पर पूरी होमबलि भी. [QE]
11. [QS]याहवेह, उसकी संपदा को समृद्धि प्रदान कीजिए, [QE][QS2]उसके हाथों के परिश्रम को स्वीकार कीजिए; [QE][QS]उसके शत्रुओं की कमर को चूर-चूर कर दीजिए, [QE][QS2]कि वे कभी उठ न सकें.” [QE]
12. [PS]बिन्यामिन के विषय में मोशेह ने कहा: [QE][QS]“याहवेह का प्रिय, यह गोत्र उनके द्वारा दी गई सुरक्षा में रहता रहे, [QE][QS2]याहवेह उसे हमेशा सुरक्षा प्रदान करते रहते हैं, [QE][QS2]मानो वे याहवेह के दोनों कांधों के बीच सुरक्षित हैं.” [QE]
13. [PS]योसेफ़ के संबंध में मोशेह ने कहा: [QE][QS]“याहवेह द्वारा उसका देश समृद्धि प्राप्‍त करता जाए, [QE][QS2]स्वर्ग की सर्वोत्तम वस्तुओं और ओस के द्वारा, [QE][QS2]और वह जल जो पृथ्वी की गहराई से उत्पन्‍न होता है; [QE]
14. [QS]सूर्य के प्रभाव से उत्पन्‍न उत्तम फल, [QE][QS2]और ऋतुओं में प्राप्‍त उत्तम उपज; [QE]
15. [QS]सदा से प्रतिष्ठित पर्वतों से प्राप्‍त फल [QE][QS2]और सदा की पहाड़ियों से प्राप्‍त सर्वोत्तम वस्तुएं; [QE]
16. [QS]पृथ्वी की भरपूरी में से सर्वोत्तम वस्तुएं, [QE][QS2]और उनकी कृपादृष्टि, जो जलती हुई झाड़ी में प्रकट हुई. [QE][QS]यह सब योसेफ़ के सिर पर उतर जाए, [QE][QS2]उसके सिर पर जो अपने भाइयों से अधिक यशस्वी हुआ. [QE]
17. [QS]उसका वैभव वैसा ही है, जैसा सांड़ के पहिलौठे का; [QE][QS2]उसके सींग जंगली सांड़ के सींगों समान हैं. [QE][QS]इनके प्रयोग से वह राष्ट्रों को घायल करेगा, [QE][QS2]उन्हें एक ही समय पर पृथ्वी के छोर तक हकाल देगा. [QE][QS]ये ही हैं एफ्राईम के दस हज़ार; [QE][QS2]यही हैं मनश्शेह के हज़ार.” [QE]
18. [PS]मोशेह के वचन ज़ेबुलून के लिए ये थे, [QE][QS]“ज़ेबुलून, तुम्हारी यात्राएं तुम्हारे लिए खुशी का विषय बनी रहें. [QE][QS2]इस्साखार, तुम अपने शिविरों में ही उल्लास करते रहो. [QE]
19. [QS]वे लोगों को पर्वतों पर आमंत्रित करेंगे [QE][QS2]वहां वे उपयुक्त बलि चढ़ाएंगे; [QE][QS]वे महासागर से उत्पन्‍न की भरपूरी के स्वामी होंगे, [QE][QS2]वे बालू में छुपे हुए खजाने प्राप्‍त करेंगे.” [QE]
20. [PS]गाद के लिए मोशेह ने कहा: [QE][QS]“धन्य है गाद का विस्तार! [QE][QS2]गाद का जीवन सिंह के समान है, [QE][QS2]वह भुजा को फाड़ देता है और खोपड़ी को भी. [QE]
21. [QS]उसने तो सबसे अच्छी भूमि अपने लिए चुन ली है, [QE][QS2]क्योंकि वही शासक के लिए तय अंश आरक्षित था; [QE][QS]उसने गोत्रपिताओं के साथ आकर, [QE][QS2]इस्राएल के लिए याहवेह के नियमों [QE][QS2]और याहवेह के न्याय का पालन किया.” [QE]
22. [PS]दान के विषय में मोशेह ने कहा: [QE][QS]“दान तो सिंह का बच्चा है, [QE][QS2]जो बाशान से छलांग लगाता है.” [QE]
23. [PS]नफताली के लिए मोशेह के वचन थे: [QE][QS]“नफताली, तुम याहवेह की दी हुई समृद्धि में [QE][QS2]उनकी कृपादृष्टि में संतुष्ट हो; [QE][QS2]तुम जाकर सागर और दक्षिण क्षेत्र पर अधिकार कर लो.” [QE]
24. [PS]आशेर के लिए मोशेह ने कहा: [QE][QS]“आशेर तो याकोब के अन्य पुत्रों से अधिक धन्य है; [QE][QS2]उसे उसके भाइयों की भी कृपादृष्टि प्राप्‍त हो. [QE][QS2]उसके पांव तेल में जा पड़े. [QE]
25. [QS]तुम्हारे फाटकों पर लोहे और कांस्य की शलाकाएं होंगी, [QE][QS2]तुम्हारा बल उतना ही होगा, जितने होंगे उम्र के साल. [QE][PBR]
26. [QS]“कोई भी नहीं है यशुरून के परमेश्वर के तुल्य, [QE][QS2]जो तुम्हारी सहायता के लिए आकाशमंडल में [QE][QS2]और अपनी भव्यता में बादलों में आना-जाना करते हैं. [QE]
27. [QS]वह परमेश्वर, जो सनातन हैं, [QE][QS2]एक आसरा हैं, और उसके नीचे हैं वे भुजाएं, जो हमेशा के लिए हैं, [QE][QS]याहवेह ने ही उस शत्रु को तुम्हारे सामने से खदेड़ दिया, [QE][QS2]और आदेश दिया, ‘नाश हो जाओ!’ [QE]
28. [QS]इसलिये अब इस्राएल का रहना सुरक्षा में है; [QE][QS2]याकोब का स्रोत अब अलग हो गया है. [QE][QS]अब वह उस देश में बस चुका है, जो अन्‍न और नए अंगूरों के रस से भरा एक देश है, [QE][QS2]उस पर तो आकाश भी ओस वृष्टि करता है. [QE]
29. [QS]इस्राएल! तुम धन्य हो, [QE][QS2]कौन है तुम्हारे समान, [QE][QS2]जिसे याहवेह ने ही मुक्त किया है? [QE][QS]जो तुम्हारी सहायता की ढाल हैं, [QE][QS2]और तुम्हारे वैभव की तलवार! [QE][QS]तब तुम्हारे सामने तुम्हारे शत्रु दुबक जाएंगे, [QE][QS2]तब तुम उनके पूजा स्थलों को रौंद डालोगे.” [QE]
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मोशेह का अंतिम आशीर्वाद 1 अपनी मृत्यु के पहले मोशेह ने, जो परमेश्वर के जन थे, इस्राएलियों को इन शब्दों में आशीर्वाद दिए. 2 उन्होंने कहा: “याहवेह सीनायी से आ गए और सेईर से उन पर सूर्योदय के समान प्रकट हुए; पारान पर्वत से उन्होंने अपनी रोशनी बिखेरी, और वह दस हज़ार पवित्र प्राणियों के बीच में दिखाई दिए, उनके दाएं हाथ से उन पर बिजली कौंध गई. 3 वस्तुतः वह तो अपनी प्रजा से प्रेम ही करते हैं. याहवेह, आपके सभी पवित्र प्राणी आपके अधीन हैं, वे आपके चरणों में बैठ, आपकी आज्ञा स्वीकार करते हैं. 4 मोशेह से हमें व्यवस्था प्राप्‍त हुआ है, यह याकोब के वंशजों का खजाना है. 5 जब सारी प्रजा के प्रधान इकट्ठा हुए थे, जब इस्राएल के सारे गोत्र वहां थे, याहवेह यशुरून* अर्थ: धर्मी; अर्थात् इस्राएल में शासक थे. 6 “रियूबेन जीवित रहे, उसकी मृत्यु न हो, और न ही उसके गोत्र की गिनती कम हो.” 7 यहूदाह के लिए मोशेह के वचन थे: “याहवेह, यहूदाह की विनती सुनिए, उसे अपने लोगों तक ले आइए. उसके हाथों को मजबूत कर दीजिए, आप ही उसके शत्रुओं के विरुद्ध उसकी सहायता बने रहें!” 8 लेवी के विषय में मोशेह के वचन थे, “याहवेह, आपका थुम्मीम और आपका उरीम आपके विश्वासयोग्य लोगों के अधिकार में बना रहे, जिसे आप मस्साह में परख चुके हैं, जिसके साथ आपने मेरिबाह जल के सोते पर वाद-विवाद किया था; 9 जिसने अपने पिता और अपनी माता के विषय में कहा था, ‘वे मेरे लिए कोई नहीं हैं.’ उसने अपने भाइयों को भी नहीं अपनाया, और न ही अपनी ही संतान को, क्योंकि वे आपके आदेश के पालक बने रहे, उन्होंने आपकी वाचा का सम्मान बनाए रखा. 10 वे ही हैं, जो याकोब को आपके नियमों की शिक्षा देंगे, और इस्राएल को आपके विधान की. वे आपके सामने धूप जलाएंगे, और आपकी वेदी पर पूरी होमबलि भी. 11 याहवेह, उसकी संपदा को समृद्धि प्रदान कीजिए, उसके हाथों के परिश्रम को स्वीकार कीजिए; उसके शत्रुओं की कमर को चूर-चूर कर दीजिए, कि वे कभी उठ न सकें.” 12 बिन्यामिन के विषय में मोशेह ने कहा: “याहवेह का प्रिय, यह गोत्र उनके द्वारा दी गई सुरक्षा में रहता रहे, याहवेह उसे हमेशा सुरक्षा प्रदान करते रहते हैं, मानो वे याहवेह के दोनों कांधों के बीच सुरक्षित हैं.” 13 योसेफ़ के संबंध में मोशेह ने कहा: “याहवेह द्वारा उसका देश समृद्धि प्राप्‍त करता जाए, स्वर्ग की सर्वोत्तम वस्तुओं और ओस के द्वारा, और वह जल जो पृथ्वी की गहराई से उत्पन्‍न होता है; 14 सूर्य के प्रभाव से उत्पन्‍न उत्तम फल, और ऋतुओं में प्राप्‍त उत्तम उपज; 15 सदा से प्रतिष्ठित पर्वतों से प्राप्‍त फल और सदा की पहाड़ियों से प्राप्‍त सर्वोत्तम वस्तुएं; 16 पृथ्वी की भरपूरी में से सर्वोत्तम वस्तुएं, और उनकी कृपादृष्टि, जो जलती हुई झाड़ी में प्रकट हुई. यह सब योसेफ़ के सिर पर उतर जाए, उसके सिर पर जो अपने भाइयों से अधिक यशस्वी हुआ. 17 उसका वैभव वैसा ही है, जैसा सांड़ के पहिलौठे का; उसके सींग जंगली सांड़ के सींगों समान हैं. इनके प्रयोग से वह राष्ट्रों को घायल करेगा, उन्हें एक ही समय पर पृथ्वी के छोर तक हकाल देगा. ये ही हैं एफ्राईम के दस हज़ार; यही हैं मनश्शेह के हज़ार.” 18 मोशेह के वचन ज़ेबुलून के लिए ये थे, “ज़ेबुलून, तुम्हारी यात्राएं तुम्हारे लिए खुशी का विषय बनी रहें. इस्साखार, तुम अपने शिविरों में ही उल्लास करते रहो. 19 वे लोगों को पर्वतों पर आमंत्रित करेंगे वहां वे उपयुक्त बलि चढ़ाएंगे; वे महासागर से उत्पन्‍न की भरपूरी के स्वामी होंगे, वे बालू में छुपे हुए खजाने प्राप्‍त करेंगे.” 20 गाद के लिए मोशेह ने कहा: “धन्य है गाद का विस्तार! गाद का जीवन सिंह के समान है, वह भुजा को फाड़ देता है और खोपड़ी को भी. 21 उसने तो सबसे अच्छी भूमि अपने लिए चुन ली है, क्योंकि वही शासक के लिए तय अंश आरक्षित था; उसने गोत्रपिताओं के साथ आकर, इस्राएल के लिए याहवेह के नियमों और याहवेह के न्याय का पालन किया.” 22 दान के विषय में मोशेह ने कहा: “दान तो सिंह का बच्चा है, जो बाशान से छलांग लगाता है.” 23 नफताली के लिए मोशेह के वचन थे: “नफताली, तुम याहवेह की दी हुई समृद्धि में उनकी कृपादृष्टि में संतुष्ट हो; तुम जाकर सागर और दक्षिण क्षेत्र पर अधिकार कर लो.” 24 आशेर के लिए मोशेह ने कहा: “आशेर तो याकोब के अन्य पुत्रों से अधिक धन्य है; उसे उसके भाइयों की भी कृपादृष्टि प्राप्‍त हो. उसके पांव तेल में जा पड़े. 25 तुम्हारे फाटकों पर लोहे और कांस्य की शलाकाएं होंगी, तुम्हारा बल उतना ही होगा, जितने होंगे उम्र के साल. 26 “कोई भी नहीं है यशुरून के परमेश्वर के तुल्य, जो तुम्हारी सहायता के लिए आकाशमंडल में और अपनी भव्यता में बादलों में आना-जाना करते हैं. 27 वह परमेश्वर, जो सनातन हैं, एक आसरा हैं, और उसके नीचे हैं वे भुजाएं, जो हमेशा के लिए हैं, याहवेह ने ही उस शत्रु को तुम्हारे सामने से खदेड़ दिया, और आदेश दिया, ‘नाश हो जाओ!’ 28 इसलिये अब इस्राएल का रहना सुरक्षा में है; याकोब का स्रोत अब अलग हो गया है. अब वह उस देश में बस चुका है, जो अन्‍न और नए अंगूरों के रस से भरा एक देश है, उस पर तो आकाश भी ओस वृष्टि करता है. 29 इस्राएल! तुम धन्य हो, कौन है तुम्हारे समान, जिसे याहवेह ने ही मुक्त किया है? जो तुम्हारी सहायता की ढाल हैं, और तुम्हारे वैभव की तलवार! तब तुम्हारे सामने तुम्हारे शत्रु दुबक जाएंगे, तब तुम उनके पूजा स्थलों को रौंद डालोगे.”
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