पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
सभोपदेशक
1. [QS]जिस प्रकार मरी हुई मक्खियां सुगंध तेल को बदबूदार बना देती हैं, [QE][QS2]उसी प्रकार थोड़ी सी मूर्खता बुद्धि और सम्मान पर भारी पड़ती है. [QE]
2. [QS]बुद्धिमान का हृदय तो उसे सही ओर ले जाता है, [QE][QS2]किंतु मूर्ख का हृदय उसे उस ओर जो गलत है. [QE]
3. [QS]रास्ते पर चलते समय भी मूर्खों के हृदय में, [QE][QS2]समझ की कमी होती है, [QE][QS2]और सबसे उसका कहना यही होता है कि वह एक मूर्ख है. [QE]
4. [QS]यदि राजा का क्रोध तुम्हारे विरुद्ध भड़क गया है, [QE][QS2]तो भी तुम अपनी जगह को न छोड़ना; [QE][QS2]क्योंकि तुम्हारा धीरज उसके क्रोध को बुझा देगा. [QE][PBR]
5. [QS]सूरज के नीचे मैंने एक और बुराई देखी, [QE][QS2]जैसे इसे कोई राजा अनजाने में ही कर बैठता है. [QE]
6. [QS]वह यह कि मूर्खता ऊंचे पदों पर बैठी होती है, [QE][QS2]मगर धनी लोग निचले पदों पर ही होते हैं. [QE]
7. [QS]मैंने दासों को तो घोड़ों पर, [QE][QS2]लेकिन राजाओं को दासों के समान पैदल चलते हुए देखा है. [QE][PBR]
8. [QS]जो गड्ढा खोदता है वह खुद उसमें गिरेगा; [QE][QS2]और जो दीवार में सेंध लगाता है, सांप उसे डस लेगा. [QE]
9. [QS]जो पत्थर खोदता है वह उन्हीं से चोटिल हो जाएगा; [QE][QS2]और जो लकड़ी फाड़ता है, वह उन्हीं से जोखिम में पड़ जाएगा. [QE][PBR]
10. [QS]यदि कुल्हाड़े की धार तेज नहीं है [QE][QS2]और तुम उसको पैना नहीं करते, [QE][QS]तब तुम्हें अधिक मेहनत करनी पड़ेगी; [QE][QS2]लेकिन बुद्धि सफलता दिलाने में सहायक होती है. [QE][PBR]
11. [QS]और यदि सांप मंत्र पढ़ने से पहले ही डस ले तो, [QE][QS2]मंत्र पढ़ने वाले का कोई फायदा नहीं. [QE][PBR]
12. [QS]बुद्धिमान की बातों में अनुग्रह होता है, [QE][QS2]जबकि मूर्खों के ओंठ ही उनके विनाश का कारण हो जाते है. [QE]
13. [QS]उसकी बातों की शुरुआत ही मूर्खता से होती है [QE][QS2]और उसका अंत दुखदाई पागलपन होता है. [QE]
2. [QS2]जबकि वह अपनी बातें बढ़ाकर भी बोलता है. [QE][PBR] [QS]यह किसी व्यक्ति को मालूम नहीं होता कि क्या होनेवाला है, [QE][QS2]और कौन उसे बता सकता है कि उसके बाद क्या होगा? [QE][PBR]
15. [QS]मूर्ख की मेहनत उसे इतना थका देती है; [QE][QS2]कि उसे नगर का रास्ता भी पता नहीं होता. [QE][PBR]
16. [QS]धिक्कार है उस देश पर जिसका राजा एक कम उम्र का युवक है [QE][QS2]और जिसके शासक सुबह से ही मनोरंजन में लग जाते हैं. [QE]
17. [QS]मगर सुखी है वह देश जिसका राजा कुलीन वंश का है [QE][QS2]और जिसके शासक ताकत के लिए भोजन करते हैं, [QE][QS2]न कि मतवाले बनने के लिए. [QE][PBR]
18. [QS]आलस से छत की कड़ियों में झोल पड़ जाते हैं; [QE][QS2]और जिस व्यक्ति के हाथों में सुस्ती होती है उसका घर टपकने लगता है. [QE][PBR]
19. [QS]लोग मनोरंजन के लिए भोजन करते हैं, [QE][QS2]दाखमधु जीवन में आनंद को भर देती है, [QE][QS2]और धन से हर एक समस्या का समाधान होता है. [QE][PBR]
20. [QS]अपने विचारों में भी राजा को न धिक्कारना, [QE][QS2]और न ही अपने कमरे में किसी धनी व्यक्ति को शाप देना, [QE][QS]क्योंकि हो सकता है कि आकाश का पक्षी तुम्हारी वह बात ले उड़े [QE][QS2]और कोई उड़नेवाला जंतु उन्हें इस बारे में बता देगा. [QE]
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1 जिस प्रकार मरी हुई मक्खियां सुगंध तेल को बदबूदार बना देती हैं, उसी प्रकार थोड़ी सी मूर्खता बुद्धि और सम्मान पर भारी पड़ती है. 2 बुद्धिमान का हृदय तो उसे सही ओर ले जाता है, किंतु मूर्ख का हृदय उसे उस ओर जो गलत है. 3 रास्ते पर चलते समय भी मूर्खों के हृदय में, समझ की कमी होती है, और सबसे उसका कहना यही होता है कि वह एक मूर्ख है. 4 यदि राजा का क्रोध तुम्हारे विरुद्ध भड़क गया है, तो भी तुम अपनी जगह को न छोड़ना; क्योंकि तुम्हारा धीरज उसके क्रोध को बुझा देगा. 5 सूरज के नीचे मैंने एक और बुराई देखी, जैसे इसे कोई राजा अनजाने में ही कर बैठता है. 6 वह यह कि मूर्खता ऊंचे पदों पर बैठी होती है, मगर धनी लोग निचले पदों पर ही होते हैं. 7 मैंने दासों को तो घोड़ों पर, लेकिन राजाओं को दासों के समान पैदल चलते हुए देखा है. 8 जो गड्ढा खोदता है वह खुद उसमें गिरेगा; और जो दीवार में सेंध लगाता है, सांप उसे डस लेगा. 9 जो पत्थर खोदता है वह उन्हीं से चोटिल हो जाएगा; और जो लकड़ी फाड़ता है, वह उन्हीं से जोखिम में पड़ जाएगा. 10 यदि कुल्हाड़े की धार तेज नहीं है और तुम उसको पैना नहीं करते, तब तुम्हें अधिक मेहनत करनी पड़ेगी; लेकिन बुद्धि सफलता दिलाने में सहायक होती है. 11 और यदि सांप मंत्र पढ़ने से पहले ही डस ले तो, मंत्र पढ़ने वाले का कोई फायदा नहीं. 12 बुद्धिमान की बातों में अनुग्रह होता है, जबकि मूर्खों के ओंठ ही उनके विनाश का कारण हो जाते है. 13 उसकी बातों की शुरुआत ही मूर्खता से होती है और उसका अंत दुखदाई पागलपन होता है. 2 जबकि वह अपनी बातें बढ़ाकर भी बोलता है. यह किसी व्यक्ति को मालूम नहीं होता कि क्या होनेवाला है, और कौन उसे बता सकता है कि उसके बाद क्या होगा? 15 मूर्ख की मेहनत उसे इतना थका देती है; कि उसे नगर का रास्ता भी पता नहीं होता. 16 धिक्कार है उस देश पर जिसका राजा एक कम उम्र का युवक है और जिसके शासक सुबह से ही मनोरंजन में लग जाते हैं. 17 मगर सुखी है वह देश जिसका राजा कुलीन वंश का है और जिसके शासक ताकत के लिए भोजन करते हैं, न कि मतवाले बनने के लिए. 18 आलस से छत की कड़ियों में झोल पड़ जाते हैं; और जिस व्यक्ति के हाथों में सुस्ती होती है उसका घर टपकने लगता है. 19 लोग मनोरंजन के लिए भोजन करते हैं, दाखमधु जीवन में आनंद को भर देती है, और धन से हर एक समस्या का समाधान होता है. 20 अपने विचारों में भी राजा को न धिक्कारना, और न ही अपने कमरे में किसी धनी व्यक्ति को शाप देना, क्योंकि हो सकता है कि आकाश का पक्षी तुम्हारी वह बात ले उड़े और कोई उड़नेवाला जंतु उन्हें इस बारे में बता देगा.
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