1. {#1पवित्र स्थान के लिए अर्पित अनुदान } [PS]फिर याहवेह ने मोशेह से कहा:
2. “इस्राएलियों से कहो कि वे मेरे लिए भेंट लाएं. और तुम यह भेंट उन्हीं से लेना जो अपनी इच्छा से दे. [PE][PBR]
3. [LS4] “ये हैं भेंटें जिन्हें तुम उनसे प्राप्त करोगे: [LE][PBR] [LS]“सोना, चांदी, कांसे; [LE]
4. [LS] नीले, बैंगनी तथा लाल सूक्ष्म मलमल; [LE][LS]बकरे के रोम; [LE]
5. [LS] मेमने की रंगी हुई लाल खाल, सूंस की खाल, [LE][LS]बबूल की लकड़ी, [LE]
6. [LS] दीपक के लिए तेल; [LE][LS]अभिषेक का तेल एवं सुगंधधूप के लिए सुगंध द्रव्य; [LE]
7. [LS] एफ़ोद तथा सीनाबंद में जड़ने के लिए सुलेमानी गोमेद नाग तथा अन्य नग, [LE][PBR]
8. [PS]“और मेरे लिए एक पवित्र स्थान बनाना. ताकि मैं उनके बीच रहूं.
9. पवित्र निवास स्थान के लिये जैसा मैं तुमको बताऊं वैसा ही सामान लेना और उसी तरीके से बनाना. [LE]
10. {#1वाचा का संदूक } [PS]“उन्हीं बबूल की लकड़ी से एक संदूक बनाना, जिसकी लंबाई एक सौ दस सेंटीमीटर तथा चौड़ाई और ऊंचाई सत्तर-सत्तर सेंटीमीटर हों.
11. और संदूक के अंदर और बाहर सोना लगाना. और संदूक के ऊपर चारों तरफ सोने की किनारी लगाना.
12. इसके चारों पायों पर लगाने के लिए सोने के चार कड़े बनाना; सोने के कड़ों को चारों कोनों पर लगाना—दो कड़े एक तरफ और, दो कड़े दूसरी तरफ हों.
13. फिर बबूल की लकड़ी से डंडे बनवाना, उस पर भी सोना लगाना.
14. डंडों को दोनों तरफ के कड़ों में डालना ताकि संदूक को उठाना आसान हो.
15. डंडे को संदूक की कड़ों में से न हटाना.
16. मैं तुम्हें एक साक्षी पट्टिया दूंगा, उसे उस संदूक में रखना. [LE]
17. [PS]“सोने से करुणासन[* करुणासन संदूक का ढकना जिसे मूल भाषा में प्रायश्चित का ढकना; अर्थात् पापों को ढांपने का स्थान कहलाता था ] बनाना, जो एक सौ दस सेंटीमीटर लंबा तथा सत्तर सेंटीमीटर चौड़ा होगा.
18. सोने के पत्रों से दो करूबों को बनाकर करुणासन के दोनों ओर लगाना.
19. एक करूब एक तरफ तथा दूसरा करूब दूसरी तरफ लगाना. ये करूब करुणासन के साथ ऐसे जुड़े हों, मानो यह एक ही हो.
20. करूबों के पंख ऊपर से ऐसे खुले हों जिससे करुणासन उनसे ढका रह सके और वे एक दूसरे के आमने-सामने तथा उनके मुंह करुणासन की ओर झुके हुए हों.
21. करुणासन को संदूक के ऊपर लगाना और साक्षी पट्टिया जो मैं तुम्हें दूंगा उसे संदूक के अंदर रखना.
22. और मैं करुणासन के ऊपर से तुमसे मिलूंगा और इस्राएलियों के लिए जितनी आज्ञा मैं तुम्हें दूंगा वह संदूक के अंदर रखना. [LE]
23. {#1रोटी की मेज़ } [PS]“तुम बबूल की लकड़ी से एक मेज़ बनाना. जो नब्बे सेंटीमीटर लंबी, पैंतालीस सेंटीमीटर चौड़ी और साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर ऊंची होगी.
24. मेज़ पर पूरा सोना लगाना मेज़ की किनारी भी सोने की बनाना.
25. मेज़ के चारों ओर सोने की साढ़े सात सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी लगाना और चारों तरफ से इस पट्टी को सोने से मढ़ना.
26. मेज़ के लिए सोने के चार कड़े बनाना और मेज़ के चारों पैरों के ऊपर के कोनों पर इन सोने के कड़ों को लगाना.
27. कड़े पट्टी के पास लगाना ताकि मेज़ उठाने के लिये डंडे इन कड़ों में डाले जा सके.
28. डंडे बबूल की लकड़ी से बनाकर उस पर सोना चढ़ाना. डंडे के सहारे से ही मेज़ को उठाया जाए.
29. तुम धूप के लिए थालियों, तवों, कटोरियों तथा सुराहियां, चम्मच सब सोने से बनवाना.
30. मेज़ पर मेरे सामने भेंट की रोटी हमेशा रखना. [LE]
31. {#1स्वर्ण दीपदान } [PS]“फिर शुद्ध सोने का एक दीपस्तंभ बनाना. उसके आधार तथा उसके डंडे को बनाना, और उसमें फूलों के समान प्याले बनाना. प्यालों के साथ कलियां और खिले हुए पुष्प हों. ये सभी चीज़ें सोना पीटकर एक ही इकाई में परस्पर जुड़ी हुई हो.
32. दीये से छः डालियां निकलें, तीन एक तरफ और तीन दूसरी तरफ रखना.
33. हर डाली में बादाम के फूल जैसी तीन कलियां और एक गांठ हों, और एक फूल दीये से बाहर निकली हुई, पूरी छः डालियों को इसी आकार से बनाना.
34. दीये की डंडी में चार फूल बनाना, जिसमें बादाम के फूल के समान कलियां तथा पंखुड़ियां बनाना.
35. दीये से निकली हुई छः डालियों में से दो-दो डालियों के नीचे एक-एक गांठ हों और दीये समेत एक ही टुकड़े से बने हो.
36. कलियां, शाखाएं और दीप का स्तंभ शुद्ध सोने को पीटकर बने हो. [LE]
37. [PS]“सात दीये बनाना और सातों दीयों को जलाए रखना ताकि वे रोशनी दे सकें.
38. चिमटियां तथा इन्हें रखने के बर्तन भी सोने के हों.
39. ये पूरा सामान लगभग पैंतीस किलो सोने से बना हो.
40. सावधानी से इन सभी चीज़ों को बिलकुल वैसा ही बनाना जैसा तुम्हें पर्वत पर दिखाया गया था. [LE]