1. {#1येरूशलेम पर सुनिश्चित दंड } [PS]तब आत्मा मुझे उठाकर याहवेह के भवन के उस द्वार पर ले आया, जिसका मुख पूर्व दिशा की ओर है. मैंने देखा कि वहां द्वार के प्रवेश स्थल पर पच्चीस व्यक्ति थे, और उनके बीच मैंने अज्ज़ूर के पुत्र यात्सानिया और बेनाइयाह के पुत्र पेलातियाह को देखा, जो लोगों के अगुए थे.
2. याहवेह ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ये वे लोग हैं, जो इस शहर में बुरे षड़्यंत्र रच रहे हैं और बुरी सलाह दे रहे हैं.
3. वे कहते हैं, ‘क्या हमारे घर अभी हाल ही में नहीं बने हैं? यह शहर एक बर्तन है और हम इसमें रखे मांस हैं.’
4. इसलिये हे मनुष्य के पुत्र, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी करो, भविष्यवाणी करो.” [PE]
5. [PS]तब याहवेह का आत्मा मुझ पर आया, और मुझसे यह कहने के लिये कहा: “याहवेह का यह कहना है: हे इस्राएल के अगुओं, तुम यही कह रहे हो, पर मैं जानता हूं कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है.
6. तुमने इस शहर में बहुत से लोगों को मार डाला है और इसकी गलियों को लाशों से भर दिया है. [PE]
7. [PS]“इसलिये परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: वे शरीर, जिनको तुमने वहां फेंक दिया है, वे मांस हैं और यह शहर एक बर्तन, पर मैं तुमको यहां से निकाल दूंगा.
8. तुम तलवार से डरते हो, और तलवार ही प्रयोग मैं तुम्हारे विरुद्ध करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
9. मैं तुम्हें शहर से बाहर निकाल दूंगा और तुम्हें विदेशियों के हाथ में दे दूंगा और तुम्हें दंड दूंगा.
10. तुम तलवार से मारे जाओगे, और मैं तुम्हें इस्राएल की सीमाओं पर दंड दूंगा. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
11. यह शहर तुम्हारे लिये एक बर्तन न होगा और न ही तुम इसमें के मांस होगे; मैं तुम्हें इस्राएल की सीमाओं पर दंड दूंगा.
12. और तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, क्योंकि तुमने मेरे नियमों और कानूनों को नहीं माना है, पर तुम अपने चारों तरफ के जातियों के नियमों पर चले हो.” [PE]
13.
14. [PS]जब मैं भविष्यवाणी कर ही रहा था कि बेनाइयाह के पुत्र पेलातियाह की मृत्यु हो गई. तब मैं मुंह के बल गिरा और ऊंची आवाज में पुकारकर कहा, “हाय, हे परम प्रधान याहवेह! क्या आप इस्राएल के बचे हुओं को नाश कर देंगे?” [PE]{#1इस्राएल के लौट आने की प्रतिज्ञा } [PS]याहवेह का वचन मेरे पास आया:
15. “हे मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे साथ के बंधुआ लोगों और दूसरे इस्राएलियों के बारे में येरूशलेम के लोगों ने ये कहा है, ‘वे याहवेह से बहुत दूर हैं; यह देश हमें हमारे संपत्ति के रूप में दिया गया है.’ [PE]
16.
17. [PS]“इसलिये यह कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: यद्यपि मैंने उन्हें बहुत दूर के जनताओं के बीच भेजकर विभिन्न देशों में बिखेर दिया है, तौभी मैं उनके लिए उन देशों में, जहां वे गये हैं, थोड़े समय के लिये आश्रय-स्थल बना रहा.’ [PE]
18. [PS]“इसलिये उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम्हें जनताओं के बीच से इकट्ठा करूंगा और मैं तुम्हें उन देशों से वापस लाऊंगा, जहां तुम तितर-बितर किए गये हो, और मैं फिर से तुम्हें इस्राएल देश वापस दे दूंगा.’ [PE][PS]“वे वहां लौट आएंगे और इसमें की सब निकम्मी आकृतियों और घृणित मूर्तियों को हटा देंगे.
19. मैं उनके मन को एक कर दूंगा और उनमें एक नई आत्मा डालूंगा; मैं उनसे उनके पत्थर रूपी हृदय को निकाल दूंगा और उन्हें एक मांस का हृदय दूंगा.
20. तब वे मेरे नियमों को मानेंगे और ध्यानपूर्वक मेरे कानूनों पर चलेंगे. वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा.
21. पर वे लोग, जिनका हृदय उनकी निकम्मी आकृतियां और घृणित मूर्तियों में ही लगा रहेगा, मैं उनके कामों को उन्हीं के ही सिर पर ले आऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.” [PE]
22. [PS]तब करूबों ने अपने पंख फैलाए, और पहिये उनके बाजू में थे, और इस्राएल के परमेश्वर का तेज उनके ऊपर था.
23. याहवेह का तेज शहर के भीतर से ऊपर उठा और शहर के पूर्व में स्थित पर्वत के ऊपर जाकर ठहर गया.
24. फिर परमेश्वर के आत्मा के द्वारा दिये गये दर्शन में, आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया और बाबेल[* बाबेल अर्थात् कसदिया देश ] में बंधुओं के पास ले आया. [PE][PS]तब वह दर्शन वहीं समाप्त हो गया,
25. और याहवेह ने मुझे दर्शन में जो दिखाया था, वे सब बातें मैंने बंधुओं को बता दी. [PE]