1. {#1दो व्यभिचारी बहनें } [PS]याहवेह का वचन मेरे पास आया:
2. “हे मनुष्य के पुत्र, दो स्त्रियां थी, जो एक ही मां की बेटियां थी.
3. वे मिस्र देश में वेश्या बन गईं और वे अपनी जवानी के दिनों से वेश्यावृत्ति करती थी. उसी देश में उनके स्तनों से दुलार किया गया और उनके कुंवारी छाती से लाड़ किया गया.
4. बड़ी बहन का नाम ओहोलाह, और छोटी का नाम ओहोलीबाह था. वे मेरी थी और उन्होंने बेटे-बेटियों को जन्म दिया. ओहोलाह शमरिया है, और ओहोलीबाह येरूशलेम है. [PE]
5. [PS]“जब ओहोलाह मेरी ही थी, तभी वह वेश्यावृत्ति करने लगी; वह अपने प्रेमियों के लिये लालायित रहती थी—जो नीले कपड़े पहने अश्शूरी योद्धा थे,
6. राज्यपाल और सेनापति थे, ये सबके सब सुंदर और जवान थे, और उसके प्रेमियों में घुड़सवार भी थे.
7. उसने अपने आपको वेश्या के रूप में सबसे अच्छे अश्शूरियों को दे दिया और उन हर एक के मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध किया जिनके लिये वह लालायित रहती थी.
8. जो वेश्यावृत्ति उसने मिस्र देश में शुरू की थी, उसे उसने नहीं छोड़ा, जब उसकी जवानी के समय पुरुष उसके साथ सोते थे, उसकी कुंवारी छाती को दुलारते थे और अपनी काम-वासना उस पर लुटाते थे. [PE]
9. [PS]“इसलिये मैंने उसे उसके प्रेमी अश्शूरियों के हाथ में सौंप दिया, जिनके लिये वह लालायित रहती थी.
10. उन्होंने उसे नंगी कर दिया, उसके बेटे और बेटियों को ले लिया और उसे तलवार से मार डाला. वह स्त्रियों के बीच एक कहावत बन गई और उसे दंड दिया गया. [PE]
11. [PS]“उसकी बहन ओहोलीबाह यह सब देखी, फिर भी वह काम-वासना और वेश्यावृत्ति में अपनी बहन से कहीं अधिक भ्रष्ट थी.
12. वह भी अश्शूरियों के पीछे काम-वासना से आसक्त थी—जिसमें राज्यपाल और सेनापति, पोशाक पहने योद्धा, घुड़सवार और सब सुंदर पुरुष आते थे.
13. मैंने देखा कि उसने भी अपने आपको अशुद्ध कर लिया था; दोनों बहनों का चालचलन एक जैसा था. [PE]
14. [PS]“पर ओहोलीबाह अपनी वेश्यावृत्ति में आगे थी. उसने एक दीवार पर आदमियों के चित्र को देखा, जिसमें बाबेलियों को लाल रंग में चित्रित किया गया था;
15. चित्र में आदमियों के कमर में पट्टा बंधा था और उनके सिरों पर लहराती पगड़ी थी; वे सबके सब बाबेल के निवासी, बाबेली रथ के अधिकारी जैसे लगते थे.
16. वह उन्हें देखते ही, उनके प्रति काम-वासना से आसक्त हो गई और कसदिया में उनके दूत भेजी.
17. तब बाबेली प्यार में हमबिस्तर होने के लिये उसके पास आये, और अपने काम-वासना में उसे अशुद्ध किया. उनके द्वारा अशुद्ध होने के बाद, वह घृणा में उनसे अलग हो गई.
18. जब उसने खुलेआम वेश्यावृत्ति किया और अपने नंगी देह को दिखाया, तो मैं घृणा में उससे दूर हो गया, जैसा कि मैं उसकी बहन से दूर हो गया था.
19. फिर भी वह अपने दुराचार वृत्ति में और भी बढ़ती गई, अपने जवानी के दिनों को याद करते हुए जब वह मिस्र देश में एक वेश्या थी.
20. वहां वह अपने यारों के पीछे काम-वासना के लिये लगी रहती थी, जिनके जननांग गधों के जननांग जैसे और उनका वीर्य-उत्सर्जन घोड़ों के समान होता था.
21. इस प्रकार तुम अपनी जवानी की कामुकता की लालसा करती थी, जब मिस्र में तुम्हारे छाती को दुलारा जाता था और तुम्हारे स्तन से लाड़ किया जाता था. [PE]
22. [PS]“इसलिये हे ओहोलीबाह, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम्हारे प्रेमियों को तुम्हारे विरुद्ध भड़काऊंगा, जिनसे तुम घृणा करते हुए दूर हो गई थी, और मैं उन्हें चारों ओर से तुम्हारे विरुद्ध लाऊंगा.
23. बाबेलियों और सब कसदी, पेकोद, शोआ और कोआ के पुरुष, और उनके साथ सब अश्शूरी, सुंदर जवान, उनमें सबके सब राज्यपाल और सेनापति, रथ अधिकारी और उच्च पदस्थ व्यक्ति, सबके सब घोड़े पर सवार हैं.
24. वे तुम्हारे विरुद्ध हथियार, रथ और चार पहिया गाड़ी लेकर लोगों की भीड़ के साथ आएंगे; वे चारों तरफ से छोटी और बड़ी ढाल के साथ सिर में टोप लगाकर तुम्हारे विरुद्ध मोर्चा बांधेंगे. मैं तुम्हें दंड के लिये उनके हाथ में सौंप दूंगा, और वे अपने स्तर के अनुसार उन्हें दंड देंगे.
25. मैं तुम पर अपना जलन भरा क्रोध दिखाऊंगा, और तुम्हारे प्रति उनका व्यवहार बहुत क्रोधपूर्ण होगा. वे तुम्हारी नाक और कान काट डालेंगे, और तुममें से जो बच जाएंगे, वे तलवार से मारे जाएंगे. वे तुम्हारे बेटे और बेटियों को ले लेंगे, और तुममें से जो बच जाएंगे, वे आग से जलकर नष्ट हो जाएंगे.
26. वे तुमसे तुम्हारे कपड़े भी उतार लेंगे और तुम्हारे सुंदर गहने छीन लेंगे.
27. इस प्रकार मैं उस काम-वासना और वेश्यावृत्ति को बंद कर दूंगा, जिसे तुमने मिस्र देश में शुरू किया था. तुम इन चीज़ों की कामना नहीं करोगी या मिस्र देश को फिर याद नहीं करोगी.” [PE]
28. [PS]क्योंकि परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: “मैं तुम्हें उन लोगों के हाथ में सौंपने ही वाला हूं, जिनसे तुम घृणा करती हो, उनके हाथ, जिनसे घृणा के कारण तुम दूर हो गई थी.
29. वे तुम्हारे साथ घृणित व्यवहार करेंगे और तुम्हारी कमाई हुई सारी चीज़ें ले लेंगे. वे तुम्हें एकदम नंगी छोड़ देंगे, और तुम्हारी वेश्यावृत्ति की निर्लज्जता प्रगट हो जाएगी. तुम्हारी अश्लीलता और दुराचार वृत्ति के कारण
30. यह सब तुम पर हुआ है, क्योंकि तुम जाति-जाति के लोगों के पीछे काम-वासना के लिये भागी और उनकी मूर्तियों से तुमने अपने आपको अशुद्ध किया.
31. तुम अपनी बहन के रास्ते पर चली हो; इसलिये मैं उसका कटोरा तुम्हारे हाथ में दूंगा.” [PE]
32. [PS]परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: [PE][QS]“तुम अपनी बहन के कटोरे को पीओगी, [QE][QS2]जो बड़ा और गहरा है; [QE][QS]इसके कारण तुम तिरस्कार और हंसी का पात्र होंगी, [QE][QS2]क्योंकि इसमें बहुत कुछ समाता है. [QE]
33. [QS]तुम मतवालापन और दुःख से भर जाओगी, [QE][QS2]यह विनाश और निर्जनता का कटोरा है, [QE][QS2]यह तुम्हारी बहन शमरिया का कटोरा है. [QE]
34. [QS]तुम इसे पीकर खाली कर दोगी [QE][QS2]और इसके टुकड़ों को चबाओगी [QE][QS2]और अपने छातियों को घायल करोगी. [QE][MS]यह मैंने कहा है, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. [ME][PBR]
35.
36. [PS]“इसलिये परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जब तुमने मुझे भूला दिया है और मुझसे अपना मुंह फेर लिया है, तो ज़रूरी है कि तुम अपने अश्लीलता और वेश्यावृत्ति का फल भोगो.” [PE][PS]याहवेह ने मुझसे कहा: “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुम ओहोलाह और ओहोलीबाह का न्याय करोगे? तो फिर उनके घृणित काम उन्हें बताओ,
37. क्योंकि उन्होंने व्यभिचार किया है और उनके हाथ खून से रंगे हैं. उन्होंने मूर्तियों के साथ व्यभिचार किया है; और तो और उन्होंने उन अपने बच्चों को उनके भोजन के रूप में बलिदान किया है, जो मेरे द्वारा ही पैदा हुए थे.
38. उन्होंने मेरे साथ यह भी किया है: उसी समय उन्होंने मेरे पवित्र स्थान को अशुद्ध किया है और मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया है.
39. जिस दिन उन्होंने अपने बच्चों को अपनी मूर्तियों के लिये बलिदान किया, उसी दिन उन्होंने मेरे पवित्र स्थान में प्रवेश किया और उसे अपवित्र किया. उन्होंने मेरे भवन के भीतर यही किया है. [PE]
40. [PS]“और तो और उन्होंने दूत भेजकर बहुत दूर से लोगों को बुलवाया, और जब वे आ गये, तो तुम उनके लिये नहाई-धोई, अपने आंखों का श्रृंगार किया और अपने गहनों को पहना.
41. तब तुम एक सुंदर सोफा में बैठ गईं, जिसके सामने एक टेबल रखा था, जिस पर तुमने धूप और जैतून का तेल रखा था, जो कि मेरा था. [PE]
42. [PS]“उसके चारों तरफ लापरवाह भीड़ का कोलाहल सुनाई दे रहा था; पियक्कड़ों को निर्जन प्रदेश से उपद्रवी लोगों के साथ लाया गया था, जो उस स्त्री और उसकी बहन के हाथों में कंगन और उनके सिर में सुंदर मुकुट पहना दिये थे.
43. तब मैंने उस स्त्री के बारे में कहा, जो व्यभिचार करते-करते बेहाल हो चुकी थी, ‘अब वे उसका उपयोग एक वेश्या के रूप में करें, क्योंकि वह वेश्या ही तो है.’
44. और वे उसके साथ सोए. जैसे पुरुष एक वेश्या के साथ सोते हैं, वैसे ही वे उन कामुक स्त्रियों, ओहोलाह एवं ओहोलीबाह के साथ सोए.
45. परंतु धर्मी न्यायाधीश उनको उन स्त्रियों का दंड देंगे, जो व्यभिचार करती और खून बहाती हैं, क्योंकि वे व्यभिचारिणी हैं और उनके हाथ खून से रंगे हैं. [PE]
46. [PS]“परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: उनके विरुद्ध एक बड़ी भीड़ ले आओ और उन्हें आतंकित होने और लूटे जाने के किए सौंप दो.
47. उस भीड़ के लोग उन पर पत्थरवाह करेंगे और उन्हें अपने तलवार से काट डालेंगे; वे उनके बेटे-बेटियों को मार डालेंगे और उनके घरों को जला देंगे. [PE]
48. [PS]“इस प्रकार मैं इस देश से काम-वासना का अंत कर दूंगा, ताकि सब स्त्रियों के लिये यह एक चेतावनी हो और वे तुम्हारे समान काम न करें.
49. तुम्हें अपने कामुकता का दंड भोगना पड़ेगा और तुम्हें अपने मूर्तियों के पाप का फल भी भोगना पड़ेगा. तब तुम जानोगे कि मैं परम प्रधान याहवेह हूं.” [PE]