1. {#1परमेश्वर से मेल-मिलाप } [PS]जब एज़्रा परमेश्वर के भवन के सामने भूमि पर दंडवत कर प्रार्थना करते हुए पाप स्वीकार करते हुए रो रहे थे, इस्राएल के पुरुषों, स्त्रियों एवं बालकों की एक बहुत बड़ी भीड़ उनके पास इकट्ठी हो चुकी थी. वे सभी फूट-फूटकर रो रहे थे.
2. एलाम कुल के येहिएल के पुत्र शेकानियाह ने एज़्रा से कहा, “हम अपने परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं रहे हैं और हमने इस देश के लोगों में से विदेशी स्त्रियों से विवाह कर लिया है. यह सब होने पर भी इस्राएल के लिए अब एक ही आशा बची है.
3. इसलिये अब आइए हम अपने परमेश्वर से वाचा बांधें तथा अपनी सभी पत्नियों तथा उनसे पैदा बालकों को छोड़ दें-जैसा कि मेरे प्रधान तथा उनका जिन्हें परमेश्वर के इस आदेश के प्रति पूर्ण विश्वास है, उनकी सलाह है. यह सब व्यवस्था के अनुसार ही पूरा किया जाए.
4. आप तैयार हो जाइए! क्योंकि यह अब आपकी ही जवाबदारी है. हम आपके साथ हैं. आप साहस के साथ इसको कीजिए.” [PE]
5. [PS]यह सुन एज़्रा उठे तथा सभी अगुए पुरोहितों, लेवियों तथा सारे इस्राएल को यह शपथ लेने के लिए प्रेरित किया कि वे इस प्रस्ताव के अनुसार ही करेंगे. इसलिये उन्होंने यह शपथ ली.
6. तब एज़्रा परमेश्वर के भवन के सामने से उठे और एलियाशिब के पुत्र येहोहानन के कमरे में चले गए. वह उस कमरे में चले ज़रूर गए मगर उन्होंने वहां न कुछ खाया और न कुछ पिया; क्योंकि वह निकाले गए लोगों द्वारा किए गए इस विश्वासघात के लिए दुःखी थे. [PE]
7. [PS]उन सभी ने सारे यहूदिया तथा येरूशलेम में निकालकर लाए लोगों के लिए यह घोषणा की, कि उन्हें येरूशलेम में इकट्ठा होना है,
8. तथा जो कोई प्रधानों और प्राचीनों की सलाह के अनुसार तीन दिनों के भीतर वहां उपस्थित न होगा, उसकी सारी संपत्ति ज़ब्त कर ली जाएगी तथा स्वयं उसे बंधुआई से निकल आए लोगों की सभा से निकाल दिया जाएगा. [PE][PBR]
9. [PS]तब यहूदिया तथा बिन्यामिन के सारे पुरुष तीन दिनों के अंदर येरूशलेम में इकट्ठा होने को गए. यह अवसर था नवें महीने की बीसवीं तारीख का. सभी इस अवसर पर परमेश्वर के भवन के सामने खुले आंगन में बैठे हुए थे. इस विषय के कारण वे भयभीत थे तथा मूसलाधार बारिश भी हो रही थी, तब उन पर कंपकंपी छाई हुई थी.
10. पुरोहित एज़्रा खड़े हो गए तथा उन्हें संबोधित करने लगे, “आप लोगों ने विश्वासघात किया और विदेशी स्त्रियों से विवाह करने के द्वारा आपने इस्राएल पर दोष बढ़ा दिया है.
11. तब यही मौका है कि आप लोग याहवेह अपने पूर्वजों के परमेश्वर के सामने अपने पाप स्वीकार करें, तथा उनकी संतुष्टि के लिए उपयुक्त कदम उठाएं. स्वयं को इस देश के मूल निवासियों से तथा विदेशी स्त्रियों से अलग कर लीजिए.” [PE]
12. [PS]ऊंची आवाज में उपस्थित भीड़ ने घोषणा की, “जो आज्ञा! जो कुछ आपने कहा है हम वही करेंगे.
13. किंतु हम लोगों की संख्या बड़ी है, फिर यह बरसात ऋतु है, तब हम खुले में खड़े न रह सकेंगे. इसके अलावा यह काम ऐसा नहीं, जो एक अथवा दो दिनों में पूरा हो जाए, क्योंकि हमारे पाप बहुत ही भयंकर हो चुके है.
14. हमारे प्रधान सारी सभा की अगुवाई करें तथा वे सभी नगरवासी जिनकी विदेशी पत्नियां हैं, निर्धारित अवसर पर हर एक नगर के प्राचीनों एवं न्यायाध्यक्षों के साथ यहां आ जाएं, कि इस विषय के कारण हमारे परमेश्वर का यह भड़का हुआ क्रोध हम पर से शांत हो जाए.”
15. इस प्रस्ताव का विरोध सिर्फ दो व्यक्तियों ने किया: आसाहेल के पुत्र योनातन तथा तिकवाह के पुत्र याहाज़िएल. लेवी शब्बेथाइ ने इन दोनों का समर्थन किया. [PE]
16. [PS]उन सभी बंधुआई से आए लोगों ने एज़्रा द्वारा सुझाई गई योजना का समर्थन किया. पुरोहित एज़्रा ने नामों का उल्लेख करते हुए पितरों के प्रधानों को चुना. ये सभी दसवें महीने के पहले दिन इस विषय से संबंधित सच्चाईयों का परीक्षण करने इकट्ठा हो गए.
17. विदेशी स्त्रियों से विवाहित सभी पुरुषों का परीक्षण पहले महीने की पहली तारीख पर पूरा हो गया. [PE]
18. {#1अंतर्जातीय विवाह के दोषी } [LS4] पुरोहितों के उन पुत्रों में से वे, जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह कर लिया था: [LE][LS]ये थे योज़ादक का पुत्र येशुआ तथा उसके भाई: [LE][LS2]मआसेइयाह, एलिएज़र, यारिब तथा गेदालियाह.
19. उन्होंने शपथ ली कि वे अपनी पत्नियों को छोड़ देंगे. तब इसलिये कि वे दोषी थे, उन्होंने भेड़-बकरियों में से इस दोष से छूटने के लिए एक मेढ़े की बलि चढ़ाई. [LE]
20. [LS] इम्मर के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]हनानी तथा ज़ेबादिया. [LE]
21. [LS] हारिम के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]मआसेइयाह, एलियाह, शेमायाह, येहिएल तथा उज्जियाह. [LE]
22. [LS] पशहूर के पुत्रों में से: [LE][LS2]एलिओएनाइ, मआसेइयाह, इशमाएल, नेथानेल, योज़ाबाद तथा एलासाह. [LE][PBR]
23. [LS4] लेवियों में से थे: [LE][LS2]योज़ाबाद, शिमेई, केलाइयाह (अर्थात्, केलिता), पेथाइयाह, यहूदाह तथा एलिएज़र. [LE]
24. [LS] गायकवृन्दों में से था: [LE][LS2]एलियाशिब; [LE][LS]द्वारपालों में शल्लूम, [LE][LS2]तेलेम तथा उरी. [LE][PBR]
25. [LS4] इस्राएल में पारोश के पुत्रों में से थे: [LE][LS]रामियाह, इज्ज़ियाह, मालखियाह, मियामिन, एलिएज़र, मालखियाह तथा बेनाइयाह. [LE]
26. [LS] एलाम के वंशजों में से थे: [LE][LS2]मत्तनियाह, ज़करयाह, येहिएल, अबदी, येरेमोथ तथा एलियाह. [LE]
27. [LS] ज़त्तू के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]एलिओएनाइ, एलियाशिब, मत्तनियाह, येरेमोथ, ज़ाबाद तथा आजिजा. [LE]
28. [LS] बेबाइ के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]येहोहानन, हननियाह, ज़ब्बाई तथा अथलाइ. [LE]
29. [LS] बानी के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]मेशुल्लाम, मल्लूख तथा अदाइयाह याशूब, शेअल तथा येरेमोथ. [LE]
30. [LS] पाहाथ-मोआब के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]आदना, चेलल, बेनाइयाह मआसेइयाह, मत्तनियाह, बसलेल, बिन्नूइ तथा मनश्शेह. [LE]
31. [LS] हारिम के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]एलिएज़र, इश्शियाह, मालखियाह, शेमायाह, शिमओन,
32. बिन्यामिन, मल्लूख तथा शेमारियाह. [LE]
33. [LS] हाषूम के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]मत्तेनाइ, मत्तात्ताह ज़ाबाद, एलिफेलेत, येरेमाई, मनश्शेह तथा शिमेई. [LE]
34. [LS] बानी के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]मआघई, अमराम, उएल,
35. बेनाइयाह, बेदेइयाह, चेलुही,
36. वानियाह, मेरेमोथ, एलियाशिब,
37. मत्तनियाह, मत्तेनाइ, यआसु [LE]
38. बानी, बिन्नूइ के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]शिमेई,
39. शेलेमियाह, नाथान अदाइयाह,
40. माखनादेबाइ, शाशाई, शाराई,
41. अज़ारेल, शेलेमियाह, शेमारियाह
42. शल्लूम, अमरियाह तथा योसेफ़. [LE]
43. [LS] नेबो के पुत्रों में से थे: [LE][LS2]येइएल, मत्तीथियाह, ज़ाबाद, ज़ेबिना, यद्दाइ, योएल तथा बेनाइयाह. [LE][PBR]
44. [LS4] इन सभी ने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया था तथा इनमें से कुछ के इन स्त्रियों से संतान भी पैदा हुई थी. [LE]