1. {#1एज़्रा द्वारा नामित व्यक्ति } [LS4] सम्राट अर्तहषस्ता के शासनकाल में बाबेल से जो लोग मेरे साथ लौटे थे, उनके पितरों के प्रधान और उनकी वंशावली इस प्रकार: [LE][PBR]
2. [LS] फिनिहास वंशज; [LE][LS2]गेरशोम; [LE][LS]इथामार-वंशज; [LE][LS2]दानिएल [LE][LS]दावीद के वंशज; [LE][LS2]हत्तुष
3. शेकानियाह के वंशज: [LE][LS]शेकानियाह, जो पारोश, [LE][LS2]ज़करयाह में से था तथा उसके साथ 150 पुरुष, जो वंशावली में शामिल थे; [LE]
4. [LS] पाहाथ-मोआब के वंशज, [LE][LS2]ज़ेराइयाह के पुत्र, एलीहोएनाई तथा उसके साथ 200 पुरुष; [LE]
5. [LS] ज़ट्टूके वंशज; [LE][LS2]याहाज़िएल के पुत्र शेकानियाह के वंशज तथा उसके 300 पुरुष; [LE]
6. [LS] योनातन के पुत्र आदिन, [LE][LS2]एबेद तथा उसके साथ 50 पुरुष; [LE]
7. [LS] एलाम वंशज; [LE][LS2]अथालियाह के वंशज येशाइयाह के वंशज तथा उसके साथ 70 पुरुष; [LE]
8. [LS] शेपाथियाह वंशज; [LE][LS2]मिखाएल का बेटा ज़ेबादिया, जिसके साथ 80 लोग थे. [LE]
9. [LS] योआब वंशज; [LE][LS2]येहिएल का बेटा ओबदिया, जिसके साथ 218 लोग थे. [LE]
10. [LS] शेलोमीथ वंशज; [LE][LS2]योसिब्याह का बेटा जिसके साथ 160 लोग थे. [LE]
11. [LS] बेबाइ वंशज; [LE][LS2]बेबाइ का बेटा ज़करयाह, जिसके साथ 28 लोग थे [LE]
12. [LS] अजगाद वंशज; [LE][LS2]हक्कातान का बेटा योहानन, जिसके साथ 110 लोग थे. [LE]
13. [LS] अदोनिकम वंशज; [LE][LS2]जो लोग उसके साथ गए थे उनके नाम ये है एलिफेलेत, येइएल, और शेमायाह, और उनके साथ 60 लोग थे. [LE]
14. [LS] बिगवाई वंशज; [LE][LS2]उथाई और ज़क्कूर थे और उनके साथ 70 लोग थे. [LE]
15. {#1येरूशलेम को वापसी } [PS]इसके बाद मैंने इन्हें अहावा की दिशा में बहने वाली नदी के तट पर इकट्ठा किया. हमने वहां तीन दिनों के लिए डेरे डाल दिए. जब मैंने इन लोगों का निरीक्षण किया तो मुझे यह मालूम हुआ, कि इन लोगों में एक भी लेवी न था.
16. सो मैंने एलिएज़र, अरीएल, शेमायाह, एल-नाथान, यारिब, एलनाथन, नाथान, ज़करयाह तथा मेशुल्लाम को, जो प्रधान थे तथा योइआरिब तथा एलनाथन, जो शिक्षक थे, बुलवा लिया.
17. इन सभी को मैंने कासिफिया नामक स्थान के अधिकारी के पास भेज दिया. मैंने उन्हें विशेष निर्देश दिए कि उन्हें इद्दो तथा उसके संबंधियों के सामने क्या कहना होगा, ये सभी कासिफिया में भवन के कर्मचारी थे तथा इनसे यह उम्मीद थी कि ये परमेश्वर के भवन के लिए हमें सेवक देंगे.
18. हमारे परमेश्वर की कृपादृष्टि होने के कारण उन्होंने हमारे सामने इस्राएल के पुत्र लेवी के वंशज माहली के पुत्रों में से एक ऐसा व्यक्ति दिया, जो सक्षम व्यक्ति था, अर्थात् शेरेबियाह तथा उसके पुत्रों और रिश्तेदारों में से एक-ये अठारह व्यक्ति थे;
19. और हशाबियाह को और उसके संग मेरारी के वंश में से येशाइयाह को और उसके पुत्रों और भाइयों को अर्थात् बीस जनों को;
20. और नतीन लोगों में से जिन्हें दावीद और हाकिमों ने लेवियों की सेवा करने को ठहराया था, दो सौ बीस नतिनों को ले आए. इन सभी के नाम लिखे हुए थे. [LE]
21. [PS]इसके बाद मैंने अहावा नदी के तट पर उपवास की घोषणा की, कि हम स्वयं को अपने परमेश्वर के सामने नम्र बनाएं और उनसे अपने लिए इस यात्रा में, अपनी, अपने बालकों तथा वस्तुओं की सुरक्षा की प्रार्थना करें.
22. मार्ग में शत्रुओं से सुरक्षा के उद्देश्य से महाराज से सैनिकों और घुड़सवारों की याचना करने में मुझे संकोच हो रहा था, क्योंकि हम महाराज से यह कह चुके थे “हमारे परमेश्वर की कृपादृष्टि उन सभी पर बनी रहती है, जो उनकी खोज में लगे रहते हैं, उनका सामर्थ्य और उनका क्रोध उन सबके विरुद्ध हो जाता है, जो उनको त्याग देते हैं.”
23. सो हमने उपवास किया तथा इस विषय में परमेश्वर की इच्छा जानने की कोशिश की और उन्होंने हमारी सुन ली. [LE]
24. [PS]इसके बाद मैंने बारह मुख्य पुरोहितों को इस काम के लिए चुना: शेरेबियाह, हशाबियाह तथा उनके साथ दस दूसरे पुरोहित,
25. मैंने चांदी, सोने और उन सभी बर्तनों को तौला तथा राजा, उनके मंत्रियों, उनके शासकों तथा वहां उपस्थित सारी इस्राएल द्वारा प्रस्तुत भेंटों को उन्हें सौंप दिया.
26. इस प्रक्रिया में मैंने माप कर 650 तालन्त चांदी और बर्तन, जिनका मान 100 तालन्त था तथा सोने के 100 तालन्त
27. तथा 20 सोने के कटोरे, जिनका मूल्य था 1,000 दारिक तथा दो बर्तन कीमती चमकीले कांसे के सोने के समान कीमती. [LE]
28. [PS]इसके बाद मैंने उन्हें यह याद दिलाते हुए चेताया, “आप लोग याहवेह के लिए पवित्र, अलग किए हुए लोग हैं, वैसे ही ये बर्तन भी पवित्र हैं तथा चांदी, सोने और स्वेच्छा भेंटे भी, जो याहवेह, आपके पूर्वजों के परमेश्वर को चढ़ाई गई हैं.
29. इनकी रखवाली करते हुए इन्हें सुरक्षित रखिए तथा येरूशलेम पहुंचकर इन्हें प्रधान पुरोहितों, लेवियों तथा इस्राएल के गोत्रों के प्रधानों को याहवेह के भवन के कमरों में ले जाकर सौंप देना.”
30. सो पुरोहितों तथा लेवियों ने वे तौले हुए चांदी, सोने और बर्तनों को येरूशलेम में हमारे परमेश्वर के भवन तक ले जाना स्वीकार कर लिया. [LE]
31. [PS]इसके बाद हमने पहले महीने की बारहवीं तारीख को अहावा नदी के तट के पड़ाव से येरूशलेम के लिए कूच किया. हम पर परमेश्वर की कृपादृष्टि बनी हुई थी, तब उन्होंने शत्रुओं एवं मार्ग में घात लगाए हुए डाकुओं से हमारी रक्षा की.
32. हम येरूशलेम पहुंच गए तथा वहां तीन दिन ठहरे रहे. [LE]
33. [PS]चौथे दिन चांदी, सोने और बर्तन भवन में जाकर पुरोहित उरियाह के पुत्र मेरेमोथ को तौलकर सौंप दिए गए. इसका गवाह था, फिनिहास का पुत्र एलिएज़र तथा इन दोनों के अलावा वहां लेवी येशुआ का पुत्र योज़ाबाद तथा बिन्नूइ का पुत्र नोआदिया भी उपस्थित थे.
34. हर एक वस्तु गिनी और तौली हुई थी तथा उनका तौल उसी समय वहां लिख लिया गया था. [LE]
35. [PS]बंधुआई से लौट आए पहले के बंदियों ने इस्राएल के परमेश्वर को होमबलि चढ़ाई: पूरे इस्राएल के लिए 12 बछड़े, 96 मेढ़े, 77 मेमने, पापबलि के लिए 12 बकरे, ये सभी याहवेह के लिए होमबलि के लिए चढ़ाए गए.
36. इसके बाद उन्होंने नदी के पार के प्रदेशों में राज्यपालों और प्रशासकों को राजा कि आज्ञा सौंप दी और उनकी ओर से परमेश्वर के भवन से संबंधित सहायता प्राप्त होने लगी. [LE]