पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
हबक्कूक
1. [QS]मैं पहरे के लिये खड़ा रहूंगा [QE][QS2]और मैं गढ़ की ऊंची दीवार पर खड़ा रहूंगा; [QE][QS]मैं देखता रहूंगा कि वे मुझसे क्या कहेंगे, [QE][QS2]और मैं अपने विरुद्ध शिकायत का क्या उत्तर दूं. [QE]
2. {#1याहवेह का उत्तर } [PS]तब याहवेह ने उत्तर दिया: [PE][QS]“इस दिव्य-प्रकाशन को [QE][QS2]सरल रूप में पटिया पर लिख दो [QE][QS2]ताकि घोषणा करनेवाला दौड़ते हुए भी इसे पढ़कर घोषणा कर सके. [QE]
3. [QS]क्योंकि यह दिव्य-प्रकाशन एक नियत समय में पूरा होगा; [QE][QS2]यह अंत के समय के बारे में बताता है [QE][QS2]और यह गलत साबित नहीं होगा. [QE][QS]चाहे इसमें देरी हो, पर तुम इसका इंतजार करना; [QE][QS2]यह निश्चित रूप से पूरा होगा [QE][QS2]और इसमें देरी न होगी. [QE][PBR] [PBR]
4. [QS]“देखो, शत्रु का मन फूला हुआ है; [QE][QS2]उसकी इच्छाएं बुरी हैं; [QE][QS2]पर धर्मी जन अपनी विश्वासयोग्यता के कारण जीवित रहेगा, [QE]
5. [QS]वास्तव में, दाखमधु उसे धोखा देता है; [QE][QS2]वह अहंकारी होता है और उतावला रहता है. [QE][QS]वह कब्र की तरह लालची [QE][QS2]और मृत्यु की तरह कभी संतुष्ट नहीं होता, [QE][QS]वह सब जाति के लोगों को अपने पास इकट्ठा करता है [QE][QS2]और सब लोगों को बंधुआ करके ले जाता है. [QE]
6. [PS]“क्या वे सब यह कहकर उसका उपहास और बेइज्जती करके ताना नहीं मारेंगे, [PE][QS]“ ‘उस पर हाय, जो चोरी किए गये सामानों का ढेर लगाता है [QE][QS2]और अवैध काम करके अपने आपको धनी बनाता है! [QE][QS2]यह कब तक चलता रहेगा?’ [QE]
7. [QS]क्या तुम्हें कर्ज़ देनेवाले अचानक तुम्हारे सामने आ खड़े न होंगे? [QE][QS2]क्या वे तुम्हें उठाकर आतंकित नहीं करेंगे? [QE][QS2]तब तुम लूट लिये जाओगे. [QE]
8. [QS]क्योंकि तुमने बहुत सी जाति के लोगों को लूटा है, [QE][QS2]सब बचे हुए लोग अब तुम्हें लूटेंगे. [QE][QS]क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; [QE][QS2]तुमने देशों, शहरों और उनके निवासियों को नाश किया है. [QE][PBR]
9. [QS]“उस पर हाय, जो अन्याय की कमाई से अपना घर बनाता है, [QE][QS2]और विनाश से बचने के लिये [QE][QS2]अपने घोंसले को ऊंचे पर रखता है! [QE]
10. [QS]अपने ही घर के लोगों को लज्जित करके और अपने प्राण को जोखिम में डालकर [QE][QS2]तुमने बहुत से लोगों के विनाश का उपाय किया है. [QE]
11. [QS]दीवार के पत्थर चिल्ला उठेंगे, [QE][QS2]और लकड़ी की बल्लियां इसका उत्तर देंगी. [QE][PBR]
12. [QS]“उस पर हाय, जो रक्तपात के द्वारा शहर का निर्माण करता है [QE][QS2]और अन्याय से नगर बसाता है! [QE]
13. [QS]क्या सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह निश्चय नहीं किया है [QE][QS2]कि लोगों की मेहनत सिर्फ उस लकड़ी जैसी है, जो आग जलाने के काम आती है, [QE][QS2]और जाति-जाति के लोग अपने लिये बेकार का परिश्रम करते हैं? [QE]
14. [QS]क्योंकि पृथ्वी याहवेह की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी, [QE][QS2]जैसे समुद्र जल से भर जाता है. [QE][PBR]
15. [QS]“उस पर हाय, जो अपने पड़ोसियों को पीने के लिए दाखमधु देता है, [QE][QS2]और उन्हें तब तक पिलाता है, जब तक कि वे मतवाले नहीं हो जाते, [QE][QS2]ताकि वह उनके नंगे शरीर को देख सके! [QE]
16. [QS]तुम महिमा के बदले लज्जा से भर जाओगे. [QE][QS2]अब तुम्हारी पारी है! पियो और अपने नंगेपन को दिखाओ! [QE][QS]याहवेह के दाएं हाथ का दाखमधु का कटोरा तुम्हारे पास आ रहा है, [QE][QS2]और कलंक तुम्हारे महिमा को ढंक देगा. [QE]
17. [QS]तुमने लबानोन के प्रति जो हिंसा के काम किए हैं, वे तुम्हें व्याकुल करेंगे, [QE][QS2]और तुमने पशुओं को जो नाश किया है, वह तुम्हें भयभीत करेगा. [QE][QS]क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; [QE][QS2]तुमने देश, शहर और वहां के निवासियों को नाश किया है. [QE][PBR]
18. [QS]“एक मूर्तिकार के द्वारा बनाई गई मूर्ति का क्या मूल्य? [QE][QS2]या उस मूर्ति से क्या लाभ जो झूठ बोलना सिखाती है? [QE][QS]क्योंकि जो इसे बनाता है वह अपनी ही रचना पर भरोसा करता है; [QE][QS2]वह मूर्तियों को बनाता है जो बोल नहीं सकती. [QE]
19. [QS]उस पर हाय, जो लकड़ी से कहता है, ‘ज़िंदा हो जा!’ [QE][QS2]या निर्जीव पत्थर से कहता है, ‘उठ!’ [QE][QS]क्या यह सिखा सकता है? [QE][QS2]यह सोना-चांदी से मढ़ा होता है; [QE][QS2]किंतु उनमें तो श्वास नहीं होता.” [QE][PBR]
20. [QS]परंतु याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; [QE][QS2]सारी पृथ्वी उनके सामने शांत रहे. [QE]
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1 मैं पहरे के लिये खड़ा रहूंगा और मैं गढ़ की ऊंची दीवार पर खड़ा रहूंगा; मैं देखता रहूंगा कि वे मुझसे क्या कहेंगे, और मैं अपने विरुद्ध शिकायत का क्या उत्तर दूं. याहवेह का उत्तर 2 तब याहवेह ने उत्तर दिया: “इस दिव्य-प्रकाशन को सरल रूप में पटिया पर लिख दो ताकि घोषणा करनेवाला दौड़ते हुए भी इसे पढ़कर घोषणा कर सके. 3 क्योंकि यह दिव्य-प्रकाशन एक नियत समय में पूरा होगा; यह अंत के समय के बारे में बताता है और यह गलत साबित नहीं होगा. चाहे इसमें देरी हो, पर तुम इसका इंतजार करना; यह निश्चित रूप से पूरा होगा और इसमें देरी न होगी. 4 “देखो, शत्रु का मन फूला हुआ है; उसकी इच्छाएं बुरी हैं; पर धर्मी जन अपनी विश्वासयोग्यता के कारण जीवित रहेगा, 5 वास्तव में, दाखमधु उसे धोखा देता है; वह अहंकारी होता है और उतावला रहता है. वह कब्र की तरह लालची और मृत्यु की तरह कभी संतुष्ट नहीं होता, वह सब जाति के लोगों को अपने पास इकट्ठा करता है और सब लोगों को बंधुआ करके ले जाता है. 6 “क्या वे सब यह कहकर उसका उपहास और बेइज्जती करके ताना नहीं मारेंगे, “ ‘उस पर हाय, जो चोरी किए गये सामानों का ढेर लगाता है और अवैध काम करके अपने आपको धनी बनाता है! यह कब तक चलता रहेगा?’ 7 क्या तुम्हें कर्ज़ देनेवाले अचानक तुम्हारे सामने आ खड़े न होंगे? क्या वे तुम्हें उठाकर आतंकित नहीं करेंगे? तब तुम लूट लिये जाओगे. 8 क्योंकि तुमने बहुत सी जाति के लोगों को लूटा है, सब बचे हुए लोग अब तुम्हें लूटेंगे. क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; तुमने देशों, शहरों और उनके निवासियों को नाश किया है. 9 “उस पर हाय, जो अन्याय की कमाई से अपना घर बनाता है, और विनाश से बचने के लिये अपने घोंसले को ऊंचे पर रखता है! 10 अपने ही घर के लोगों को लज्जित करके और अपने प्राण को जोखिम में डालकर तुमने बहुत से लोगों के विनाश का उपाय किया है. 11 दीवार के पत्थर चिल्ला उठेंगे, और लकड़ी की बल्लियां इसका उत्तर देंगी. 12 “उस पर हाय, जो रक्तपात के द्वारा शहर का निर्माण करता है और अन्याय से नगर बसाता है! 13 क्या सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह निश्चय नहीं किया है कि लोगों की मेहनत सिर्फ उस लकड़ी जैसी है, जो आग जलाने के काम आती है, और जाति-जाति के लोग अपने लिये बेकार का परिश्रम करते हैं? 14 क्योंकि पृथ्वी याहवेह की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी, जैसे समुद्र जल से भर जाता है. 15 “उस पर हाय, जो अपने पड़ोसियों को पीने के लिए दाखमधु देता है, और उन्हें तब तक पिलाता है, जब तक कि वे मतवाले नहीं हो जाते, ताकि वह उनके नंगे शरीर को देख सके! 16 तुम महिमा के बदले लज्जा से भर जाओगे. अब तुम्हारी पारी है! पियो और अपने नंगेपन को दिखाओ! याहवेह के दाएं हाथ का दाखमधु का कटोरा तुम्हारे पास आ रहा है, और कलंक तुम्हारे महिमा को ढंक देगा. 17 तुमने लबानोन के प्रति जो हिंसा के काम किए हैं, वे तुम्हें व्याकुल करेंगे, और तुमने पशुओं को जो नाश किया है, वह तुम्हें भयभीत करेगा. क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; तुमने देश, शहर और वहां के निवासियों को नाश किया है. 18 “एक मूर्तिकार के द्वारा बनाई गई मूर्ति का क्या मूल्य? या उस मूर्ति से क्या लाभ जो झूठ बोलना सिखाती है? क्योंकि जो इसे बनाता है वह अपनी ही रचना पर भरोसा करता है; वह मूर्तियों को बनाता है जो बोल नहीं सकती. 19 उस पर हाय, जो लकड़ी से कहता है, ‘ज़िंदा हो जा!’ या निर्जीव पत्थर से कहता है, ‘उठ!’ क्या यह सिखा सकता है? यह सोना-चांदी से मढ़ा होता है; किंतु उनमें तो श्वास नहीं होता.” 20 परंतु याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; सारी पृथ्वी उनके सामने शांत रहे.
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