पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह
1. [QS]हाय उन पर जो गलत न्याय करते [QE][QS2]और उन पर दबाव डालने की आज्ञा लिख देते हैं, [QE]
2. [QS]कि वे कंगालों को न्याय से दूर कर दें [QE][QS2]और गरीबों के अधिकारों को छीन लें, [QE][QS]जिससे वे विधवाओं को लूट सकें [QE][QS2]और अनाथों को अपना शिकार बना सकें. [QE]
3. [QS]क्या करोगे तुम दंड और विनाश के दिन पर, [QE][QS2]जो दूर से आएगा? [QE][QS]तब सहायता के लिए तुम दौड़कर किसके पास जाओगे? [QE][QS2]और कहां छिपाओगे अपने आपको? [QE]
4. [QS]बंदियों के बीच चापलूसी और मरे हुओं के बीच छिपने के सिवा [QE][QS2]कोई भी रास्ता नहीं रह जाएगा. [QE][PBR] [QS]इतना सब होने पर भी, उनका क्रोध नहीं हटेगा, [QE][QS2]और उनका हाथ उठा रहेगा. [QE]
5. {#1अश्शूर पर दण्डाज्ञा } [QS]“अश्शूर पर हाय, [QE][QS2]जो मेरे क्रोध का सोंटा तथा लाठी है! [QE]
6. [QS]मैं उसको एक श्रद्धाहीन जाति के विरुद्ध भेजूंगा, [QE][QS2]और उन लोगों के विरुद्ध जिनसे मैं क्रोधित हूं, [QE][QS]उसे आज्ञा दे रहा हूं कि वह इसे उजाड़ दे, [QE][QS2]लूट ले और गलियों के कीचड़-समान रौंद डाले. [QE]
7. [QS]किंतु फिर भी उसकी इच्छा यह नहीं [QE][QS2]और न ही उसके हृदय में ऐसी कोई युक्ति है; [QE][QS]परंतु उसका यह उद्देश्य है, [QE][QS2]कि वह अनेक देशों को नष्ट करे और मिटा डाले. [QE]
8. [QS]क्योंकि वह यह कहता है, ‘क्या मेरे सब हाकिम राजा नहीं? [QE]
2. [QS2]क्या कलनो कर्कमीश व हामाथ अरपाद के [QE][QS2]और शमरिया दमेशेक के समान नहीं है? [QE]
10. [QS]इसलिये कि मेरा हाथ मूर्तियों के राज्य में पहुंच गया है, [QE][QS2]जिनकी गढ़ी हुई मूर्ति येरूशलेम और शमरिया से अधिक थी— [QE]
11. [QS]क्या मैं येरूशलेम और उसकी मूर्तियों के साथ वही करूंगा [QE][QS2]जैसा मैंने शमरिया और उसकी मूर्तियों के साथ किया था?’ ” [QE]
12. [PS]तब अब ऐसा होगा जब प्रभु ज़ियोन पर्वत और येरूशलेम में अपना सब काम पूरा कर चुके होंगे, तब वे अश्शूर के राजा को उसके विचारों और घमंड को तोड़ देंगे.
13. क्योंकि उनका यह मानना था: [PE][QS]“ ‘अपनी ही समझ और बल से राज्य की सीमाओं को मैंने हटाया [QE][QS2]और उनके धन को लूट लिया. [QE]
14. [QS]देश के लोगों की धन-संपत्ति इस प्रकार कब्जे में की, [QE][QS2]जिस प्रकार चिड़िया घोंसलों को [QE][QS2]और बचे हुए अण्डों को इकट्ठा करती है.’ ” [QE][PBR]
15. [QS]क्या कुल्हाड़ी अपनी प्रशंसा करेगी, [QE][QS2]या आरी स्वयं को जो उसे खींचता है अच्छा होने का दावा करेगी? [QE][QS]यह तो उसी प्रकार है जैसे लाठी उसे उठाए जो काठ है ही नहीं, [QE][QS2]या मुगदर अपने प्रयोक्ता को चलाए! [QE]
16. [QS]तब सर्वशक्तिमान याहवेह, [QE][QS2]उनके बलवान योद्धाओं को कमजोर कर देंगे; [QE][QS]और उनके ऐश्वर्य के नीचे आग की [QE][QS2]सी जलन होगी. [QE]
17. [QS]इस्राएल की ज्योति आग [QE][QS2]और पवित्र ज्वाला होगी; [QE][QS2]और उसके झाड़ आग में जल जाएंगे. [QE]
18. [QS]वे उसके वन और फलदायक उद्यान के वैभव को ऐसे नष्ट कर देंगे, जैसे एक रोगी की देह [QE][QS2]और प्राण कमजोर होते हैं. [QE]
19. [QS]उसके वन में शेष रह गए वृक्षों की संख्या इतनी अल्प हो जाएगी [QE][QS2]कि कोई बालक भी इसकी गणना कर लेगा. [QE]
20. {#1इस्राएल का शेषांश } [QS]उस दिन इस्राएल के बचे हुए लोग, [QE][QS2]और याकोब वंश के भागे हुए लोग, [QE][QS]अपने मारने वाले पर [QE][QS2]फिर विश्वास नहीं करेंगे, [QE][QS2]बल्कि याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे. [QE]
21. [QS]याकोब में से बचे हुए लोग [QE][QS2]पराक्रमी परमेश्वर के पास लौट आएंगे. [QE]
22. [QS]क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तुम्हारी प्रजा समुद्र के बालू के समान भी हो, [QE][QS2]किंतु उनमें से कुछ ही बच पाएंगे. [QE][QS]लेकिन विनाश पूरे [QE][QS2]न्याय के साथ होगा. [QE]
23. [QS]क्योंकि विनाश करने का निर्णय [QE][QS2]प्रभु, सेनाओं के याहवेह ने ले लिया है. [QE]
24. [PS]इसलिये प्रभु, सेनाओं के याहवेह यों कहते हैं: [PE][QS]“हे ज़ियोन में रहनेवाले, अश्शूरियों से न डरना; [QE][QS2]चाहे वे सोंटे से और लाठी से तुम्हें मारें. [QE]
25. [QS]क्योंकि कुछ ही समय में तुम पर मेरा गुस्सा शांत हो जाएगा [QE][QS2]और मैं उनको नाश कर दूंगा.” [QE][PBR]
26. [QS]सर्वशक्तिमान याहवेह उनको चाबुक से ऐसा मारेंगे, [QE][QS2]जैसा उन्होंने ओरेब की चट्टान पर मिदियान को मारा था. [QE][QS]उनकी लाठी समुद्र पर होगी और वे इसे ऐसे उठा लेंगे, [QE][QS2]जैसे उन्होंने मिस्र में किया था. [QE]
27. [QS]उस दिन उनका बोझ तुम्हारे कंधों से हट जाएगा, [QE][QS2]और उनका जूआ तुम्हारी गर्दन से; [QE][QS]यह जूआ अभिषेक के साथ [QE][QS2]तोड़ दिया जाएगा. [QE][PBR]
28. [QS]उन्होंने अय्याथ पर हमला कर दिया है; [QE][QS2]और वे मिगरोन में से होकर निकल गये हैं; [QE][QS2]मिकमाश में उन्होंने अपने हथियार रखे हैं. [QE]
29. [QS]वे घाटी पार करके, [QE][QS2]“वे गेबा में रात रुकेंगे.” [QE][QS]रामाह डरा हुआ है; [QE][QS2]शाऊल का गिबियाह भाग गया है. [QE]
30. [QS]हे गल्लीम की पुत्री, ऊंचे स्वर में चिल्लाओ! [QE][QS2]हे लयशाह के लोगों, सुनो! [QE][QS2]हे अनाथोथ, ध्यान दो! [QE]
31. [QS]मदमेनाह भाग गया है; [QE][QS2]गीबाम के लोग जाने के लिये तैयार हैं. [QE]
32. [QS]वे आज नोब में रुकेंगे; [QE][QS2]वे ज़ियोन की पुत्री के पर्वत [QE][QS]अर्थात् येरूशलेम की पहाड़ी को, [QE][QS2]अपनी ताकत दिखाएंगे. [QE][PBR]
33. [QS]देखो, प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह, [QE][QS2]भयानक रूप से डालियों को काट डालेंगे. [QE][QS]और वे जो ऊंचे हैं, [QE][QS2]नीचे किए जाएंगे. [QE]
34. [QS]वे घने वन के झुरमुटों को काट डालेंगे; [QE][QS2]और सर्वसामर्थ्यी परमेश्वर लबानोन को नाश कर देंगे. [QE]
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 10 / 66
1 हाय उन पर जो गलत न्याय करते और उन पर दबाव डालने की आज्ञा लिख देते हैं, 2 कि वे कंगालों को न्याय से दूर कर दें और गरीबों के अधिकारों को छीन लें, जिससे वे विधवाओं को लूट सकें और अनाथों को अपना शिकार बना सकें. 3 क्या करोगे तुम दंड और विनाश के दिन पर, जो दूर से आएगा? तब सहायता के लिए तुम दौड़कर किसके पास जाओगे? और कहां छिपाओगे अपने आपको? 4 बंदियों के बीच चापलूसी और मरे हुओं के बीच छिपने के सिवा कोई भी रास्ता नहीं रह जाएगा. इतना सब होने पर भी, उनका क्रोध नहीं हटेगा, और उनका हाथ उठा रहेगा. अश्शूर पर दण्डाज्ञा 5 “अश्शूर पर हाय, जो मेरे क्रोध का सोंटा तथा लाठी है! 6 मैं उसको एक श्रद्धाहीन जाति के विरुद्ध भेजूंगा, और उन लोगों के विरुद्ध जिनसे मैं क्रोधित हूं, उसे आज्ञा दे रहा हूं कि वह इसे उजाड़ दे, लूट ले और गलियों के कीचड़-समान रौंद डाले. 7 किंतु फिर भी उसकी इच्छा यह नहीं और न ही उसके हृदय में ऐसी कोई युक्ति है; परंतु उसका यह उद्देश्य है, कि वह अनेक देशों को नष्ट करे और मिटा डाले. 8 क्योंकि वह यह कहता है, ‘क्या मेरे सब हाकिम राजा नहीं? 2 क्या कलनो कर्कमीश व हामाथ अरपाद के और शमरिया दमेशेक के समान नहीं है? 10 इसलिये कि मेरा हाथ मूर्तियों के राज्य में पहुंच गया है, जिनकी गढ़ी हुई मूर्ति येरूशलेम और शमरिया से अधिक थी— 11 क्या मैं येरूशलेम और उसकी मूर्तियों के साथ वही करूंगा जैसा मैंने शमरिया और उसकी मूर्तियों के साथ किया था?’ ” 12 तब अब ऐसा होगा जब प्रभु ज़ियोन पर्वत और येरूशलेम में अपना सब काम पूरा कर चुके होंगे, तब वे अश्शूर के राजा को उसके विचारों और घमंड को तोड़ देंगे. 13 क्योंकि उनका यह मानना था: “ ‘अपनी ही समझ और बल से राज्य की सीमाओं को मैंने हटाया और उनके धन को लूट लिया. 14 देश के लोगों की धन-संपत्ति इस प्रकार कब्जे में की, जिस प्रकार चिड़िया घोंसलों को और बचे हुए अण्डों को इकट्ठा करती है.’ ” 15 क्या कुल्हाड़ी अपनी प्रशंसा करेगी, या आरी स्वयं को जो उसे खींचता है अच्छा होने का दावा करेगी? यह तो उसी प्रकार है जैसे लाठी उसे उठाए जो काठ है ही नहीं, या मुगदर अपने प्रयोक्ता को चलाए! 16 तब सर्वशक्तिमान याहवेह, उनके बलवान योद्धाओं को कमजोर कर देंगे; और उनके ऐश्वर्य के नीचे आग की सी जलन होगी. 17 इस्राएल की ज्योति आग और पवित्र ज्वाला होगी; और उसके झाड़ आग में जल जाएंगे. 18 वे उसके वन और फलदायक उद्यान के वैभव को ऐसे नष्ट कर देंगे, जैसे एक रोगी की देह और प्राण कमजोर होते हैं. 19 उसके वन में शेष रह गए वृक्षों की संख्या इतनी अल्प हो जाएगी कि कोई बालक भी इसकी गणना कर लेगा. इस्राएल का शेषांश 20 उस दिन इस्राएल के बचे हुए लोग, और याकोब वंश के भागे हुए लोग, अपने मारने वाले पर फिर विश्वास नहीं करेंगे, बल्कि याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे. 21 याकोब में से बचे हुए लोग पराक्रमी परमेश्वर के पास लौट आएंगे. 22 क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तुम्हारी प्रजा समुद्र के बालू के समान भी हो, किंतु उनमें से कुछ ही बच पाएंगे. लेकिन विनाश पूरे न्याय के साथ होगा. 23 क्योंकि विनाश करने का निर्णय प्रभु, सेनाओं के याहवेह ने ले लिया है. 24 इसलिये प्रभु, सेनाओं के याहवेह यों कहते हैं: “हे ज़ियोन में रहनेवाले, अश्शूरियों से न डरना; चाहे वे सोंटे से और लाठी से तुम्हें मारें. 25 क्योंकि कुछ ही समय में तुम पर मेरा गुस्सा शांत हो जाएगा और मैं उनको नाश कर दूंगा.” 26 सर्वशक्तिमान याहवेह उनको चाबुक से ऐसा मारेंगे, जैसा उन्होंने ओरेब की चट्टान पर मिदियान को मारा था. उनकी लाठी समुद्र पर होगी और वे इसे ऐसे उठा लेंगे, जैसे उन्होंने मिस्र में किया था. 27 उस दिन उनका बोझ तुम्हारे कंधों से हट जाएगा, और उनका जूआ तुम्हारी गर्दन से; यह जूआ अभिषेक के साथ तोड़ दिया जाएगा. 28 उन्होंने अय्याथ पर हमला कर दिया है; और वे मिगरोन में से होकर निकल गये हैं; मिकमाश में उन्होंने अपने हथियार रखे हैं. 29 वे घाटी पार करके, “वे गेबा में रात रुकेंगे.” रामाह डरा हुआ है; शाऊल का गिबियाह भाग गया है. 30 हे गल्लीम की पुत्री, ऊंचे स्वर में चिल्लाओ! हे लयशाह के लोगों, सुनो! हे अनाथोथ, ध्यान दो! 31 मदमेनाह भाग गया है; गीबाम के लोग जाने के लिये तैयार हैं. 32 वे आज नोब में रुकेंगे; वे ज़ियोन की पुत्री के पर्वत अर्थात् येरूशलेम की पहाड़ी को, अपनी ताकत दिखाएंगे. 33 देखो, प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह, भयानक रूप से डालियों को काट डालेंगे. और वे जो ऊंचे हैं, नीचे किए जाएंगे. 34 वे घने वन के झुरमुटों को काट डालेंगे; और सर्वसामर्थ्यी परमेश्वर लबानोन को नाश कर देंगे.
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