1. {#1समस्त पृथ्वी पर न्याय-दंड } [QS]सुनो, याहवेह पृथ्वी को सुनसान [QE][QS2]और निर्जन कर देने पर हैं; [QE][QS]वह इसकी सतह को उलट देंगे [QE][QS2]और इसके निवासियों को तितर-बितर कर देंगे— [QE]
2. [QS]प्रजा पुरोहित के समान, [QE][QS2]सेवक अपने स्वामी के समान, [QE][QS2]सेविका अपनी स्वामिनी के समान, [QE][QS2]खरीदने और बेचनेवाले के समान, [QE][QS2]साहूकार ऋणी के समान [QE][QS2]और वह जो उधार देता है, [QE][QS2]और जो उधार लेता है सब एक समान हो जायेंगे. [QE]
3. [QS]पृथ्वी पूरी तरह निर्जन हो जाएगी [QE][QS2]और लूट ली जाएगी. [QE][QS]क्योंकि यह याहवेह की घोषणा है. [QE][PBR]
4. [QS]पृथ्वी रो रही है और थक गई है, [QE][QS2]संसार रो रहा है और थक गया है, [QE][QS2]और आकाश भी पृथ्वी के साथ रो रहे है. [QE]
5. [QS]पृथ्वी अपने रहनेवालों के कारण दूषित कर दी गई; [QE][QS2]क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था [QE][QS]और आज्ञाओं को नहीं माना [QE][QS2]तथा सनातन वाचा को तोड़ दिया. [QE]
6. [QS]इसलिये शाप पृथ्वी को निगल लेगा; [QE][QS2]और जो इसमें रहते हैं वे दोषी होंगे. [QE][QS]इसलिये पृथ्वी के निवासियों को जला दिया जाता है, [QE][QS2]और बहुत कम बचे हैं. [QE]
7. [QS]नया दाखरस रो रहा है और खराब हो गया है; [QE][QS2]वे जो खुश थे अब दुःखी होगें. [QE]
8. [QS]डफ की हर्ष रूपी आवाज खत्म हो चुकी है, [QE][QS2]आनंदित लोगों का कोलाहल शांत हो गया है, [QE][QS2]वीणा का सुखदायी शब्द थम गया है. [QE]
9. [QS]लोग गीत गाते हुए दाखमधु पान नहीं करते; [QE][QS2]दाखमधु उनके लिए कड़वी हो गई है. [QE]
10. [QS]निर्जन नगर को गिरा दिया गया है; [QE][QS2]हर घर के द्वार बंद कर दिए गए हैं कि कोई उनमें जा न सके. [QE]
11. [QS]दाखरस की कमी के कारण गलियों में हल्ला हो रहा है; [QE][QS2]सब खुशी दुःख में बदल गई है; [QE][QS2]पृथ्वी पर से खुशी मिट गई है. [QE]
12. [QS]नगर सुनसान पड़ा, [QE][QS2]और सब कुछ नष्ट कर दिया गया है. [QE]
13. [QS]जिस प्रकार जैतून वृक्ष को झड़ाया जाता [QE][QS2]और दाख की उपज के बाद उसको जमा करने पर कुछ बच जाता है, [QE][QS]उसी प्रकार पृथ्वी पर [QE][QS2]लोगों के बीच वैसा ही होगा. [QE][PBR]
14. [QS]लोग आनंदित होकर ऊंची आवाज में गाते हैं; [QE][QS2]वे याहवेह के वैभव के लिए पश्चिम दिशा से जय जयकार करते हैं. [QE]
15. [QS]तब पूर्व दिशा में याहवेह की प्रशंसा करो; [QE][QS2]समुद्रतटों में, [QE][QS2]याहवेह इस्राएल के परमेश्वर की महिमा करो. [QE]
16. [QS]पृथ्वी के छोर से हमें सुनाई दे रहा है: [QE][QS2]“धर्मी की महिमा और प्रशंसा हो.” [QE][PBR] [QS]परंतु, “मेरे लिए तो कोई आशा ही नहीं है! [QE][QS2]हाय है मुझ पर! [QE][QS]विश्वासघाती विश्वासघात करते हैं! [QE][QS2]और उनका विश्वासघात कष्टदायक होता जा रहा है!” [QE]
17. [QS]हे पृथ्वी के लोगों, डरो, [QE][QS2]गड्ढे और जाल से तुम्हारा सामना होगा. [QE]
18. [QS]तब जो कोई डर से भागेगा [QE][QS2]वह गड्ढे में गिरेगा; [QE][QS]और गड्ढे से निकला हुआ [QE][QS2]जाल में फंस जायेगा. [QE][PBR] [QS]क्योंकि आकाश के झरोखे खोल दिये गये हैं, [QE][QS2]और पृथ्वी की नींव हिल गई है. [QE]
19. [QS]पृथ्वी टुकड़े-टुकड़े होकर, [QE][QS2]फट गई है [QE][QS2]और हिला दी गई है. [QE]
20. [QS]पृथ्वी झूमती है और लड़खड़ाती है, [QE][QS2]और एक झोपड़ी समान डोलती है; [QE][QS]और इतना अपराध बढ़ गया है, [QE][QS2]कि पाप के बोझ से दब गई और फिर कभी भी उठ न पाएगी. [QE][PBR]
21. [QS]उस दिन याहवेह आकाश में सेना को [QE][QS2]तथा पृथ्वी पर राजाओं को दंड देंगे. [QE]
22. [QS]उन सभी को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया जाएगा; [QE][QS2]और बहुत दिनों तक उन्हें दंड दिया जाएगा. [QE]
23. [QS]तब चंद्रमा [QE][QS2]और सूर्य लज्जित होगा, [QE][QS]क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह [QE][QS2]ज़ियोन पर्वत से येरूशलेम में शासन करेंगे, [QE][QS2]और उनका वैभव उनके धर्मवृद्धों पर प्रकट होगा. [QE]