पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह
1. {#1दावीद के नगर पर हाय! } [QS]हाय तुम पर, अरीएल, अरीएल, [QE][QS2]वह नगर जिसे दावीद ने अपने रहने के लिए बनाए थे! [QE][QS]अपने वर्षों को [QE][QS2]और अधिक बढ़ा लो और खुशी मना लो. [QE]
2. [QS]मैं तुम पर विपत्ति लाऊंगा; [QE][QS2]और अरीएल नगर विलाप और शोक का नगर हो जाएगा, [QE][QS2]यह मेरे लिए अरीएल[* अरीएल अर्थात् अग्निकुण्ड ] समान होगा. [QE]
3. [QS]मैं तुम्हारे चारों ओर दीवार लगाऊंगा, [QE][QS2]और तुम्हें घेर लूंगा [QE][QS2]और मैं तुम्हारे विरुद्ध गढ़ खड़े करूंगा. [QE]
4. [QS]तब तुम्हारा पतन पूरा हो जाएगा; [QE][QS2]अधोलोक से तुम्हारे स्वर सुनाई देंगे. [QE][QS]धूल में से तुम्हारी फुसफुसाहट सुनाई देगी; [QE][QS2]एक प्रेत के समान तुम्हारे शब्द पृथ्वी से सुनाई देंगे. [QE][PBR]
5. [QS]किंतु तुम्हारे शत्रुओं का बड़ा झुंड धूल के छोटे कण के समान [QE][QS2]और क्रूर लोगों का बड़ा झुंड उस भूसी के समान हो जाएगा. [QE][QS]जो उड़ जाता है, [QE]
2. [QS2]सेनाओं के याहवेह की ओर से बादल गर्जन, [QE][QS2]भूकंप, आंधी और भस्म करनेवाली आग आएगी. [QE]
7. [QS]पूरे देश जिसने अरीएल से लड़ाई की यद्यपि वे सभी, [QE][QS2]जिन्होंने इस नगर अथवा इसके गढ़ों के विरुद्ध आक्रमण किया तथा उसे कष्ट दिया है, [QE][QS]वे रात में देखे गए स्वप्न, [QE][QS2]तथा दर्शन के समान हो जाएंगे— [QE]
8. [QS]यह ऐसा होगा जैसे एक भूखा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, [QE][QS2]किंतु जब वह नींद से जागता है तब वह पाता है कि उसकी भूख मिटी नहीं; [QE][QS]उसी प्रकार जब एक प्यासा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है, [QE][QS2]किंतु जब वह नींद से जागता है वह पाता है कि उसका गला सूखा है और उसकी प्यास बुझी नहीं हुई है. [QE][QS]उसी प्रकार उन सब देशों के साथ होगा [QE][QS2]जो ज़ियोन पर्वत पर हमला करते हैं. [QE][PBR]
9. [QS]रुक जाओ और इंतजार करो, [QE][QS2]अपने आपको अंधा बना लो; [QE][QS]वे मतवाले तो होते हैं किंतु दाखरस से नहीं, [QE][QS2]वे लड़खड़ाते तो हैं किंतु दाखमधु से नहीं. [QE]
10. [QS]क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे ऊपर एक भारी नींद की आत्मा को डाला है: [QE][QS2]उन्होंने भविष्यवक्ताओं को अंधा कर दिया है; [QE][QS2]और तुम्हारे सिर को ढंक दिया है. [QE]
11. [PS]मैं तुम्हें बता रहा हूं कि ये बातें घटेंगी. किंतु तुम मुझे नहीं समझ रहे. मेरे शब्द उस पुस्तक के समान है, जो बंद हैं और जिस पर एक मुहर लगी है. तुम उस पुस्तक को एक ऐसे व्यक्ति को दो जो पढ़ सकता हो, तो वह व्यक्ति कहेगा, “मैं पुस्तक को पढ़ नहीं सकता क्योंकि इस पर एक मुहर लगी है, और मैं इसे खोल नहीं सकता.”
12. अथवा तुम उस पुस्तक को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दो, जो पढ़ नहीं सकता, और उस व्यक्ति से कहो कि वह उस पुस्तक को पढ़ें. तब वह व्यक्ति कहेगा, “मैं इस किताब को नहीं पढ़ सकता, क्योंकि मैं अनपढ़ हूं!” [PE]
13. [PS]तब प्रभु ने कहा: [PE][QS]“ये लोग अपने शब्दों से तो मेरे पास आते हैं [QE][QS2]और अपने होंठों से मेरा सम्मान करते हैं, [QE][QS2]किंतु इन्होंने अपने दिल को मुझसे दूर रखा है. [QE][QS]और वे औरों के दबाव से [QE][QS2]मेरा भय मानते हैं. [QE]
14. [QS]इसलिये, मैं फिर से इन लोगों के बीच अद्भुत काम करूंगा [QE][QS2]अद्भुत पर अद्भुत काम; [QE][QS]इससे ज्ञानियों का ज्ञान नाश हो जाएगा; [QE][QS2]तथा समझदारों की समझ शून्य.” [QE]
15. [QS]हाय है उन पर जो याहवेह से [QE][QS2]अपनी बात को छिपाते हैं, [QE][QS]और जो अपना काम अंधेरे में करते हैं और सोचते हैं, [QE][QS2]“कि हमें कौन देखता है? या कौन जानता है हमें?” [QE]
16. [QS]तुम सब बातों को उलटा-पुलटा कर देते हो, [QE][QS2]क्या कुम्हार को मिट्टी के समान समझा जाए! [QE][QS]या कोई वस्तु अपने बनानेवाले से कहे, [QE][QS2]कि तुमने मुझे नहीं बनाया और “तुम्हें तो समझ नहीं”? [QE][PBR]
17. [QS]क्या कुछ ही समय में लबानोन को फलदायी भूमि में नहीं बदला जा सकता [QE][QS2]और फलदायी भूमि को मरुभूमि में नहीं बदला जा सकता है? [QE]
18. [QS]उस दिन बहरे उस पुस्तक की बात को सुनेंगे, [QE][QS2]और अंधे जिन्हें दिखता नहीं, वे देखेंगे. [QE]
19. [QS]नम्र लोगों की खुशी याहवेह में बढ़ती चली जाएगी; [QE][QS2]और मनुष्यों के दरिद्र इस्राएल के पवित्र परमेश्वर में आनंदित होंगे. [QE]
20. [QS]क्योंकि दुष्ट और ठट्ठा [QE][QS2]करनेवाले व्यक्ति नहीं रहेंगे, [QE][QS2]और वे सभी काट दिये जाएंगे जिनको बुराई के लिए एक नजर हैं. [QE]
21. [QS]वे व्यक्ति जो शब्दों में फंसाते हैं, [QE][QS2]और फंसाने के लिए जाल बिछाते हैं [QE][QS2]और साधारण बातों के द्वारा धोखा देते हैं. [QE]
22. [PS]इसलिये याहवेह, अब्राहाम का छूडाने वाला, याकोब को कहते हैं: [PE][QS]“याकोब को अब [QE][QS2]और लज्जित न होना पड़ेगा. [QE]
23. [QS]जब याकोब की संतान परमेश्वर के काम को देखेंगे, [QE][QS2]जो परमेश्वर उनके बीच में करेगा; [QE][QS]तब वे मेरा नाम पवित्र रखेंगे; [QE][QS]और वे इस्राएल के [QE][QS2]पवित्र परमेश्वर का भय मानेंगे. [QE]
24. [QS]उस समय मूर्ख बुद्धि पायेंगे और जो कुड़कुड़ाते हैं; [QE][QS2]वे शिक्षा ग्रहण करेंगे.” [QE][PBR]
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 29 / 66
दावीद के नगर पर हाय! 1 हाय तुम पर, अरीएल, अरीएल, वह नगर जिसे दावीद ने अपने रहने के लिए बनाए थे! अपने वर्षों को और अधिक बढ़ा लो और खुशी मना लो. 2 मैं तुम पर विपत्ति लाऊंगा; और अरीएल नगर विलाप और शोक का नगर हो जाएगा, यह मेरे लिए अरीएल* अरीएल अर्थात् अग्निकुण्ड समान होगा. 3 मैं तुम्हारे चारों ओर दीवार लगाऊंगा, और तुम्हें घेर लूंगा और मैं तुम्हारे विरुद्ध गढ़ खड़े करूंगा. 4 तब तुम्हारा पतन पूरा हो जाएगा; अधोलोक से तुम्हारे स्वर सुनाई देंगे. धूल में से तुम्हारी फुसफुसाहट सुनाई देगी; एक प्रेत के समान तुम्हारे शब्द पृथ्वी से सुनाई देंगे. 5 किंतु तुम्हारे शत्रुओं का बड़ा झुंड धूल के छोटे कण के समान और क्रूर लोगों का बड़ा झुंड उस भूसी के समान हो जाएगा. जो उड़ जाता है, 2 सेनाओं के याहवेह की ओर से बादल गर्जन, भूकंप, आंधी और भस्म करनेवाली आग आएगी. 7 पूरे देश जिसने अरीएल से लड़ाई की यद्यपि वे सभी, जिन्होंने इस नगर अथवा इसके गढ़ों के विरुद्ध आक्रमण किया तथा उसे कष्ट दिया है, वे रात में देखे गए स्वप्न, तथा दर्शन के समान हो जाएंगे— 8 यह ऐसा होगा जैसे एक भूखा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, किंतु जब वह नींद से जागता है तब वह पाता है कि उसकी भूख मिटी नहीं; उसी प्रकार जब एक प्यासा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है, किंतु जब वह नींद से जागता है वह पाता है कि उसका गला सूखा है और उसकी प्यास बुझी नहीं हुई है. उसी प्रकार उन सब देशों के साथ होगा जो ज़ियोन पर्वत पर हमला करते हैं. 9 रुक जाओ और इंतजार करो, अपने आपको अंधा बना लो; वे मतवाले तो होते हैं किंतु दाखरस से नहीं, वे लड़खड़ाते तो हैं किंतु दाखमधु से नहीं. 10 क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे ऊपर एक भारी नींद की आत्मा को डाला है: उन्होंने भविष्यवक्ताओं को अंधा कर दिया है; और तुम्हारे सिर को ढंक दिया है. 11 मैं तुम्हें बता रहा हूं कि ये बातें घटेंगी. किंतु तुम मुझे नहीं समझ रहे. मेरे शब्द उस पुस्तक के समान है, जो बंद हैं और जिस पर एक मुहर लगी है. तुम उस पुस्तक को एक ऐसे व्यक्ति को दो जो पढ़ सकता हो, तो वह व्यक्ति कहेगा, “मैं पुस्तक को पढ़ नहीं सकता क्योंकि इस पर एक मुहर लगी है, और मैं इसे खोल नहीं सकता.” 12 अथवा तुम उस पुस्तक को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दो, जो पढ़ नहीं सकता, और उस व्यक्ति से कहो कि वह उस पुस्तक को पढ़ें. तब वह व्यक्ति कहेगा, “मैं इस किताब को नहीं पढ़ सकता, क्योंकि मैं अनपढ़ हूं!” 13 तब प्रभु ने कहा: “ये लोग अपने शब्दों से तो मेरे पास आते हैं और अपने होंठों से मेरा सम्मान करते हैं, किंतु इन्होंने अपने दिल को मुझसे दूर रखा है. और वे औरों के दबाव से मेरा भय मानते हैं. 14 इसलिये, मैं फिर से इन लोगों के बीच अद्भुत काम करूंगा अद्भुत पर अद्भुत काम; इससे ज्ञानियों का ज्ञान नाश हो जाएगा; तथा समझदारों की समझ शून्य.” 15 हाय है उन पर जो याहवेह से अपनी बात को छिपाते हैं, और जो अपना काम अंधेरे में करते हैं और सोचते हैं, “कि हमें कौन देखता है? या कौन जानता है हमें?” 16 तुम सब बातों को उलटा-पुलटा कर देते हो, क्या कुम्हार को मिट्टी के समान समझा जाए! या कोई वस्तु अपने बनानेवाले से कहे, कि तुमने मुझे नहीं बनाया और “तुम्हें तो समझ नहीं”? 17 क्या कुछ ही समय में लबानोन को फलदायी भूमि में नहीं बदला जा सकता और फलदायी भूमि को मरुभूमि में नहीं बदला जा सकता है? 18 उस दिन बहरे उस पुस्तक की बात को सुनेंगे, और अंधे जिन्हें दिखता नहीं, वे देखेंगे. 19 नम्र लोगों की खुशी याहवेह में बढ़ती चली जाएगी; और मनुष्यों के दरिद्र इस्राएल के पवित्र परमेश्वर में आनंदित होंगे. 20 क्योंकि दुष्ट और ठट्ठा करनेवाले व्यक्ति नहीं रहेंगे, और वे सभी काट दिये जाएंगे जिनको बुराई के लिए एक नजर हैं. 21 वे व्यक्ति जो शब्दों में फंसाते हैं, और फंसाने के लिए जाल बिछाते हैं और साधारण बातों के द्वारा धोखा देते हैं. 22 इसलिये याहवेह, अब्राहाम का छूडाने वाला, याकोब को कहते हैं: “याकोब को अब और लज्जित न होना पड़ेगा. 23 जब याकोब की संतान परमेश्वर के काम को देखेंगे, जो परमेश्वर उनके बीच में करेगा; तब वे मेरा नाम पवित्र रखेंगे; और वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर का भय मानेंगे. 24 उस समय मूर्ख बुद्धि पायेंगे और जो कुड़कुड़ाते हैं; वे शिक्षा ग्रहण करेंगे.”
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