पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
यशायाह
1. {#1धार्मिकता का राज्य } [QS]देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे [QE][QS2]और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे. [QE]
2. [QS]सब मानो आंधी से छिपने [QE][QS2]का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा, [QE][QS]मरुभूमि में झरने [QE][QS2]एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे. [QE][PBR]
3. [QS]तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी, [QE][QS2]और जो सुनते हैं वे सुनेंगे. [QE]
4. [QS]उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, [QE][QS2]और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे. [QE]
5. [QS]मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा [QE][QS2]न कंजूस दानी कहलायेगा. [QE]
6. [QS]क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है, [QE][QS2]और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है: [QE][QS]वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है [QE][QS2]जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके. [QE]
7. [QS]दुष्ट गलत बात सोचता है, [QE][QS2]और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है. [QE]
8. [QS]किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है, [QE][QS2]और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है. [QE]
9. {#1येरूशलेम की स्त्रियां } [QS]हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो, [QE][QS2]मेरी बात को सुनो; [QE][QS]हे निश्चिंत पुत्रियो उठो, [QE][QS2]मेरे वचन पर ध्यान दो! [QE]
10. [QS]हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष [QE][QS2]और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी; [QE][QS]क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है, [QE][QS2]और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे. [QE]
11. [QS]हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो; [QE][QS2]कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो! [QE][QS]अपने वस्त्र उतारकर [QE][QS2]अपनी कमर पर टाट बांध लो. [QE]
12. [QS]अच्छे खेतों के लिए [QE][QS2]और फलदार अंगूर के लिये रोओ, [QE]
13. [QS]क्योंकि मेरी प्रजा, [QE][QS2]जो बहुत खुश और आनंदित है, [QE][QS]उनके खेत में झाड़ [QE][QS2]और कांटे उग रहे हैं. [QE]
14. [QS]क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा, [QE][QS2]और नगर सुनसान हो जायेगा; [QE][QS]पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है, [QE][QS2]वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे. [QE]
15. [QS]जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए, [QE][QS2]और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए, [QE][QS2]और फलदायक खेत वन न बन जाए. [QE]
16. [QS]तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा, [QE][QS2]और फलदायक खेत में धर्म रहेगा. [QE]
17. [QS]धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन; [QE][QS2]और हमेशा के लिए साहस! [QE]
18. [QS]तब मेरे लोग शांति से, [QE][QS2]और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे. [QE]
19. [QS]और वन विनाश होगा [QE][QS2]और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा, [QE]
20. [QS]क्या ही धन्य हो तुम, [QE][QS2]जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो, [QE][QS2]और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो. [QE]
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 32 / 66
धार्मिकता का राज्य 1 देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे. 2 सब मानो आंधी से छिपने का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा, मरुभूमि में झरने एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे. 3 तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी, और जो सुनते हैं वे सुनेंगे. 4 उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे. 5 मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा न कंजूस दानी कहलायेगा. 6 क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है, और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है: वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके. 7 दुष्ट गलत बात सोचता है, और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है. 8 किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है, और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है. येरूशलेम की स्त्रियां 9 हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो, मेरी बात को सुनो; हे निश्चिंत पुत्रियो उठो, मेरे वचन पर ध्यान दो! 10 हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी; क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है, और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे. 11 हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो; कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो! अपने वस्त्र उतारकर अपनी कमर पर टाट बांध लो. 12 अच्छे खेतों के लिए और फलदार अंगूर के लिये रोओ, 13 क्योंकि मेरी प्रजा, जो बहुत खुश और आनंदित है, उनके खेत में झाड़ और कांटे उग रहे हैं. 14 क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा, और नगर सुनसान हो जायेगा; पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है, वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे. 15 जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए, और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए, और फलदायक खेत वन न बन जाए. 16 तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा, और फलदायक खेत में धर्म रहेगा. 17 धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन; और हमेशा के लिए साहस! 18 तब मेरे लोग शांति से, और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे. 19 और वन विनाश होगा और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा, 20 क्या ही धन्य हो तुम, जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो, और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो.
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