पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
यशायाह
1. {#1संकट और सहायता } [QS]हाय! तुम पर, [QE][QS2]जिनको नाश नहीं किया गया! [QE][QS]और हाय! तुम विश्‍वासघातियों पर, [QE][QS2]जिनके साथ विश्वासघात नहीं किया गया! [QE][QS]जब तुम नाश करोगे, [QE][QS2]तब तुम नाश किए जाओगे; [QE][QS]और जब तुम विश्वासघात कर लोगे, [QE][QS2]तब तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जायेगा. [QE][PBR]
2. [QS]हे याहवेह, हम पर दया कीजिए; [QE][QS2]हम आप ही की ओर देखते हैं. [QE][QS]प्रति भोर आप हमारा बल [QE][QS2]तथा विपत्ति में हमारा सहायक बनिये. [QE]
3. [QS]शोर सुनते ही लोग भागने लगते हैं; [QE][QS2]जब आप उठते तब, लोग बिखरने लगते हैं. [QE]
4. [QS]जैसे टिड्डियां खेत को नष्ट करती हैं; [QE][QS2]उसी प्रकार लूटकर लाई गई चीज़ों को नष्ट कर दिया गया है, मनुष्य उस पर लपकते हैं. [QE][PBR]
5. [QS]याहवेह महान हैं, वह ऊंचे पर रहते हैं; [QE][QS2]उन्होंने ज़ियोन को न्याय तथा धर्म से भर दिया है. [QE]
6. [QS]याहवेह तुम्हारे समय के लिए निश्चित आधार होगा! उद्धार, बुद्धि और ज्ञान तुम्हारा हक होगा; [QE][QS2]और याहवेह का भय उसका धन होगा. [QE][PBR]
7. [QS]देख, उनके सैनिक गलियों में रो रहे हैं; [QE][QS2]शांति के राजदूत फूट-फूटकर रो रहे हैं. [QE]
8. [QS]मार्ग सुनसान पड़े हैं, [QE][QS2]और सब वायदों को तोड़ दिया गया है. [QE][QS]उसे नगरों[* नगरों कुछ हस्तलेखों में गवाहों ] से घृणा हो चुकी है, [QE][QS2]मनुष्य के प्रति उसमें कोई सम्मान नहीं है. [QE]
9. [QS]देश रो रहा है, और परेशान है, [QE][QS2]लबानोन लज्जित होकर मुरझा रहा है; [QE][QS]शारोन मरुभूमि के मैदान के समान हो गया है, [QE][QS2]बाशान तथा कर्मेल की हरियाली खत्म हो चुकी हैं. [QE][PBR]
10. [QS]याहवेह ने कहा, “अब मैं उठूंगा, [QE][QS2]अब मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; [QE][QS2]और महान बनाऊंगा. [QE]
11. [QS]तुम्हें सूखी घास का गर्भ रहेगा, [QE][QS2]और भूसी उत्पन्‍न होगी; [QE][QS2]तुम्हारी श्वास ही तुम्हें भस्म कर देगी. [QE]
12. [QS]जो लोग भस्म होंगे वे चुने के समान हो जाएंगे; [QE][QS2]उन कंटीली झाड़ियों को आग में भस्म कर दिया जायेगा.” [QE][PBR]
13. [QS]हे दूर-दूर के लोगों, सुनो कि मैंने क्या-क्या किया है; [QE][QS2]और तुम, जो पास हो, मेरे सामर्थ्य को देखो! [QE]
14. [QS]ज़ियोन के पापी डर गये; [QE][QS2]श्रद्धाहीन कांपने लगे: [QE][QS]“हममें से कौन इस आग में जीवित रहेगा? [QE][QS2]जो कभी नहीं बुझेगी.” [QE]
15. [QS]वही जो धर्म से चलता है [QE][QS2]तथा सीधी बातें बोलता, [QE][QS]जो गलत काम से नफरत करता है [QE][QS2]जो घूस नहीं लेता, [QE][QS]जो खून की बात सुनना नहीं चाहता [QE][QS2]और बुराई देखना नहीं चाहता— [QE]
16. [QS]वही ऊंचे स्थान में रहेगा, [QE][QS2]व चट्टानों में शरण पायेगा. [QE][QS]उसे रोटी, [QE][QS2]और पानी की कमी नहीं होगी. [QE][PBR]
2. [QS2]तुम स्वयं अपनी ही आंखों से राजा को देखोगे [QE][QS2]और लंबे चौड़े देश पर ध्यान दोगे. [QE]
18. [QS]तुम्हारा हृदय भय के दिनों को याद करेगा: [QE][QS2]“हिसाब लेनेवाला और [QE][QS]कर तौलकर लेनेवाला कहां रहा? [QE][QS2]गुम्मटों का लेखा लेनेवाला कहां रहा?” [QE]
19. [QS]उन निर्दयी लोगों को तू दोबारा न देखेगा, [QE][QS2]जिनकी भाषा कठिन है और जो हकलाते हैं, [QE][QS2]तथा उनकी बातें किसी को समझ नहीं आती. [QE][PBR]
20. [QS]ज़ियोन के नगर पर ध्यान दो, जो उत्सवों का नगर है; [QE][QS2]येरूशलेम को तुम एक शांत ज़ियोन के रूप में देखोगे, [QE][QS2]एक ऐसे शिविर, जिसे लपेटा नहीं जाएगा; [QE][QS]जिसके खूंटों को उखाड़ा न जाएगा, [QE][QS2]न ही जिसकी रस्सियों को काटा जाएगा. [QE]
21. [QS]किंतु वही याहवेह जो पराक्रमी परमेश्वर हैं हमारे पक्ष में है. [QE][QS2]वह बड़ी-बड़ी नदियों एवं नहरों का स्थान है. [QE][QS]उन पर वह नाव नहीं जा सकती जिसमें पतवार लगते हैं, [QE][QS2]इस पर बड़े जहाज़ नहीं जा सकते. [QE]
22. [QS]क्योंकि याहवेह हमारे न्यायी हैं, [QE][QS2]याहवेह हमारे हाकिम, [QE][QS]याहवेह हमारे राजा हैं; [QE][QS2]वही हमें उद्धार देंगे. [QE][PBR]
23. [QS]तुम्हारी रस्सियां ढीली पड़ी हुई हैं: [QE][QS2]वे जहाज़ को स्थिर न रख सकतीं, [QE][QS2]न पाल को तान सके. [QE][QS]तब लूटी हुई चीज़ों को बांटकर [QE][QS2]विकलांग ले जाएंगे. [QE]
24. [QS]कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा, “मैं बीमार हूं”; [QE][QS2]वहां के लोगों के अधर्म को क्षमा कर दिया जायेगा. [QE][PBR]
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 33 / 66
संकट और सहायता 1 हाय! तुम पर, जिनको नाश नहीं किया गया! और हाय! तुम विश्‍वासघातियों पर, जिनके साथ विश्वासघात नहीं किया गया! जब तुम नाश करोगे, तब तुम नाश किए जाओगे; और जब तुम विश्वासघात कर लोगे, तब तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जायेगा. 2 हे याहवेह, हम पर दया कीजिए; हम आप ही की ओर देखते हैं. प्रति भोर आप हमारा बल तथा विपत्ति में हमारा सहायक बनिये. 3 शोर सुनते ही लोग भागने लगते हैं; जब आप उठते तब, लोग बिखरने लगते हैं. 4 जैसे टिड्डियां खेत को नष्ट करती हैं; उसी प्रकार लूटकर लाई गई चीज़ों को नष्ट कर दिया गया है, मनुष्य उस पर लपकते हैं. 5 याहवेह महान हैं, वह ऊंचे पर रहते हैं; उन्होंने ज़ियोन को न्याय तथा धर्म से भर दिया है. 6 याहवेह तुम्हारे समय के लिए निश्चित आधार होगा! उद्धार, बुद्धि और ज्ञान तुम्हारा हक होगा; और याहवेह का भय उसका धन होगा. 7 देख, उनके सैनिक गलियों में रो रहे हैं; शांति के राजदूत फूट-फूटकर रो रहे हैं. 8 मार्ग सुनसान पड़े हैं, और सब वायदों को तोड़ दिया गया है. उसे नगरों* नगरों कुछ हस्तलेखों में गवाहों से घृणा हो चुकी है, मनुष्य के प्रति उसमें कोई सम्मान नहीं है. 9 देश रो रहा है, और परेशान है, लबानोन लज्जित होकर मुरझा रहा है; शारोन मरुभूमि के मैदान के समान हो गया है, बाशान तथा कर्मेल की हरियाली खत्म हो चुकी हैं. 10 याहवेह ने कहा, “अब मैं उठूंगा, अब मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; और महान बनाऊंगा. 11 तुम्हें सूखी घास का गर्भ रहेगा, और भूसी उत्पन्‍न होगी; तुम्हारी श्वास ही तुम्हें भस्म कर देगी. 12 जो लोग भस्म होंगे वे चुने के समान हो जाएंगे; उन कंटीली झाड़ियों को आग में भस्म कर दिया जायेगा.” 13 हे दूर-दूर के लोगों, सुनो कि मैंने क्या-क्या किया है; और तुम, जो पास हो, मेरे सामर्थ्य को देखो! 14 ज़ियोन के पापी डर गये; श्रद्धाहीन कांपने लगे: “हममें से कौन इस आग में जीवित रहेगा? जो कभी नहीं बुझेगी.” 15 वही जो धर्म से चलता है तथा सीधी बातें बोलता, जो गलत काम से नफरत करता है जो घूस नहीं लेता, जो खून की बात सुनना नहीं चाहता और बुराई देखना नहीं चाहता— 16 वही ऊंचे स्थान में रहेगा, व चट्टानों में शरण पायेगा. उसे रोटी, और पानी की कमी नहीं होगी. 2 तुम स्वयं अपनी ही आंखों से राजा को देखोगे और लंबे चौड़े देश पर ध्यान दोगे. 18 तुम्हारा हृदय भय के दिनों को याद करेगा: “हिसाब लेनेवाला और कर तौलकर लेनेवाला कहां रहा? गुम्मटों का लेखा लेनेवाला कहां रहा?” 19 उन निर्दयी लोगों को तू दोबारा न देखेगा, जिनकी भाषा कठिन है और जो हकलाते हैं, तथा उनकी बातें किसी को समझ नहीं आती. 20 ज़ियोन के नगर पर ध्यान दो, जो उत्सवों का नगर है; येरूशलेम को तुम एक शांत ज़ियोन के रूप में देखोगे, एक ऐसे शिविर, जिसे लपेटा नहीं जाएगा; जिसके खूंटों को उखाड़ा न जाएगा, न ही जिसकी रस्सियों को काटा जाएगा. 21 किंतु वही याहवेह जो पराक्रमी परमेश्वर हैं हमारे पक्ष में है. वह बड़ी-बड़ी नदियों एवं नहरों का स्थान है. उन पर वह नाव नहीं जा सकती जिसमें पतवार लगते हैं, इस पर बड़े जहाज़ नहीं जा सकते. 22 क्योंकि याहवेह हमारे न्यायी हैं, याहवेह हमारे हाकिम, याहवेह हमारे राजा हैं; वही हमें उद्धार देंगे. 23 तुम्हारी रस्सियां ढीली पड़ी हुई हैं: वे जहाज़ को स्थिर न रख सकतीं, न पाल को तान सके. तब लूटी हुई चीज़ों को बांटकर विकलांग ले जाएंगे. 24 कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा, “मैं बीमार हूं”; वहां के लोगों के अधर्म को क्षमा कर दिया जायेगा.
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