1. {#1परमेश्वर की प्रजा को शांति } [QS]तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है, [QE][QS2]कि मेरी प्रजा को शांति दो, शांति दो! [QE]
2. [QS]येरूशलेम से शांति की बात करो, [QE][QS2]उनसे कहो [QE][QS]कि अब उनकी कठिन सेवा खत्म हो चुकी है, [QE][QS2]क्योंकि उनके अधर्म का मूल्य दे चुका है, [QE][QS]उसने याहवेह ही के हाथों से अपने सारे पापों के लिए [QE][QS2]दो गुणा दंड पा लिया है. [QE][PBR]
3. [QS]एक आवाज, जो पुकार-पुकारने वाले की, कह रही है, [QE][QS]“याहवेह के लिए जंगल [QE][QS2]में मार्ग को तैयार करो; [QE][QS]हमारे परमेश्वर के लिए उस मरुस्थल में [QE][QS2]एक राजमार्ग सीधा कर दो. [QE]
4. [QS]हर एक तराई भर दो, [QE][QS2]तथा हर एक पर्वत तथा पहाड़ी को गिरा दो; [QE][QS]असमतल भूमि को चौरस मैदान बना दो, [QE][QS2]तथा ऊंचा नीचा है वह चौड़ा किया जाए. [QE]
5. [QS]तब याहवेह का प्रताप प्रकट होगा, [QE][QS2]तथा सब जीवित प्राणी इसे एक साथ देख सकेंगे. [QE][QS]क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला हुआ वचन है.” [QE][PBR]
6. [QS]फिर बोलनेवाले कि आवाज सुनाई दी कि प्रचार करो. [QE][QS2]मैंने कहा, “मैं क्या प्रचार करूं?” [QE][PBR] [QS]“सभी मनुष्य घास समान हैं, [QE][QS2]उनकी सुंदरता[* सुंदरता या धार्मिकता ] मैदान के फूल समान है. [QE]
7. [QS]घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है, [QE][QS2]जब याहवेह की श्वास चलती है. [QE][QS2]तब घास सूख जाती है. [QE]
8. [QS]घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है, [QE][QS2]किंतु हमारे परमेश्वर का वचन स्थिर रहेगा.” [QE][PBR]
9. [QS]किसी ऊंचे पर्वत पर चले जाओ, [QE][QS2]हे ज़ियोन, तुम तो शुभ संदेश सुनाते हो. [QE][QS]अत्यंत ऊंचे स्वर में घोषणा करो, [QE][QS2]हे येरूशलेम, तुम जो शुभ संदेश सुनाते हो, [QE][QS]बिना डरे हुए ऊंचे शब्द से [QE][QS2]कहो; यहूदिया के नगरों को बताओ, [QE][QS2]“देखो ये हैं हमारे परमेश्वर!” [QE]
10. [QS]तुम देखोगे कि प्रभु याहवेह बड़ी सामर्थ्य के साथ आएंगे, [QE][QS2]वह अपने भुजबल से शासन करेंगे. [QE][QS]वह अपने साथ मजदूरी लाए हैं, [QE][QS2]उनका प्रतिफल उनके आगे-आगे चलता है. [QE]
11. [QS]वह चरवाहे के समान अपने झुंड की देखभाल करेंगे: [QE][QS2]वह मेमनों को अपनी बाहों में ले लेंगे [QE][QS]वह उन्हें अपनी गोद में उठा लेंगे और बाहों में लेकर चलेंगे; [QE][QS2]उनके साथ उनके चरवाहे भी होंगे. [QE][PBR]
12. [QS]कौन है जिसने अपनी हथेली से महासागर को नापा है, [QE][QS2]किसने बित्ते से आकाश को नापा है? [QE][QS]किसने पृथ्वी की धूल को माप कर उसकी गिनती की है, [QE][QS2]तथा पर्वतों को कांटे से [QE][QS2]तथा पहाड़ियों को तौल से मापा है? [QE]
13. [QS]किसने याहवेह के आत्मा को मार्ग बताया है, [QE][QS2]अथवा याहवेह का सहायक होकर उन्हें ज्ञान सिखाया है? [QE]
14. [QS]किससे उसने सलाह ली, [QE][QS2]तथा किसने उन्हें समझ दी? [QE][QS]किसने उन्हें न्याय की शिक्षा दी तथा उन्हें ज्ञान सिखाया, [QE][QS2]किसने उन्हें बुद्धि का मार्ग बताया? [QE][PBR]
15. [QS]यह जान लो, कि देश पानी की एक बूंद [QE][QS2]और पलड़ों की धूल के समान है; [QE][QS2]वह द्वीपों को धूल के कण समान उड़ा देते हैं. [QE]
16. [QS]न तो लबानोन ईंधन के लिए पर्याप्त है, [QE][QS2]और न ही होमबलि के लिए पशु है. [QE]
17. [QS]उनके समक्ष पूरा देश उनके सामने कुछ नहीं है; [QE][QS2]उनके सामने वे शून्य समान हैं. [QE][PBR]
18. [QS]तब? किससे तुम परमेश्वर की तुलना करोगे? [QE][QS2]या किस छवि से उनकी तुलना की जा सकेगी? [QE]
19. [QS]जैसे मूर्ति को शिल्पकार रूप देता है, [QE][QS2]स्वर्णकार उस पर सोने की परत चढ़ा देता है [QE][QS2]तथा चांदी से उसके लिए कड़ियां गढ़ता है. [QE]
20. [QS]कंगाल इतनी भेंट नहीं दे सकता [QE][QS2]इसलिये वह अच्छा पेड़ चुने, जो न सड़े; [QE][QS]फिर एक योग्य शिल्पकार को ढूंढ़कर [QE][QS2]मूरत खुदवाकर स्थिर करता है ताकि यह हिल न सके. [QE][PBR]
21. [QS]क्या तुम नहीं जानते? [QE][QS2]क्या तुमने सुना नहीं? [QE][QS]क्या शुरू में ही तुम्हें नहीं बताया गया था? [QE][QS2]क्या पृथ्वी की नींव रखे जाने के समय से ही तुम यह समझ न सके थे? [QE]
22. [QS]यह वह हैं जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर [QE][QS2]आकाश में विराजमान हैं. [QE][QS]पृथ्वी के निवासी तो टिड्डी के समान हैं, [QE][QS2]वह आकाश को मख़मल के वस्त्र के समान फैला देते हैं. [QE]
23. [QS]यह वही हैं, जो बड़े-बड़े हाकिमों को तुच्छ मानते हैं [QE][QS2]और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य बना देते हैं. [QE]
24. [QS]कुछ ही देर पहले उन्हें बोया गया, [QE][QS2]जड़ पकड़ते ही हवा चलती [QE][QS]और वे सूख जाति है, [QE][QS2]और आंधी उन्हें भूसी के समान उड़ा ले जाती है. [QE][PBR]
25. [QS]“अब तुम किससे मेरी तुलना करोगे? [QE][QS2]कि मैं उसके तुल्य हो जाऊं?” यह पवित्र परमेश्वर का वचन है. [QE]
26. [QS]अपनी आंख ऊपर उठाकर देखो: [QE][QS2]किसने यह सब रचा है? [QE][QS]वे अनगिनत तारे जो आकाश में दिखते हैं [QE][QS2]जिनका नाम लेकर बुलाया जाता है. [QE][QS]और उनके सामर्थ्य तथा उनके अधिकार की शक्ति के कारण, [QE][QS2]उनमें से एक भी बिना आए नहीं रहता. [QE][PBR]
27. [QS]हे याकोब, तू क्यों कहता है? [QE][QS2]हे इस्राएल, तू क्यों बोलता है, [QE][QS]“मेरा मार्ग याहवेह से छिपा है; [QE][QS2]और मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की चिंता नहीं करता”? [QE]
28. [QS]क्या तुम नहीं जानते? [QE][QS2]तुमने नहीं सुना? [QE][QS]याहवेह सनातन परमेश्वर है, [QE][QS]पृथ्वी का सृजनहार, वह न थकता, [QE][QS2]न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अपरंपार है. [QE]
29. [QS]वह थके हुओं को बल देता है, [QE][QS2]शक्तिहीनों को सामर्थ्य देता है. [QE]
30. [QS]यह संभव है कि जवान तो थकते, [QE][QS2]और मूर्छित हो जाते हैं और लड़खड़ा जाते हैं; [QE]
31. [QS]परंतु जो याहवेह पर भरोसा रखते हैं [QE][QS2]वे नया बल पाते जाएंगे. [QE][QS]वे उकाबों की नाई उड़ेंगे; [QE][QS2]वे दौड़ेंगे, किंतु श्रमित न होंगे, [QE][QS2]चलेंगे, किंतु थकित न होंगे. [QE][PBR]