पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
यशायाह
1. [QS]किसने हमारी बातों पर विश्वास किया [QE][QS2]और याहवेह के हाथ किस पर प्रकट हुए हैं? [QE]
2. [QS]क्योंकि वह जो उनके सामने अंकुर के समान [QE][QS2]और ऐसे उगा जैसे सूखी भूमि से निकला हो. [QE][QS]उसका रूप न तो सुंदर था न प्रभावशाली कि हमें अच्छा लगे, [QE][QS2]न ही ऐसा रूप कि हम उसकी ओर देखते. [QE]
3. [QS]वह तो मनुष्यों द्वारा तुच्छ जाना जाता तथा त्यागा हुआ था, [QE][QS2]वह दुःखी पुरुष था, रोगों से परिचित था. [QE][QS]उसे देखकर लोग अपना मुंह छिपा लेते हैं [QE][QS2]वह तुच्छ जाना गया, और हमने उसके महत्व को न जाना. [QE][PBR]
4. [QS]उसने हमारे रोगों को सह लिया और उठा लिया [QE][QS2]उसने हमारे ही दुखों को अपने ऊपर ले लिया, [QE][QS]स्वयं हमने उसे परमेश्वर द्वारा मारा कूटा [QE][QS2]और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा. [QE]
5. [QS]हमारे पापों के कारण ही उसे रौंदा गया, [QE][QS2]हमारे अधर्म के कामों के कारण वह कुचला गया; [QE][QS]उसके कोड़े खाने से, [QE][QS2]हम चंगे हुए. [QE]
6. [QS]हम सभी भेड़ों के समान भटक गए थे, [QE][QS2]हममें से हर एक ने अपना मनचाहा मार्ग अपना लिया; [QE][QS]किंतु याहवेह ने हम सभी के अधर्म का [QE][QS2]बोझ उसी पर लाद दिया. [QE][PBR]
7. [QS]वह सताया गया और, [QE][QS2]फिर भी कुछ न कहा; [QE][QS]वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया, [QE][QS2]तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है, [QE][QS2]वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला. [QE]
8. [QS]अत्याचार करके और दोष लगाकर [QE][QS2]उसे दंड दिया गया. [QE][QS]वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया; [QE][QS2]मेरे ही लोगों के पापों के कारण उसे मार पड़ी. [QE]
9. [QS]उसकी कब्र दुष्ट व्यक्तियों के साथ रखी गई, [QE][QS2]फिर भी अपनी मृत्यु में वह एक धनी व्यक्ति के साथ था, [QE][QS]क्योंकि न तो उससे कोई हिंसा हुई थी, [QE][QS2]और न उसके मुंह से कोई छल की बात निकली. [QE][PBR]
10. [QS]तो भी याहवेह को यही अच्छा लगा की उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया, [QE][QS2]ताकि वह अपने आपको पाप बलिदान के रूप में अर्पित करें, [QE][QS]तब वह अपने वंश को देख पायेंगे और वह बहुत दिन जीवित रहेंगे, [QE][QS2]तथा इससे याहवेह की इच्छा पूरी होगी. [QE]
11. [QS]और अपने प्राणों का दुःख उठाकर [QE][QS2]उसे देखेंगे और संतोष पायेंगे; [QE][QS]अपने ज्ञान के द्वारा वह जो धर्मी व्यक्ति है मेरा सेवक अनेकों को धर्मी बनाएगा, [QE][QS2]क्योंकि वही उनके पाप का बोझ उठाएगा. [QE]
12. [QS]अतः मैं उसे महान लोगों के साथ एक भाग दूंगा, [QE][QS2]वह लूटी हुई चीज़ों को सामर्थ्यी व्यक्तियों में बांट देगा, [QE][QS]उसने अपने प्राणों को मृत्यु में ढाल दिया, [QE][QS2]उसकी गिनती अपराधियों में की गई. [QE][QS]फिर भी उसने अनेकों के पाप का बोझ उठाया, [QE][QS2]और अपराधियों के लिए मध्यस्थता की! [QE]
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1 किसने हमारी बातों पर विश्वास किया और याहवेह के हाथ किस पर प्रकट हुए हैं? 2 क्योंकि वह जो उनके सामने अंकुर के समान और ऐसे उगा जैसे सूखी भूमि से निकला हो. उसका रूप न तो सुंदर था न प्रभावशाली कि हमें अच्छा लगे, न ही ऐसा रूप कि हम उसकी ओर देखते. 3 वह तो मनुष्यों द्वारा तुच्छ जाना जाता तथा त्यागा हुआ था, वह दुःखी पुरुष था, रोगों से परिचित था. उसे देखकर लोग अपना मुंह छिपा लेते हैं वह तुच्छ जाना गया, और हमने उसके महत्व को न जाना. 4 उसने हमारे रोगों को सह लिया और उठा लिया उसने हमारे ही दुखों को अपने ऊपर ले लिया, स्वयं हमने उसे परमेश्वर द्वारा मारा कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा. 5 हमारे पापों के कारण ही उसे रौंदा गया, हमारे अधर्म के कामों के कारण वह कुचला गया; उसके कोड़े खाने से, हम चंगे हुए. 6 हम सभी भेड़ों के समान भटक गए थे, हममें से हर एक ने अपना मनचाहा मार्ग अपना लिया; किंतु याहवेह ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया. 7 वह सताया गया और, फिर भी कुछ न कहा; वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया, तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला. 8 अत्याचार करके और दोष लगाकर उसे दंड दिया गया. वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया; मेरे ही लोगों के पापों के कारण उसे मार पड़ी. 9 उसकी कब्र दुष्ट व्यक्तियों के साथ रखी गई, फिर भी अपनी मृत्यु में वह एक धनी व्यक्ति के साथ था, क्योंकि न तो उससे कोई हिंसा हुई थी, और न उसके मुंह से कोई छल की बात निकली. 10 तो भी याहवेह को यही अच्छा लगा की उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया, ताकि वह अपने आपको पाप बलिदान के रूप में अर्पित करें, तब वह अपने वंश को देख पायेंगे और वह बहुत दिन जीवित रहेंगे, तथा इससे याहवेह की इच्छा पूरी होगी. 11 और अपने प्राणों का दुःख उठाकर उसे देखेंगे और संतोष पायेंगे; अपने ज्ञान के द्वारा वह जो धर्मी व्यक्ति है मेरा सेवक अनेकों को धर्मी बनाएगा, क्योंकि वही उनके पाप का बोझ उठाएगा. 12 अतः मैं उसे महान लोगों के साथ एक भाग दूंगा, वह लूटी हुई चीज़ों को सामर्थ्यी व्यक्तियों में बांट देगा, उसने अपने प्राणों को मृत्यु में ढाल दिया, उसकी गिनती अपराधियों में की गई. फिर भी उसने अनेकों के पाप का बोझ उठाया, और अपराधियों के लिए मध्यस्थता की!
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