पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
यशायाह
1. {#1सच्चा उपवास } [QS]“ऊंचे स्वर में नारा [QE][QS2]लगाओ बिना किसी रोक के. [QE][QS]नरसिंगों का शब्द ऊंचा करो, मेरी प्रजा को उनकी गलती, [QE][QS2]तथा याकोब वंश पर उसके पाप की घोषणा करो. [QE]
2. [QS]यह सब होने पर भी वे दिन-प्रतिदिन मेरे पास आते; [QE][QS2]तथा प्रसन्‍नतापूर्वक मेरी आज्ञाओं को मानते हैं. [QE][QS]मानो वे धर्मी हैं, [QE][QS2]जिसने अपने परमेश्वर के नियम को नहीं टाला. [QE][QS]वे मुझसे धर्म के बारे में पूछते [QE][QS2]और परमेश्वर के पास आने की इच्छा रखते हैं. [QE]
3. [QS]‘ऐसा क्यों हुआ कि हमने उपवास किया, [QE][QS2]किंतु हमारी ओर आपका ध्यान ही नहीं गया? [QE][QS]हमने दुःख उठाया, [QE][QS2]किंतु आपको दिखाई ही नहीं दिया?’ [QE][PBR] [QS]“इसका कारण यह है कि जब तुम उपवास करते हो, तब तुम अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, [QE][QS2]तुम उस समय अपने सेवकों को कष्ट देते हो. [QE]
4. [QS]तुम यह समझ लो कि तुम उपवास भी करते हो तथा इसके साथ साथ वाद-विवाद, [QE][QS2]तथा कलह भी करते हो और लड़ते झगड़ते हो. [QE][QS]उस प्रकार के उपवास से यह संभव ही नहीं [QE][QS2]कि तुम्हारी पुकार सुनी जाएगी. [QE]
5. [QS]क्या ऐसा होता है उपवास, [QE][QS2]जो कोई स्वयं को दीन बनाए? [QE][QS]या कोई सिर झुकाए या [QE][QS2]टाट एवं राख फैलाकर बैठे? [QE][QS]क्या इसे ही तुम उपवास कहोगे, [QE][QS2]क्या ऐसा उपवास याहवेह ग्रहण करेंगे? [QE][PBR]
6. [QS]“क्या यही वह उपवास नहीं, जो मुझे खुशी देता है: [QE][QS]वह अंधेर सहने के बंधन को तोड़ दे, [QE][QS2]जूए उतार फेंके और उनको छुड़ा लिया जाए? [QE]
7. [QS]क्या इसका मतलब यह नहीं कि तुम भूखों को अपना भोजन बांटा करो [QE][QS2]तथा अनाथों को अपने घर में लाओ— [QE][QS]जब किसी को वस्त्रों के बिना देखो, तो उन्हें वस्त्र दो, [QE][QS2]स्वयं को अपने सगे संबंधियों से दूर न रखो? [QE]
8. [QS]जब तुम यह सब करने लगोगे तब तुम्हारा प्रकाश चमकेगा, [QE][QS2]और तू जल्दी ठीक हो जायेगा; [QE][QS]और तेरा धर्म तेरे आगे-आगे चलेगा, [QE][QS2]तथा याहवेह का तेज तेरे पीछे तुम्हारी रक्षा करेगा. [QE]
9. [QS]उस समय जब तुम याहवेह की दोहाई दोगे, तो वह उसका उत्तर देंगे; [QE][QS2]तुम पुकारोगे, तब वह कहेंगे: मैं यहां हूं. [QE][PBR] [QS]“यदि तुम अपने बीच से दुःख का जूआ हटा दोगे, [QE][QS2]जब उंगली से इशारा करेंगे तब दुष्ट बातें करना छोड़ देंगे, [QE]
10. [QS]जब तुम भूखे की सहायता करोगे [QE][QS2]तथा दुखियों की मदद करोगे, [QE][QS]तब अंधकार में तेरा प्रकाश चमकेगा, [QE][QS2]तथा घोर अंधकार दोपहर समान उजियाला देगा. [QE]
11. [QS]याहवेह तुझे लगातार लिये चलेगा; [QE][QS2]और सूखे में तुझे तृप्‍त करेगा [QE][QS2]वह तुम्हारी हड्डियों में बल देगा. [QE][QS]तुम सींची हुई बारी के समान हो जाओगे, [QE][QS2]तथा उस सोते का जल कभी न सूखेगा. [QE]
12. [QS]खंडहर को तेरे वंश के लिये फिर से बसायेंगे [QE][QS2]और पीढ़ियों से पड़ी हुई नींव पर घर बनाएगा; [QE][QS]टूटे हुए बाड़े और सड़क को, [QE][QS2]ठीक करनेवाला कहलायेगा. [QE][PBR]
13. [QS]“यदि तुम शब्बाथ दिन को अशुद्ध न करोगे, [QE][QS2]अर्थात् मेरे पवित्र दिन के हित में अपनी इच्छा को छोड़ देते हो, [QE][QS]शब्बाथ दिन को आनंद का दिन मानकर [QE][QS2]और याहवेह के पवित्र दिन का सम्मान करते हो, [QE][QS]अपनी इच्छाओं को छोड़कर [QE][QS2]अपनी बातें न बोले, [QE]
14. [QS]तू याहवेह के कारण आनंदित होगा, [QE][QS2]मैं तुम्हें पृथ्वी की ऊंचाइयों तक ले जाऊंगा [QE][QS2]और तुम्हारे पिता याकोब के भाग की उपज से खायेगा.” [QE][QS]क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला वचन है. [QE][PBR]
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 58 / 66
सच्चा उपवास 1 “ऊंचे स्वर में नारा लगाओ बिना किसी रोक के. नरसिंगों का शब्द ऊंचा करो, मेरी प्रजा को उनकी गलती, तथा याकोब वंश पर उसके पाप की घोषणा करो. 2 यह सब होने पर भी वे दिन-प्रतिदिन मेरे पास आते; तथा प्रसन्‍नतापूर्वक मेरी आज्ञाओं को मानते हैं. मानो वे धर्मी हैं, जिसने अपने परमेश्वर के नियम को नहीं टाला. वे मुझसे धर्म के बारे में पूछते और परमेश्वर के पास आने की इच्छा रखते हैं. 3 ‘ऐसा क्यों हुआ कि हमने उपवास किया, किंतु हमारी ओर आपका ध्यान ही नहीं गया? हमने दुःख उठाया, किंतु आपको दिखाई ही नहीं दिया?’ “इसका कारण यह है कि जब तुम उपवास करते हो, तब तुम अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, तुम उस समय अपने सेवकों को कष्ट देते हो. 4 तुम यह समझ लो कि तुम उपवास भी करते हो तथा इसके साथ साथ वाद-विवाद, तथा कलह भी करते हो और लड़ते झगड़ते हो. उस प्रकार के उपवास से यह संभव ही नहीं कि तुम्हारी पुकार सुनी जाएगी. 5 क्या ऐसा होता है उपवास, जो कोई स्वयं को दीन बनाए? या कोई सिर झुकाए या टाट एवं राख फैलाकर बैठे? क्या इसे ही तुम उपवास कहोगे, क्या ऐसा उपवास याहवेह ग्रहण करेंगे? 6 “क्या यही वह उपवास नहीं, जो मुझे खुशी देता है: वह अंधेर सहने के बंधन को तोड़ दे, जूए उतार फेंके और उनको छुड़ा लिया जाए? 7 क्या इसका मतलब यह नहीं कि तुम भूखों को अपना भोजन बांटा करो तथा अनाथों को अपने घर में लाओ— जब किसी को वस्त्रों के बिना देखो, तो उन्हें वस्त्र दो, स्वयं को अपने सगे संबंधियों से दूर न रखो? 8 जब तुम यह सब करने लगोगे तब तुम्हारा प्रकाश चमकेगा, और तू जल्दी ठीक हो जायेगा; और तेरा धर्म तेरे आगे-आगे चलेगा, तथा याहवेह का तेज तेरे पीछे तुम्हारी रक्षा करेगा. 9 उस समय जब तुम याहवेह की दोहाई दोगे, तो वह उसका उत्तर देंगे; तुम पुकारोगे, तब वह कहेंगे: मैं यहां हूं. “यदि तुम अपने बीच से दुःख का जूआ हटा दोगे, जब उंगली से इशारा करेंगे तब दुष्ट बातें करना छोड़ देंगे, 10 जब तुम भूखे की सहायता करोगे तथा दुखियों की मदद करोगे, तब अंधकार में तेरा प्रकाश चमकेगा, तथा घोर अंधकार दोपहर समान उजियाला देगा. 11 याहवेह तुझे लगातार लिये चलेगा; और सूखे में तुझे तृप्‍त करेगा वह तुम्हारी हड्डियों में बल देगा. तुम सींची हुई बारी के समान हो जाओगे, तथा उस सोते का जल कभी न सूखेगा. 12 खंडहर को तेरे वंश के लिये फिर से बसायेंगे और पीढ़ियों से पड़ी हुई नींव पर घर बनाएगा; टूटे हुए बाड़े और सड़क को, ठीक करनेवाला कहलायेगा. 13 “यदि तुम शब्बाथ दिन को अशुद्ध न करोगे, अर्थात् मेरे पवित्र दिन के हित में अपनी इच्छा को छोड़ देते हो, शब्बाथ दिन को आनंद का दिन मानकर और याहवेह के पवित्र दिन का सम्मान करते हो, अपनी इच्छाओं को छोड़कर अपनी बातें न बोले, 14 तू याहवेह के कारण आनंदित होगा, मैं तुम्हें पृथ्वी की ऊंचाइयों तक ले जाऊंगा और तुम्हारे पिता याकोब के भाग की उपज से खायेगा.” क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला वचन है.
Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 58 / 66
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References