पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. [PS]तब याहवेह मुझसे बात करने लगे: “यद्यपि मोशेह तथा शमुएल भी मेरे सम्मुख उपस्थित हो जाएं, इन लोगों के लिए मेरा हृदय द्रवित न होगा. उन्हें मेरी उपस्थिति से दूर ले जाओ! दूर हो जाएं वे मेरे समक्ष से!
2. जब वे तुमसे यह पूछें, ‘कहां जाएं हम?’ तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह वाणी याहवेह की है: [PE][QS]“ ‘वे जो मृत्यु के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी मृत्यु होगी; [QE][QS]जो तलवार के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी तलवार से, [QE][QS]जो अकाल के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी अकाल से; [QE][QS]तथा जिन्हें बंधुआई में ले जाया जाना है, वे बंधुआई में ही ले जाए जाएंगे.’ [QE]
3. [PS]“मैं उनके लिए चार प्रकार के विनाश निर्धारित कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “संहार के लिए तलवार और उन्हें खींचकर ले जाने के लिए कुत्ते तथा आकाश के पक्षी एवं पृथ्वी के पशु उन्हें खा जाने तथा नष्ट करने के लिए.
4. यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के पुत्र मनश्शेह द्वारा येरूशलेम में किए गए कुकृत्यों के कारण, मैं उन्हें पृथ्वी के सारे राज्यों के लिए आतंक का विषय बना दूंगा. [PE]
5. [QS]“येरूशलेम, कौन तुम पर तरस खाने के लिए तैयार होगा? [QE][QS2]अथवा कौन तुम्हारे लिए विलाप करेगा? [QE][QS2]अथवा कौन तुम्हारा कुशल क्षेम ज्ञात करने का कष्ट उठाएगा? [QE]
6. [QS]तुम, जिन्होंने मुझे भूलना पसंद कर दिया है,” यह याहवेह की वाणी है. [QE][QS2]“तुम जो पीछे ही हटते जा रहे हो. [QE][QS]इसलिये मैं अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाऊंगा और तुम्हें नष्ट कर दूंगा; [QE][QS2]थक चुका हूं मैं तुम पर कृपा करते-करते. [QE]
7. [QS]मैं सूप लेकर देश के प्रवेश द्वारों पर [QE][QS2]उनको फटकूंगा. [QE][QS]मैं उनसे उनकी संतान ले लूंगा और मैं अपनी ही प्रजा को नष्ट कर दूंगा, [QE][QS2]उन्होंने अपने आचरण के लिए पश्चात्ताप नहीं किया है. [QE]
8. [QS]अब मेरे समक्ष उनकी विधवाओं की संख्या में [QE][QS2]सागर तट के बांध से अधिक वृद्धि हो जाएगी. [QE][QS]मैं जवान की माता के विरुद्ध दोपहर में एक विनाशक ले आऊंगा; [QE][QS2]मैं उस पर सहसा व्यथा एवं निराशा ले आऊंगा. [QE]
9. [QS]वह, जिसके सात पुत्र पैदा हुए थे, व्यर्थ और दुर्बल हो रही है [QE][QS2]और उसका श्वसन भी श्रमपूर्ण हो गया है. [QE][QS]उसका सूर्य तो दिन ही दिन में अस्त हो गया; [QE][QS2]उसे लज्जित एवं अपमानित किया गया. [QE][QS]और मैं उनके शत्रुओं के ही समक्ष [QE][QS2]उन्हें तलवार से घात कर दूंगा जो उनके उत्तरजीवी हैं,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE][PBR]
10. [QS]मेरी माता, धिक्कार है मुझ पर, जो आपने मुझे जन्म दिया है, [QE][QS2]मैं, सारे देश के लिए संघर्ष एवं विवाद का कारण हो गया हूं! [QE][QS]न तो मैंने किसी को ऋण दिया है न ही किसी ने मुझे, [QE][QS2]फिर भी सभी मुझे शाप देते रहते हैं. [QE]
11. [PS]याहवेह ने उत्तर दिया, [PE][QS]“निःसंदेह मैं कल्याण के लिए तुम्हें मुक्त कर दूंगा; [QE][QS2]निःसंदेह मैं ऐसा करूंगा कि [QE][QS2]शत्रु संकट एवं पीड़ा के अवसर पर तुमसे विनती करेगा. [QE][PBR]
12. [QS]“क्या कोई लौह को तोड़ सकता है, [QE][QS2]उत्तर दिशा के लौह एवं कांस्य को? [QE][PBR]
13. [QS]“तुम्हारी ही सीमाओं के भीतर तुम्हारे सारे पापों के कारण [QE][QS2]मैं तुम्हारा धन तथा तुम्हारी निधियां लूट की सामग्री बनाकर ऐसे दे दूंगा, [QE][QS]जिसके लिए किसी को [QE][QS2]कुछ प्रयास न करना पड़ेगा. [QE]
14. [QS]तब मैं तुम्हारे शत्रुओं को इस प्रकार प्रेरित करूंगा, [QE][QS2]कि वे उसे ऐसे देश में ले जाएंगे जिसे तुम नहीं जानते, [QE][QS]क्योंकि मेरे क्रोध में एक अग्नि प्रज्वलित हो गई है [QE][QS2]जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.” [QE]
15. [QS]याहवेह, आप सब जानते हैं; [QE][QS2]मुझे स्मरण रखिए, मेरा ध्यान रखिए, उनसे बदला लीजिए. [QE][QS2]जिन्होंने मुझ पर अत्याचार किया है. [QE][QS]आप धीरज धरनेवाले हैं—मुझे दूर मत कीजिये; [QE][QS2]यह बात आपके समक्ष स्पष्ट रहे कि मैं आपके निमित्त निंदा सह रहा हूं. [QE]
16. [QS]मुझे आपका संदेश प्राप्‍त हुआ, मैंने उसे आत्मसात कर लिया; [QE][QS2]मेरे लिए आपका संदेश आनंद का स्रोत और मेरे हृदय का उल्लास है, [QE][QS]याहवेह सेनाओं के परमेश्वर, [QE][QS2]इसलिये कि मुझ पर आपके स्वामित्व की मोहर लगाई गई है. [QE]
17. [QS]न मैं उनकी संगति में जाकर बैठा हूं जो मौज-मस्ती करते रहते हैं, [QE][QS2]न ही स्वयं मैंने आनंद मनाया है; [QE][QS]मैं अकेला ही बैठा रहा क्योंकि मुझ पर आपका हाथ रखा हुआ था, [QE][QS2]क्योंकि आपने मुझे आक्रोश से पूर्ण कर दिया है. [QE]
18. [QS]क्या कारण है कि मेरी पीड़ा सदा बनी रही है [QE][QS2]तथा मेरे घाव असाध्य हो गए हैं, वे स्वस्थ होते ही नहीं? [QE][QS]क्या आप वास्तव में मेरे लिए धोखा देनेवाले सोता के समान हो जाएंगे, [QE][QS2]जिसमें जल होना, न होना अनिश्चित ही होता है. [QE]
19. [PS]इसलिये याहवेह का संदेश यह है: [QE][QS]“यदि तुम लौट आओ, तो मैं तुम्हें पुनःस्थापित करूंगा [QE][QS2]कि तुम मेरे समक्ष खड़े रह पाओगे; [QE][QS]यदि तुम व्यर्थ बातें नहीं, बल्कि अनमोल बातें कहें, [QE][QS2]तुम मेरे प्रवक्ता बन जाओगे. [QE][QS]संभव है कि वे तुम्हारे निकट आ जाएं, [QE][QS2]किंतु तुम स्वयं उनके निकट न जाना. [QE]
20. [QS]तब मैं तुम्हें इन लोगों के लिए [QE][QS2]कांस्य की दृढ़ दीवार बना दूंगा; [QE][QS]वे तुमसे युद्ध तो अवश्य करेंगे [QE][QS2]किंतु तुम पर प्रबल न हो सकेंगे, [QE][QS]क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ हूं, [QE][QS2]मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE]
21. [QS]“इस प्रकार मैं तुम्हें बुरे लोगों के आधिपत्य से विमुक्त करूंगा [QE][QS2]और मैं तुम्हें हिंसक के बंधन से छुड़ा लूंगा.” [QE]
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1 तब याहवेह मुझसे बात करने लगे: “यद्यपि मोशेह तथा शमुएल भी मेरे सम्मुख उपस्थित हो जाएं, इन लोगों के लिए मेरा हृदय द्रवित न होगा. उन्हें मेरी उपस्थिति से दूर ले जाओ! दूर हो जाएं वे मेरे समक्ष से! 2 जब वे तुमसे यह पूछें, ‘कहां जाएं हम?’ तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह वाणी याहवेह की है: “ ‘वे जो मृत्यु के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी मृत्यु होगी; जो तलवार के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी तलवार से, जो अकाल के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी अकाल से; तथा जिन्हें बंधुआई में ले जाया जाना है, वे बंधुआई में ही ले जाए जाएंगे.’ 3 “मैं उनके लिए चार प्रकार के विनाश निर्धारित कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “संहार के लिए तलवार और उन्हें खींचकर ले जाने के लिए कुत्ते तथा आकाश के पक्षी एवं पृथ्वी के पशु उन्हें खा जाने तथा नष्ट करने के लिए. 4 यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के पुत्र मनश्शेह द्वारा येरूशलेम में किए गए कुकृत्यों के कारण, मैं उन्हें पृथ्वी के सारे राज्यों के लिए आतंक का विषय बना दूंगा. 5 “येरूशलेम, कौन तुम पर तरस खाने के लिए तैयार होगा? अथवा कौन तुम्हारे लिए विलाप करेगा? अथवा कौन तुम्हारा कुशल क्षेम ज्ञात करने का कष्ट उठाएगा? 6 तुम, जिन्होंने मुझे भूलना पसंद कर दिया है,” यह याहवेह की वाणी है. “तुम जो पीछे ही हटते जा रहे हो. इसलिये मैं अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाऊंगा और तुम्हें नष्ट कर दूंगा; थक चुका हूं मैं तुम पर कृपा करते-करते. 7 मैं सूप लेकर देश के प्रवेश द्वारों पर उनको फटकूंगा. मैं उनसे उनकी संतान ले लूंगा और मैं अपनी ही प्रजा को नष्ट कर दूंगा, उन्होंने अपने आचरण के लिए पश्चात्ताप नहीं किया है. 8 अब मेरे समक्ष उनकी विधवाओं की संख्या में सागर तट के बांध से अधिक वृद्धि हो जाएगी. मैं जवान की माता के विरुद्ध दोपहर में एक विनाशक ले आऊंगा; मैं उस पर सहसा व्यथा एवं निराशा ले आऊंगा. 9 वह, जिसके सात पुत्र पैदा हुए थे, व्यर्थ और दुर्बल हो रही है और उसका श्वसन भी श्रमपूर्ण हो गया है. उसका सूर्य तो दिन ही दिन में अस्त हो गया; उसे लज्जित एवं अपमानित किया गया. और मैं उनके शत्रुओं के ही समक्ष उन्हें तलवार से घात कर दूंगा जो उनके उत्तरजीवी हैं,” यह याहवेह की वाणी है. 10 मेरी माता, धिक्कार है मुझ पर, जो आपने मुझे जन्म दिया है, मैं, सारे देश के लिए संघर्ष एवं विवाद का कारण हो गया हूं! न तो मैंने किसी को ऋण दिया है न ही किसी ने मुझे, फिर भी सभी मुझे शाप देते रहते हैं. 11 याहवेह ने उत्तर दिया, “निःसंदेह मैं कल्याण के लिए तुम्हें मुक्त कर दूंगा; निःसंदेह मैं ऐसा करूंगा कि शत्रु संकट एवं पीड़ा के अवसर पर तुमसे विनती करेगा. 12 “क्या कोई लौह को तोड़ सकता है, उत्तर दिशा के लौह एवं कांस्य को? 13 “तुम्हारी ही सीमाओं के भीतर तुम्हारे सारे पापों के कारण मैं तुम्हारा धन तथा तुम्हारी निधियां लूट की सामग्री बनाकर ऐसे दे दूंगा, जिसके लिए किसी को कुछ प्रयास न करना पड़ेगा. 14 तब मैं तुम्हारे शत्रुओं को इस प्रकार प्रेरित करूंगा, कि वे उसे ऐसे देश में ले जाएंगे जिसे तुम नहीं जानते, क्योंकि मेरे क्रोध में एक अग्नि प्रज्वलित हो गई है जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.” 15 याहवेह, आप सब जानते हैं; मुझे स्मरण रखिए, मेरा ध्यान रखिए, उनसे बदला लीजिए. जिन्होंने मुझ पर अत्याचार किया है. आप धीरज धरनेवाले हैं—मुझे दूर मत कीजिये; यह बात आपके समक्ष स्पष्ट रहे कि मैं आपके निमित्त निंदा सह रहा हूं. 16 मुझे आपका संदेश प्राप्‍त हुआ, मैंने उसे आत्मसात कर लिया; मेरे लिए आपका संदेश आनंद का स्रोत और मेरे हृदय का उल्लास है, याहवेह सेनाओं के परमेश्वर, इसलिये कि मुझ पर आपके स्वामित्व की मोहर लगाई गई है. 17 न मैं उनकी संगति में जाकर बैठा हूं जो मौज-मस्ती करते रहते हैं, न ही स्वयं मैंने आनंद मनाया है; मैं अकेला ही बैठा रहा क्योंकि मुझ पर आपका हाथ रखा हुआ था, क्योंकि आपने मुझे आक्रोश से पूर्ण कर दिया है. 18 क्या कारण है कि मेरी पीड़ा सदा बनी रही है तथा मेरे घाव असाध्य हो गए हैं, वे स्वस्थ होते ही नहीं? क्या आप वास्तव में मेरे लिए धोखा देनेवाले सोता के समान हो जाएंगे, जिसमें जल होना, न होना अनिश्चित ही होता है. 19 इसलिये याहवेह का संदेश यह है: “यदि तुम लौट आओ, तो मैं तुम्हें पुनःस्थापित करूंगा कि तुम मेरे समक्ष खड़े रह पाओगे; यदि तुम व्यर्थ बातें नहीं, बल्कि अनमोल बातें कहें, तुम मेरे प्रवक्ता बन जाओगे. संभव है कि वे तुम्हारे निकट आ जाएं, किंतु तुम स्वयं उनके निकट न जाना. 20 तब मैं तुम्हें इन लोगों के लिए कांस्य की दृढ़ दीवार बना दूंगा; वे तुमसे युद्ध तो अवश्य करेंगे किंतु तुम पर प्रबल न हो सकेंगे, क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ हूं, मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. 21 “इस प्रकार मैं तुम्हें बुरे लोगों के आधिपत्य से विमुक्त करूंगा और मैं तुम्हें हिंसक के बंधन से छुड़ा लूंगा.”
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