पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. [PS]यह याहवेह की वाणी है: [PE][QS]“यह देखना मैं बाबेल के विरुद्ध तथा लेब-कोमाई के [QE][QS2]निवासियों के विरुद्ध एक विनाशक बवंडर उत्पन्‍न करने पर हूं. [QE]
2. [QS]मैं विदेशियों को बाबेल की ओर भेजूंगा, [QE][QS2]कि वे उसको सुनसान करें तथा उस देश को ध्वस्त कर दें; [QE][QS]चारों ओर से वे उसका विरोध करेंगे [QE][QS2]यह उसके विनाश का दिन होगा. [QE]
3. [QS]वह, जो धनुर्धारी है, उसे न तो धनुष तानने दो, [QE][QS2]न ही उसे झिलम पहनकर खड़े होने दो. [QE][QS]संक्षेप में, बाबेल के जवानों को किसी भी रीति से बचकर न जाने दो; [QE][QS2]बाबेल की संपूर्ण सेना को नष्ट कर दो. [QE]
4. [QS]वे कसदियों के देश में पृथ्वीशायी हो जाएंगे, [QE][QS2]वे अपनी ही सड़कों पर बर्छियों से बेधे जाएंगे. [QE]
5. [QS]क्योंकि न तो इस्राएल और न यहूदिया को उनके परमेश्वर, [QE][QS2]सेनाओं के याहवेह द्वारा परित्याग किया गया है, [QE][QS]यद्यपि उनका देश इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के समक्ष [QE][QS2]सहायकभाव से परिपूर्ण हो गया है. [QE][PBR]
6. [QS]“बाबेल के मध्य से पलायन करो! [QE][QS2]तुममें से हर एक अपना प्राण बचा ले! [QE][QS2]उसे दिए जा रहे दंड में तुम नष्ट न हो जाना. [QE][QS]क्योंकि यह याहवेह के बदला लेने का अवसर होगा; [QE][QS2]वह उसे वही देंगे, जो उसे दिया जाना उपयुक्त है. [QE]
7. [QS]बाबेल याहवेह के हाथ में स्वर्ण कटोरा समान रहा है; [QE][QS2]इससे सारी पृथ्वी मतवाली की गयी है. [QE][QS]राष्ट्रों ने उसकी मदिरा का सेवन किया है; [QE][QS2]इसलिये राष्ट्र मतवाले हुए जा रहे हैं. [QE]
8. [QS]सहसा बाबेल का पतन हो गया है और वह चूर-चूर हो गया है. [QE][QS2]उसके लिए विलाप करो! [QE][QS]उसके लिए दर्द मिटाने वाली औषधि ले आओ; [QE][QS2]संभव है उसकी वेदना का निवारण हो जाए. [QE][PBR]
9. [QS]“ ‘हमने बाबेल का उपचार करना चाहा, [QE][QS2]किंतु हमारा प्रयास निष्फल रहा; [QE][QS]उसे वैसा ही छोड़ दिया जाए और हम अपने-अपने देश को लौट चलें, [QE][QS2]क्योंकि उसका दंड स्वर्ग तक पहुंच रहा है, [QE][QS2]वह आकाश तक पहुंच चुका है.’ [QE][PBR]
10. [QS]“ ‘याहवेह ने हमें निस्सहाय घोषित किया है; [QE][QS2]आओ, हम ज़ियोन में जाकर इसकी घोषणा करें [QE][QS2]कि यह याहवेह हमारे परमेश्वर द्वारा बनाया कृत्य है.’ [QE][PBR]
11. [QS]“बाणों की नोक की धार बना लो, [QE][QS2]ढालों को उठा लो! [QE][QS]याहवेह ने मेदियों के राजाओं के उत्साह को उत्तेजित कर दिया है, [QE][QS2]क्योंकि वे बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं. [QE][QS]यह याहवेह का बदला है, [QE][QS2]उनके मंदिर के लिए लिया गया बदला है. [QE]
12. [QS]बाबेल शहरपनाह पर आक्रमण के लिए संकेत झंडा ऊंचा उठाओ! [QE][QS2]वहां एक सशक्त प्रहरी नियुक्त करो, [QE][QS]संतरियों को भी नियुक्त किया जाए, [QE][QS2]कुछ योद्धा घात लगाकर छिप जाएं! [QE][QS]क्योंकि याहवेह ने निर्धारित भी किया और निष्पादित भी, [QE][QS2]जिसकी पूर्ववाणी वह बाबेलवासियों के विषय में कर चुके थे. [QE]
13. [QS]तुम, जो महानद के निकट निवास करते हो, [QE][QS2]तुम, जो निधियों में सम्पन्‍न हो, [QE][QS]तुम्हारा पतन बड़ा है, [QE][QS2]तुम्हारा जीवन सूत्र काटा जा चुका है. [QE]
14. [QS]सेनाओं के याहवेह ने अपनी ही जीवन की शपथ खायी है: निस्‍संदेह, [QE][QS2]मैं तुम्हारे मध्य टिड्डी दल सदृश एक जनसमूह ले आऊंगा, [QE][QS2]और वे तुम्हें पराजित कर जयघोष करेंगे. [QE][PBR]
15. [QS]“याहवेह ही हैं जिन्होंने अपने सामर्थ्य से पृथ्वी की सृष्टि की; [QE][QS2]जिन्होंने विश्व को अपनी बुद्धि द्वारा प्रतिष्ठित किया है. [QE][QS2]अपनी सूझ-बूझ से उन्होंने आकाश को विस्तीर्ण कर दिया. [QE]
16. [QS]उनके नाद उच्चारण से आकाश के जल में हलचल मच जाती है; [QE][QS2]वही हैं जो चारों ओर से मेघों का आरोहण बनाया करते हैं. [QE][QS]वह वृष्टि के लिए बिजली को अधीन करते हैं [QE][QS2]तथा अपने भण्डारगृह से पवन को चलाते हैं. [QE][PBR]
17. [QS]“हर एक मनुष्य मूर्ख है—ज्ञानहीन; [QE][QS2]हर एक स्वर्णशिल्पी अपनी ही कृति प्रतिमा द्वारा लज्जित किया जाता है. [QE][QS]क्योंकि उसके द्वारा ढाली गई प्रतिमाएं धोखा हैं; [QE][QS2]उनमें जीवन-श्वास तो है ही नहीं. [QE]
18. [QS]ये प्रतिमाएं सर्वथा व्यर्थ हैं, ये हास्यपद कृति हैं; [QE][QS2]जब उन पर दंड का अवसर आएगा, वे नष्ट हो जाएंगी. [QE]
19. [QS]याहवेह, जो याकोब की निधि हैं, इनके सदृश नहीं हैं, [QE][QS2]क्योंकि वे सभी के सृष्टिकर्ता हैं, [QE][QS]उनके निज भाग इस कुल का भी; [QE][QS2]उनका नाम है सेनाओं का याहवेह. [QE][PBR]
20. [QS]“उनका आश्वासन है, [QE][QS2]मेरे लिए तुम युद्ध के शस्त्र हो, [QE][QS]तुम्हारे द्वारा मैं राष्ट्रों को चूर्ण कर देता हूं, [QE][QS2]तुम्हारे साथ मैं राज्यों को नष्ट कर देता हूं, [QE]
21. [QS]तुमसे मैं घोड़े तथा उसके सवार को नष्ट कर देता हूं, [QE][QS2]तुमसे ही मैं रथ तथा रथ नियंता को नष्ट कर देता हूं, [QE]
22. [QS]तुमसे मैं पुरुष तथा स्त्री को नष्ट कर देता हूं, [QE][QS2]तथा तुमसे ही मैं वृद्ध तथा जवान को नष्ट कर देता हूं, [QE][QS2]तुमसे मैं नवयुवक को तथा कुंवारी कन्या को नष्ट कर देता हूं, [QE]
23. [QS]तुमसे मैं चरवाहे एवं भेड़-बकरियों को नष्ट करता हूं, [QE][QS2]तुमसे ही मैं किसान एवं उसके सहायकों को नष्ट करता हूं, [QE][QS2]तथा तुमसे ही मैं राज्यपालों एवं सेनापतियों को नष्ट करता हूं. [QE]
24. [PS]“किंतु मैं तुम्हारी आंखों ही के समक्ष बाबेल तथा सारे कसदियावासियों से उनके द्वारा ज़ियोन में किए गए उनके सारे अधर्म का बदला लूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. [QE]
25. [QS]“तुम यह समझ लो, विनाशक पर्वत, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं, [QE][QS2]तुम, जो सारे पृथ्वी को नष्ट करते हो,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE][QS]“मैं तुम्हारे विरुद्ध अपनी भुजा बढ़ाऊंगा, [QE][QS2]और तुम्हें ढलवां चट्टानों से लुढ़का दूंगा, [QE][QS2]और तब मैं तुम्हें भस्म हो चुका पर्वत बना छोड़ूंगा. [QE]
26. [QS]तुममें से वे भवन के लिए कोने की शिला तक न निकालेंगे [QE][QS2]और न ही नींव के लिए कोई शिला: [QE][QS2]तुम तो सदा-सर्वदा के लिए उजाड़-निर्जन होकर रह जाओगे,” यह याहवेह की वाणी है. [QE][PBR]
27. [QS]“सारे देश में चेतावनी का झंडा ऊंचा किया जाए! [QE][QS2]राष्ट्रों में नरसिंगा नाद किया जाए! [QE][QS]राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो; [QE][QS2]उसके विरुद्ध अरारात, मिन्‍नी [QE][QS2]तथा अश्केनाज राज्य एकत्र किए जाएं. [QE][QS]घोड़ों को टिड्डी दल सदृश ले आओ; [QE][QS2]तथा उसके लिए सेनापति भी नियुक्त करो. [QE]
28. [QS]राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो— [QE][QS2]मेदियों के राजा, [QE][QS]उनके राज्यपाल तथा उनके सेनापति, [QE][QS2]तथा उनके द्वारा शासित हर एक देश. [QE]
29. [QS]पृथ्वी कंपित होती तथा वेदना में ऐंठ रही है, [QE][QS2]क्योंकि बाबेल के विरुद्ध याहवेह का उद्देश्य अटल है— [QE][QS]बाबेल देश को उजाड़ [QE][QS2]एवं निर्जन कर देना. [QE]
30. [QS]बाबेल के शूर योद्धाओं ने समर्पण कर दिया है; [QE][QS2]वे अपने दुर्गों से बाहर नहीं आ रहे. [QE][QS]उनका बल क्षय हो चुका है; [QE][QS2]वस्तुतः वे अब स्त्रियां होकर रह गए है. [QE][QS]उनके आवास अग्नि से ग्रसित हो चुके है; [QE][QS2]नगर प्रवेश द्वार की छड़ें टूट चुकी हैं. [QE]
31. [QS]एक समाचार का प्रेषक दौड़कर अन्य से मिलता है [QE][QS2]और एक संदेशवाहक अन्य से, [QE][QS]कि बाबेल के राजा को यह संदेश दिया जाए: [QE][QS2]एक छोर से दूसरी छोर तक आपका नगर अधीन हो चुका है, [QE]
32. [QS]घाटों पर शत्रु का अधिकार हो चुका है, [QE][QS2]शत्रु ने तो दलदल-वन तक को दाह कर दिया है, [QE][QS2]योद्धा अत्यंत भयभीत हैं.” [QE]
33. [PS]सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: [QE][QS]“बाबेल की पुत्री दांवनी के खलिहान-सदृश है, [QE][QS2]जिस पर अन्‍न रौंदा जाता है; [QE][QS2]फिर भी शीघ्र ही उसे कटनी के अवसर का सामना करना पड़ेगा.” [QE][PBR]
34. [QS]ज़ियोनवासी कहेंगे, “बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने तो मुझे ग्रसित कर लिया है, [QE][QS2]तथा कुचल दिया है, [QE][QS2]उसने मुझे एक रिक्त बर्तन की स्थिति में लाकर छोड़ दिया है. [QE][QS]उसने मुझे विकराल जंतु सदृश निगल लिया है, [QE][QS2]और वह मेरे उत्कृष्ट व्यंजनों का सेवन कर तृप्‍त हो चुका है, [QE][QS2]वह मानो मुझे बहाकर ले गया है. [QE]
35. [QS]वह हिंसा, जो बाबेल द्वारा मुझ पर तथा मेरी देह पर की गई थी,” [QE][QS2]तब ज़ियोनवासी कहेंगे, वह उसी पर लौट पड़े. [QE][QS]तथा येरूशलेम कहेगा, [QE][QS2]“मुझ पर की गई हिंसा का बदला कसदिया देश से लिया जाए,” [QE]
36. [PS]इसलिये याहवेह की वाणी यह है: [QE][QS]“यह देख लेना, मैं तुम्हारे सहायक का प्रवक्ता हो जाऊंगा [QE][QS2]और तुम्हारे लिए भरपूर बदला प्रभावी करूंगा. [QE][QS]मैं उसकी जल राशि को शुष्क कर दूंगा [QE][QS2]तथा उसके जल-स्रोत निर्जल बना दूंगा. [QE]
37. [QS]बाबेल खंडहरों का ढेर, [QE][QS2]तथा सियारों का बसेरा बन जाएगा, [QE][QS]वह भय का पर्याय, निर्जन स्थान, [QE][QS2]तथा उपहास का विषय बन जाएगा. [QE]
38. [QS]बाबेलवासी सशक्त सिंहों के समान दहाड़ेंगे, [QE][QS2]वे सिंह के शावकों के समान गुर्राएंगे. [QE]
39. [QS]जब वे उतावला होंगे, [QE][QS2]मैं उनके लिए भोज आयोजित कर दूंगा [QE][QS2]और मैं उन्हें ऐसे मतवाले कर दूंगा, [QE][QS]कि वे प्रमुदित हो जाएं और तब वे चिर-निद्रा में चले जाएंगे, [QE][QS2]कि वे कभी न जाग सकें,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE]
40. [QS]“मैं उनकी स्थिति वध के लिए [QE][QS2]निर्धारित मेमनों के समान कर दूंगा, [QE][QS2]मेढ़ों तथा बकरों के सदृश. [QE][PBR]
41. [QS]“कैसे शेशाख[* शेशाख बाबिलोण का गुप्‍त नाम ] को बंदी बना लिया गया है, [QE][QS2]जिसे सारी पृथ्वी की प्रशंसा प्राप्‍त होती रहती थी! [QE][QS]यह कैसे हुआ कि बाबेल राष्ट्रों के [QE][QS2]मध्य भय का विषय बन गया है! [QE]
42. [QS]समुद्र जल स्तर ऊंचा होकर बाबेल तक पहुंच गया है; [QE][QS2]उसकी प्रचंड लहरों ने इसे ढांप लिया है. [QE]
43. [QS]उसके नगर भयास्पद हो गए हैं, [QE][QS2]अनावृष्टि प्रभावित मरुभूमि सदृश ऐसा क्षेत्र जहां [QE][QS]कोई मनुष्य निवास नहीं करता, [QE][QS2]जिसके मध्य से होकर कोई भी नहीं निकलता. [QE]
44. [QS]मैं बाबेल में ही बेल को दंड दूंगा, [QE][QS2]मैं उसके मुख से वही उगलवाऊंगा, जो उसने निगल लिया था. [QE][QS]तब जनता उसकी ओर आकर्षित होना ही छोड़ देंगे. [QE][QS2]अब तो बाबेल की शहरपनाह भी ढह चुकी है. [QE][PBR]
45. [QS]“मेरी प्रजाजनो, वहां से निकल आओ! [QE][QS2]तुममें से हर एक याहवेह के प्रचंड प्रकोप से अपनी रक्षा करें. [QE]
46. [QS]तुम्हारा हृदय मूर्छित न होने लगे [QE][QS2]तथा सारे देश में प्रसारित होते समाचार से तुम भयभीत न हो जाओ; [QE][QS]क्योंकि एक समाचार इस वर्ष आएगा, तत्पश्चात अन्य समाचार अगले वर्ष, [QE][QS2]सारे देश में हिंसा भड़क रही होगी, [QE][QS2]उच्चाधिकारी ही उच्चाधिकारी के विरुद्ध हो जाएगा. [QE]
47. [QS]तब तुम यह देख लेना वे दिन आ रहे हैं, [QE][QS2]मैं बाबेल की प्रतिमाओं को दंड दूंगा; [QE][QS]सारे देश के लिए यह लज्जा का विषय होगा [QE][QS2]घात किए हुओं के शव उसके मध्य में इधर-उधर पड़े पाए जाएंगे. [QE]
48. [QS]तब स्वर्ग और पृथ्वी तथा इनके सारे निवासी [QE][QS2]बाबेल की इस स्थिति पर हर्षनाद करेंगे, [QE][QS]क्योंकि उसके विनाशक [QE][QS2]उत्तर दिशा से आएंगे,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE][PBR]
49. [QS]“इस्राएल के लोगों के कारण बाबेल का पतन अनिवार्य है, [QE][QS2]ठीक जिस प्रकार सारी पृथ्वी पर के मारे गये लोग [QE][QS2]बाबेल के ही कारण मारे गये हैं. [QE]
50. [QS]तुम सभी, जो तलवार से बच निकले हो, [QE][QS2]यहां ठहरे न रहो, भागो यहां से! [QE][QS]दूर ही दूर रहते हुए याहवेह को स्मरण कर लिया करो, [QE][QS2]येरूशलेम तुम्हारी स्मृति से दूर न रहे.” [QE][PBR]
51. [QS]“निंदा सुनकर हम अत्यंत लज्जित हुए हैं [QE][QS2]हमारे मुखमंडल पर कलंक लग चुका है, [QE][QS]क्योंकि याहवेह के पवित्र भवन में [QE][QS2]विदेशियों का प्रवेश हो चुका है.” [QE][PBR]
52. [QS]“तब यह समझ लो: वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, [QE][QS2]“जब मैं उसकी प्रतिमाओं को दंड दूंगा, [QE][QS]तब घातक प्रहार से पीड़ित, [QE][QS2]संपूर्ण देश में कराहते हुए पाए जाएंगे. [QE]
53. [QS]चाहे बाबेल आकाश-सदृश ऊंचा हो जाए, [QE][QS2]चाहे वह अपने ऊंचे गढ़ सुदृढ़ बना ले, [QE][QS2]मेरे द्वारा भेजे गए विनाशक उसे जा पकड़ेंगे,” [QE][QS2]यह याहवेह की वाणी है. [QE][PBR]
54. [QS]“बाबेल में विलाप व्याप्‍त है, [QE][QS2]तथा कसदियों के देश में महाविनाश. [QE]
55. [QS]क्योंकि याहवेह बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं; [QE][QS2]वह उसकी उस उच्च आवाज को समाप्‍त कर देंगे. [QE][QS]उसकी ध्वनि उग्र लहरों के सदृश है; [QE][QS2]नगर में आवाज गूंज रही है. [QE]
56. [QS]बाबेल पर विनाशक ने आक्रमण किया है; [QE][QS2]उसके सारे शूर योद्धा बंदी बनाए जाएंगे, [QE][QS2]उसके धनुष टूट चुके हैं. [QE][QS]क्योंकि याहवेह बदला लेनेवाले परमेश्वर हैं; [QE][QS2]वह पूरा-पूरा बदला लेंगे. [QE]
57. [QS]मैं उसके उच्चाधिकारी तथा परामर्शकों को मदोन्मत बना दूंगा, [QE][QS2]उसके राज्यपालों, सेनापतियों तथा शूर योद्धाओं को भी; [QE][QS]कि वे सभी चिर-निद्रा में सो जाएं, और फिर कभी न जागें!” [QE][QS2]यह उस राजा की वाणी है, जिनका नाम है सेनाओं के याहवेह. [QE]
58. [PS]सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: [QE][QS]“बाबेल की चौड़ी शहरपनाह पूर्णतः [QE][QS2]ध्वस्त कर दी जाएगी तथा उसके ऊंचे-ऊंचे प्रवेश द्वार अग्नि में दाह कर दिए जाएंगे; [QE][QS]तब प्रजा का परिश्रम व्यर्थ रहेगा, [QE][QS2]तथा राष्ट्रों का सारा परिश्रम मात्र अग्नि में भस्म होने के लिए सिद्ध होगा.” [QE]
59. [PS]नेरियाह के पुत्र माहसेइयाह के पौत्र सेराइयाह को दिया गया भविष्यद्वक्ता येरेमियाह का आदेश यह है, यह उसे उस अवसर पर भेजा गया, जब वह यहूदिया के राजा सीदकियाहू के राज्य-काल के चौथे वर्ष में राजा के साथ बाबेल गया था, सेराइयाह वहां महलों का प्रबंधक था.
60. येरेमियाह ने एक चर्म कुण्डलिका में उन सारे संकटों की एक सूची बना दी जो बाबेल के लिए निर्धारित किए गए थे, अर्थात् वे सभी भविष्यवाणी, जो बाबेल के विषय में की गई थी.
61. तत्पश्चात येरेमियाह ने सेराइयाह को संबोधित कर कहा, “यह ध्यान रखना कि बाबेल पहुंचते ही तुम यह सब उच्च स्वर में सबके समक्ष पढ़ोगे.
62. फिर तुम यह भी कहना, ‘याहवेह ने इस स्थान के विषय में भविष्यवाणी की है, कि यह स्थान नष्ट कर दिया जाएगा, इस प्रकार कि इस स्थान पर कोई भी निवासी शेष न रह जाएगा; चाहे मनुष्य हो अथवा पशु और यह स्थायी उजाड़ हो जाएगा.’
63. जैसे ही तुम इस चर्म कुण्डली को पढ़ना समाप्‍त करोगे, तुम एक पत्थर इसमें बांध देना और इसे फरात नदी के मध्य में फेंक देना.
64. उसे फेंकते हुए तुम यह कहना, ‘बाबेल इसी प्रकार डूब जाएगा और फिर कभी उठकर ऊपर न आएगा, क्योंकि मैं उस पर ऐसा संकट डालने पर हूं. और उसके लोग गिर जाएंगे.’ ” [QE][PS]येरेमियाह के शब्द यहीं तक हैं. [QE][PBR]
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1 यह याहवेह की वाणी है: “यह देखना मैं बाबेल के विरुद्ध तथा लेब-कोमाई के निवासियों के विरुद्ध एक विनाशक बवंडर उत्पन्‍न करने पर हूं. 2 मैं विदेशियों को बाबेल की ओर भेजूंगा, कि वे उसको सुनसान करें तथा उस देश को ध्वस्त कर दें; चारों ओर से वे उसका विरोध करेंगे यह उसके विनाश का दिन होगा. 3 वह, जो धनुर्धारी है, उसे न तो धनुष तानने दो, न ही उसे झिलम पहनकर खड़े होने दो. संक्षेप में, बाबेल के जवानों को किसी भी रीति से बचकर न जाने दो; बाबेल की संपूर्ण सेना को नष्ट कर दो. 4 वे कसदियों के देश में पृथ्वीशायी हो जाएंगे, वे अपनी ही सड़कों पर बर्छियों से बेधे जाएंगे. 5 क्योंकि न तो इस्राएल और न यहूदिया को उनके परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह द्वारा परित्याग किया गया है, यद्यपि उनका देश इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के समक्ष सहायकभाव से परिपूर्ण हो गया है. 6 “बाबेल के मध्य से पलायन करो! तुममें से हर एक अपना प्राण बचा ले! उसे दिए जा रहे दंड में तुम नष्ट न हो जाना. क्योंकि यह याहवेह के बदला लेने का अवसर होगा; वह उसे वही देंगे, जो उसे दिया जाना उपयुक्त है. 7 बाबेल याहवेह के हाथ में स्वर्ण कटोरा समान रहा है; इससे सारी पृथ्वी मतवाली की गयी है. राष्ट्रों ने उसकी मदिरा का सेवन किया है; इसलिये राष्ट्र मतवाले हुए जा रहे हैं. 8 सहसा बाबेल का पतन हो गया है और वह चूर-चूर हो गया है. उसके लिए विलाप करो! उसके लिए दर्द मिटाने वाली औषधि ले आओ; संभव है उसकी वेदना का निवारण हो जाए. 9 “ ‘हमने बाबेल का उपचार करना चाहा, किंतु हमारा प्रयास निष्फल रहा; उसे वैसा ही छोड़ दिया जाए और हम अपने-अपने देश को लौट चलें, क्योंकि उसका दंड स्वर्ग तक पहुंच रहा है, वह आकाश तक पहुंच चुका है.’ 10 “ ‘याहवेह ने हमें निस्सहाय घोषित किया है; आओ, हम ज़ियोन में जाकर इसकी घोषणा करें कि यह याहवेह हमारे परमेश्वर द्वारा बनाया कृत्य है.’ 11 “बाणों की नोक की धार बना लो, ढालों को उठा लो! याहवेह ने मेदियों के राजाओं के उत्साह को उत्तेजित कर दिया है, क्योंकि वे बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं. यह याहवेह का बदला है, उनके मंदिर के लिए लिया गया बदला है. 12 बाबेल शहरपनाह पर आक्रमण के लिए संकेत झंडा ऊंचा उठाओ! वहां एक सशक्त प्रहरी नियुक्त करो, संतरियों को भी नियुक्त किया जाए, कुछ योद्धा घात लगाकर छिप जाएं! क्योंकि याहवेह ने निर्धारित भी किया और निष्पादित भी, जिसकी पूर्ववाणी वह बाबेलवासियों के विषय में कर चुके थे. 13 तुम, जो महानद के निकट निवास करते हो, तुम, जो निधियों में सम्पन्‍न हो, तुम्हारा पतन बड़ा है, तुम्हारा जीवन सूत्र काटा जा चुका है. 14 सेनाओं के याहवेह ने अपनी ही जीवन की शपथ खायी है: निस्‍संदेह, मैं तुम्हारे मध्य टिड्डी दल सदृश एक जनसमूह ले आऊंगा, और वे तुम्हें पराजित कर जयघोष करेंगे. 15 “याहवेह ही हैं जिन्होंने अपने सामर्थ्य से पृथ्वी की सृष्टि की; जिन्होंने विश्व को अपनी बुद्धि द्वारा प्रतिष्ठित किया है. अपनी सूझ-बूझ से उन्होंने आकाश को विस्तीर्ण कर दिया. 16 उनके नाद उच्चारण से आकाश के जल में हलचल मच जाती है; वही हैं जो चारों ओर से मेघों का आरोहण बनाया करते हैं. वह वृष्टि के लिए बिजली को अधीन करते हैं तथा अपने भण्डारगृह से पवन को चलाते हैं. 17 “हर एक मनुष्य मूर्ख है—ज्ञानहीन; हर एक स्वर्णशिल्पी अपनी ही कृति प्रतिमा द्वारा लज्जित किया जाता है. क्योंकि उसके द्वारा ढाली गई प्रतिमाएं धोखा हैं; उनमें जीवन-श्वास तो है ही नहीं. 18 ये प्रतिमाएं सर्वथा व्यर्थ हैं, ये हास्यपद कृति हैं; जब उन पर दंड का अवसर आएगा, वे नष्ट हो जाएंगी. 19 याहवेह, जो याकोब की निधि हैं, इनके सदृश नहीं हैं, क्योंकि वे सभी के सृष्टिकर्ता हैं, उनके निज भाग इस कुल का भी; उनका नाम है सेनाओं का याहवेह. 20 “उनका आश्वासन है, मेरे लिए तुम युद्ध के शस्त्र हो, तुम्हारे द्वारा मैं राष्ट्रों को चूर्ण कर देता हूं, तुम्हारे साथ मैं राज्यों को नष्ट कर देता हूं, 21 तुमसे मैं घोड़े तथा उसके सवार को नष्ट कर देता हूं, तुमसे ही मैं रथ तथा रथ नियंता को नष्ट कर देता हूं, 22 तुमसे मैं पुरुष तथा स्त्री को नष्ट कर देता हूं, तथा तुमसे ही मैं वृद्ध तथा जवान को नष्ट कर देता हूं, तुमसे मैं नवयुवक को तथा कुंवारी कन्या को नष्ट कर देता हूं, 23 तुमसे मैं चरवाहे एवं भेड़-बकरियों को नष्ट करता हूं, तुमसे ही मैं किसान एवं उसके सहायकों को नष्ट करता हूं, तथा तुमसे ही मैं राज्यपालों एवं सेनापतियों को नष्ट करता हूं. 24 “किंतु मैं तुम्हारी आंखों ही के समक्ष बाबेल तथा सारे कसदियावासियों से उनके द्वारा ज़ियोन में किए गए उनके सारे अधर्म का बदला लूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. 25 “तुम यह समझ लो, विनाशक पर्वत, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं, तुम, जो सारे पृथ्वी को नष्ट करते हो,” यह याहवेह की वाणी है. “मैं तुम्हारे विरुद्ध अपनी भुजा बढ़ाऊंगा, और तुम्हें ढलवां चट्टानों से लुढ़का दूंगा, और तब मैं तुम्हें भस्म हो चुका पर्वत बना छोड़ूंगा. 26 तुममें से वे भवन के लिए कोने की शिला तक न निकालेंगे और न ही नींव के लिए कोई शिला: तुम तो सदा-सर्वदा के लिए उजाड़-निर्जन होकर रह जाओगे,” यह याहवेह की वाणी है. 27 “सारे देश में चेतावनी का झंडा ऊंचा किया जाए! राष्ट्रों में नरसिंगा नाद किया जाए! राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो; उसके विरुद्ध अरारात, मिन्‍नी तथा अश्केनाज राज्य एकत्र किए जाएं. घोड़ों को टिड्डी दल सदृश ले आओ; तथा उसके लिए सेनापति भी नियुक्त करो. 28 राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो— मेदियों के राजा, उनके राज्यपाल तथा उनके सेनापति, तथा उनके द्वारा शासित हर एक देश. 29 पृथ्वी कंपित होती तथा वेदना में ऐंठ रही है, क्योंकि बाबेल के विरुद्ध याहवेह का उद्देश्य अटल है— बाबेल देश को उजाड़ एवं निर्जन कर देना. 30 बाबेल के शूर योद्धाओं ने समर्पण कर दिया है; वे अपने दुर्गों से बाहर नहीं आ रहे. उनका बल क्षय हो चुका है; वस्तुतः वे अब स्त्रियां होकर रह गए है. उनके आवास अग्नि से ग्रसित हो चुके है; नगर प्रवेश द्वार की छड़ें टूट चुकी हैं. 31 एक समाचार का प्रेषक दौड़कर अन्य से मिलता है और एक संदेशवाहक अन्य से, कि बाबेल के राजा को यह संदेश दिया जाए: एक छोर से दूसरी छोर तक आपका नगर अधीन हो चुका है, 32 घाटों पर शत्रु का अधिकार हो चुका है, शत्रु ने तो दलदल-वन तक को दाह कर दिया है, योद्धा अत्यंत भयभीत हैं.” 33 सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: “बाबेल की पुत्री दांवनी के खलिहान-सदृश है, जिस पर अन्‍न रौंदा जाता है; फिर भी शीघ्र ही उसे कटनी के अवसर का सामना करना पड़ेगा.” 34 ज़ियोनवासी कहेंगे, “बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने तो मुझे ग्रसित कर लिया है, तथा कुचल दिया है, उसने मुझे एक रिक्त बर्तन की स्थिति में लाकर छोड़ दिया है. उसने मुझे विकराल जंतु सदृश निगल लिया है, और वह मेरे उत्कृष्ट व्यंजनों का सेवन कर तृप्‍त हो चुका है, वह मानो मुझे बहाकर ले गया है. 35 वह हिंसा, जो बाबेल द्वारा मुझ पर तथा मेरी देह पर की गई थी,” तब ज़ियोनवासी कहेंगे, वह उसी पर लौट पड़े. तथा येरूशलेम कहेगा, “मुझ पर की गई हिंसा का बदला कसदिया देश से लिया जाए,” 36 इसलिये याहवेह की वाणी यह है: “यह देख लेना, मैं तुम्हारे सहायक का प्रवक्ता हो जाऊंगा और तुम्हारे लिए भरपूर बदला प्रभावी करूंगा. मैं उसकी जल राशि को शुष्क कर दूंगा तथा उसके जल-स्रोत निर्जल बना दूंगा. 37 बाबेल खंडहरों का ढेर, तथा सियारों का बसेरा बन जाएगा, वह भय का पर्याय, निर्जन स्थान, तथा उपहास का विषय बन जाएगा. 38 बाबेलवासी सशक्त सिंहों के समान दहाड़ेंगे, वे सिंह के शावकों के समान गुर्राएंगे. 39 जब वे उतावला होंगे, मैं उनके लिए भोज आयोजित कर दूंगा और मैं उन्हें ऐसे मतवाले कर दूंगा, कि वे प्रमुदित हो जाएं और तब वे चिर-निद्रा में चले जाएंगे, कि वे कभी न जाग सकें,” यह याहवेह की वाणी है. 40 “मैं उनकी स्थिति वध के लिए निर्धारित मेमनों के समान कर दूंगा, मेढ़ों तथा बकरों के सदृश. 41 “कैसे शेशाख[* शेशाख बाबिलोण का गुप्‍त नाम ] को बंदी बना लिया गया है, जिसे सारी पृथ्वी की प्रशंसा प्राप्‍त होती रहती थी! यह कैसे हुआ कि बाबेल राष्ट्रों के मध्य भय का विषय बन गया है! 42 समुद्र जल स्तर ऊंचा होकर बाबेल तक पहुंच गया है; उसकी प्रचंड लहरों ने इसे ढांप लिया है. 43 उसके नगर भयास्पद हो गए हैं, अनावृष्टि प्रभावित मरुभूमि सदृश ऐसा क्षेत्र जहां कोई मनुष्य निवास नहीं करता, जिसके मध्य से होकर कोई भी नहीं निकलता. 44 मैं बाबेल में ही बेल को दंड दूंगा, मैं उसके मुख से वही उगलवाऊंगा, जो उसने निगल लिया था. तब जनता उसकी ओर आकर्षित होना ही छोड़ देंगे. अब तो बाबेल की शहरपनाह भी ढह चुकी है. 45 “मेरी प्रजाजनो, वहां से निकल आओ! तुममें से हर एक याहवेह के प्रचंड प्रकोप से अपनी रक्षा करें. 46 तुम्हारा हृदय मूर्छित न होने लगे तथा सारे देश में प्रसारित होते समाचार से तुम भयभीत न हो जाओ; क्योंकि एक समाचार इस वर्ष आएगा, तत्पश्चात अन्य समाचार अगले वर्ष, सारे देश में हिंसा भड़क रही होगी, उच्चाधिकारी ही उच्चाधिकारी के विरुद्ध हो जाएगा. 47 तब तुम यह देख लेना वे दिन आ रहे हैं, मैं बाबेल की प्रतिमाओं को दंड दूंगा; सारे देश के लिए यह लज्जा का विषय होगा घात किए हुओं के शव उसके मध्य में इधर-उधर पड़े पाए जाएंगे. 48 तब स्वर्ग और पृथ्वी तथा इनके सारे निवासी बाबेल की इस स्थिति पर हर्षनाद करेंगे, क्योंकि उसके विनाशक उत्तर दिशा से आएंगे,” यह याहवेह की वाणी है. 49 “इस्राएल के लोगों के कारण बाबेल का पतन अनिवार्य है, ठीक जिस प्रकार सारी पृथ्वी पर के मारे गये लोग बाबेल के ही कारण मारे गये हैं. 50 तुम सभी, जो तलवार से बच निकले हो, यहां ठहरे न रहो, भागो यहां से! दूर ही दूर रहते हुए याहवेह को स्मरण कर लिया करो, येरूशलेम तुम्हारी स्मृति से दूर न रहे.” 51 “निंदा सुनकर हम अत्यंत लज्जित हुए हैं हमारे मुखमंडल पर कलंक लग चुका है, क्योंकि याहवेह के पवित्र भवन में विदेशियों का प्रवेश हो चुका है.” 52 “तब यह समझ लो: वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब मैं उसकी प्रतिमाओं को दंड दूंगा, तब घातक प्रहार से पीड़ित, संपूर्ण देश में कराहते हुए पाए जाएंगे. 53 चाहे बाबेल आकाश-सदृश ऊंचा हो जाए, चाहे वह अपने ऊंचे गढ़ सुदृढ़ बना ले, मेरे द्वारा भेजे गए विनाशक उसे जा पकड़ेंगे,” यह याहवेह की वाणी है. 54 “बाबेल में विलाप व्याप्‍त है, तथा कसदियों के देश में महाविनाश. 55 क्योंकि याहवेह बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं; वह उसकी उस उच्च आवाज को समाप्‍त कर देंगे. उसकी ध्वनि उग्र लहरों के सदृश है; नगर में आवाज गूंज रही है. 56 बाबेल पर विनाशक ने आक्रमण किया है; उसके सारे शूर योद्धा बंदी बनाए जाएंगे, उसके धनुष टूट चुके हैं. क्योंकि याहवेह बदला लेनेवाले परमेश्वर हैं; वह पूरा-पूरा बदला लेंगे. 57 मैं उसके उच्चाधिकारी तथा परामर्शकों को मदोन्मत बना दूंगा, उसके राज्यपालों, सेनापतियों तथा शूर योद्धाओं को भी; कि वे सभी चिर-निद्रा में सो जाएं, और फिर कभी न जागें!” यह उस राजा की वाणी है, जिनका नाम है सेनाओं के याहवेह. 58 सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: “बाबेल की चौड़ी शहरपनाह पूर्णतः ध्वस्त कर दी जाएगी तथा उसके ऊंचे-ऊंचे प्रवेश द्वार अग्नि में दाह कर दिए जाएंगे; तब प्रजा का परिश्रम व्यर्थ रहेगा, तथा राष्ट्रों का सारा परिश्रम मात्र अग्नि में भस्म होने के लिए सिद्ध होगा.” 59 नेरियाह के पुत्र माहसेइयाह के पौत्र सेराइयाह को दिया गया भविष्यद्वक्ता येरेमियाह का आदेश यह है, यह उसे उस अवसर पर भेजा गया, जब वह यहूदिया के राजा सीदकियाहू के राज्य-काल के चौथे वर्ष में राजा के साथ बाबेल गया था, सेराइयाह वहां महलों का प्रबंधक था. 60 येरेमियाह ने एक चर्म कुण्डलिका में उन सारे संकटों की एक सूची बना दी जो बाबेल के लिए निर्धारित किए गए थे, अर्थात् वे सभी भविष्यवाणी, जो बाबेल के विषय में की गई थी. 61 तत्पश्चात येरेमियाह ने सेराइयाह को संबोधित कर कहा, “यह ध्यान रखना कि बाबेल पहुंचते ही तुम यह सब उच्च स्वर में सबके समक्ष पढ़ोगे. 62 फिर तुम यह भी कहना, ‘याहवेह ने इस स्थान के विषय में भविष्यवाणी की है, कि यह स्थान नष्ट कर दिया जाएगा, इस प्रकार कि इस स्थान पर कोई भी निवासी शेष न रह जाएगा; चाहे मनुष्य हो अथवा पशु और यह स्थायी उजाड़ हो जाएगा.’ 63 जैसे ही तुम इस चर्म कुण्डली को पढ़ना समाप्‍त करोगे, तुम एक पत्थर इसमें बांध देना और इसे फरात नदी के मध्य में फेंक देना. 64 उसे फेंकते हुए तुम यह कहना, ‘बाबेल इसी प्रकार डूब जाएगा और फिर कभी उठकर ऊपर न आएगा, क्योंकि मैं उस पर ऐसा संकट डालने पर हूं. और उसके लोग गिर जाएंगे.’ ” येरेमियाह के शब्द यहीं तक हैं.
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