पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
अय्यूब
1. {#1न्याय के मार्ग पर क्रोध की शक्तिहीनता }
2. [PS]इसके बाद शूही बिलदद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की: [PE][QS]“कब तक तुम इसी प्रकार शब्दों में उलझे रहोगे? [QE][QS2]कुछ सार्थक विषय प्रस्तुत करो, कि कुछ परिणाम प्रकट हो सके. [QE]
3. [QS]हमें पशु क्यों समझा जा रहा है? [QE][QS2]क्या हम तुम्हारी दृष्टि में मूर्ख हैं? [QE]
4. [QS]तुम, जो क्रोध में स्वयं को फाड़े जा रहे हो, [QE][QS2]क्या, तुम्हारे हित में तो पृथ्वी अब उजड़ हो जानी चाहिए? [QE][QS2]अथवा, क्या चट्टान को अपनी जगह से अलग किया जाये? [QE][PBR]
5. [QS]“सत्य तो यह है कि दुर्वृत्त का दीप वस्तुतः बुझ चुका है; [QE][QS2]उसके द्वारा प्रज्वलित अग्निशिखा में तो प्रकाश ही नहीं है. [QE]
6. [QS]उसका तंबू अंधकार में है; [QE][QS2]उसके ऊपर का दीपक बुझ गया है. [QE]
7. [QS]उसकी द्रुत चाल को रोक दिया गया है; [QE][QS2]तथा उसकी अपनी युक्ति उसे ले डूबी, [QE]
8. [QS]क्योंकि वह तो अपने जाल में जा फंसा है; [QE][QS2]उसने अपने ही फंदे में पैर डाल दिया है. [QE]
9. [QS]उसकी एड़ी पर वह फंदा जा पड़ा [QE][QS2]तथा संपूर्ण उपकरण उसी पर आ गिरा है, [QE]
10. [QS]भूमि के नीचे उसके लिए वह गांठ छिपाई गई थी; [QE][QS2]उसके रास्ते में एक फंदा रखा गया था. [QE]
11. [QS]अब तो आतंक ने उसे चारों ओर से घेर रखा है [QE][QS2]तथा उसके पीछे पड़कर उसे सता रहे हैं. [QE]
12. [QS]उसके बल का ठट्ठा हुआ जा रहा है; [QE][QS2]विपत्ति उसके निकट ठहरी हुई है. [QE]
13. [QS]उसकी खाल पर घोर व्याधि लगी हुई है; [QE][QS2]उसके अंगों को मृत्यु के पहलौठे ने खाना बना लिया है. [QE]
14. [QS]उसके ही तंबू की सुरक्षा में से उसे झपट लिया गया है [QE][QS2]अब वे उसे आतंक के राजा के सामने प्रदर्शित हो रहे हैं. [QE]
15. [QS]अब उसके तंबू में विदेशी जा बसे हैं; [QE][QS2]उसके घर पर गंधक छिड़क दिया गया है. [QE]
16. [QS]भूमि के भीतर उसकी जड़ें अब शुष्क हो चुकी हैं [QE][QS2]तथा ऊपर उनकी शाखाएं काटी जा चुकी हैं. [QE]
17. [QS]धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे; [QE][QS2]बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा. [QE]
18. [QS]उसे तो प्रकाश में से अंधकार में धकेल दिया गया है [QE][QS2]तथा मनुष्यों के समाज से उसे खदेड़ दिया गया है. [QE]
19. [QS]मनुष्यों के मध्य उसका कोई वंशज नहीं रह गया है, [QE][QS2]जहां-जहां वह प्रवास करता है, वहां उसका कोई उत्तरजीवी नहीं. [QE]
20. [QS]पश्चिमी क्षेत्रों में उसकी स्थिति पर लोग चकित होंगे [QE][QS2]तथा पूर्वी क्षेत्रों में भय ने लोगों को जकड़ लिया है. [QE]
21. [QS]निश्चयतः दुर्वृत्तों का निवास ऐसा ही होता है; [QE][QS2]उनका निवास, जिन्हें परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं है.” [QE]
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न्याय के मार्ग पर क्रोध की शक्तिहीनता 1 2 इसके बाद शूही बिलदद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की: “कब तक तुम इसी प्रकार शब्दों में उलझे रहोगे? कुछ सार्थक विषय प्रस्तुत करो, कि कुछ परिणाम प्रकट हो सके. 3 हमें पशु क्यों समझा जा रहा है? क्या हम तुम्हारी दृष्टि में मूर्ख हैं? 4 तुम, जो क्रोध में स्वयं को फाड़े जा रहे हो, क्या, तुम्हारे हित में तो पृथ्वी अब उजड़ हो जानी चाहिए? अथवा, क्या चट्टान को अपनी जगह से अलग किया जाये? 5 “सत्य तो यह है कि दुर्वृत्त का दीप वस्तुतः बुझ चुका है; उसके द्वारा प्रज्वलित अग्निशिखा में तो प्रकाश ही नहीं है. 6 उसका तंबू अंधकार में है; उसके ऊपर का दीपक बुझ गया है. 7 उसकी द्रुत चाल को रोक दिया गया है; तथा उसकी अपनी युक्ति उसे ले डूबी, 8 क्योंकि वह तो अपने जाल में जा फंसा है; उसने अपने ही फंदे में पैर डाल दिया है. 9 उसकी एड़ी पर वह फंदा जा पड़ा तथा संपूर्ण उपकरण उसी पर आ गिरा है, 10 भूमि के नीचे उसके लिए वह गांठ छिपाई गई थी; उसके रास्ते में एक फंदा रखा गया था. 11 अब तो आतंक ने उसे चारों ओर से घेर रखा है तथा उसके पीछे पड़कर उसे सता रहे हैं. 12 उसके बल का ठट्ठा हुआ जा रहा है; विपत्ति उसके निकट ठहरी हुई है. 13 उसकी खाल पर घोर व्याधि लगी हुई है; उसके अंगों को मृत्यु के पहलौठे ने खाना बना लिया है. 14 उसके ही तंबू की सुरक्षा में से उसे झपट लिया गया है अब वे उसे आतंक के राजा के सामने प्रदर्शित हो रहे हैं. 15 अब उसके तंबू में विदेशी जा बसे हैं; उसके घर पर गंधक छिड़क दिया गया है. 16 भूमि के भीतर उसकी जड़ें अब शुष्क हो चुकी हैं तथा ऊपर उनकी शाखाएं काटी जा चुकी हैं. 17 धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे; बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा. 18 उसे तो प्रकाश में से अंधकार में धकेल दिया गया है तथा मनुष्यों के समाज से उसे खदेड़ दिया गया है. 19 मनुष्यों के मध्य उसका कोई वंशज नहीं रह गया है, जहां-जहां वह प्रवास करता है, वहां उसका कोई उत्तरजीवी नहीं. 20 पश्चिमी क्षेत्रों में उसकी स्थिति पर लोग चकित होंगे तथा पूर्वी क्षेत्रों में भय ने लोगों को जकड़ लिया है. 21 निश्चयतः दुर्वृत्तों का निवास ऐसा ही होता है; उनका निवास, जिन्हें परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं है.”
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