1. {#1एलिफ़ेज़ द्वारा अय्योब पर आरोप }
2. [PS]तब तेमानवासी एलिफाज़ ने प्रत्युत्तर में कहा: [PE][QS]“क्या कोई बलवान पुरुष परमेश्वर के लिए उपयोगी हो सकता है? [QE][QS2]अथवा क्या कोई बुद्धिमान स्वयं का कल्याण कर सकता है? [QE]
3. [QS]क्या तुम्हारी खराई सर्वशक्तिमान के लिए आनंद है? [QE][QS2]अथवा क्या तुम्हारा त्रुटिहीन चालचलन लाभकारी होता है? [QE][PBR]
4. [QS]“क्या तुम्हारे द्वारा दिया गया सम्मान तुम्हें उनके सामने स्वीकार्य बना देता है, [QE][QS2]कि वह तुम्हारे विरुद्ध न्याय करने लगते हैं? [QE]
5. [QS]क्या तुम्हारी बुराई बहुत नहीं कही जा सकती? [QE][QS2]क्या तुम्हारे पाप का अंत नहीं? [QE]
6. [QS]क्यों तुमने अकारण अपने भाइयों का बंधक रख लिया है, [QE][QS2]तथा मनुष्यों को विवस्त्र कर छोड़ा है? [QE]
7. [QS]थके मांदे से तुमने पेय जल के लिए तक न पूछा, [QE][QS2]भूखे से तुमने भोजन छिपा रखा है. [QE]
8. [QS]किंतु पृथ्वी पर बलवानों का अधिकार है, [QE][QS2]इसके निवासी सम्मान्य व्यक्ति हैं. [QE]
9. [QS]तुमने विधवाओं को निराश लौटा दिया है [QE][QS2]पितृहीनों का बल कुचल दिया गया है. [QE]
10. [QS]यही कारण है कि तुम्हारे चारों ओर फंदे फैले हैं, [QE][QS2]आतंक ने तुम्हें भयभीत कर रखा है, [QE]
11. [QS]संभवतः यह अंधकार है कि तुम दृष्टिहीन हो जाओ, [QE][QS2]एक बड़ी जल राशि में तुम जलमग्न हो चुके हो. [QE][PBR]
12. [QS]“क्या परमेश्वर स्वर्ग में विराजमान नहीं हैं? [QE][QS2]दूर के तारों पर दृष्टि डालो. कितनी ऊंचाई पर हैं वे! [QE]
13. [QS]तुम पूछ रहे हो, ‘क्या-क्या मालूम है परमेश्वर को?’ [QE][QS2]क्या घोर अंधकार में भी उन्हें स्थिति बोध हो सकता है? [QE]
14. [QS]मेघ उनके लिए छिपने का साधन हो जाते हैं, तब वह देख सकते हैं; [QE][QS2]वह तो नभोमण्डल में चलते फिरते हैं. [QE]
15. [QS]क्या तुम उस प्राचीन मार्ग पर चलते रहोगे, [QE][QS2]जो दुर्वृत्तों का मार्ग हुआ करता था? [QE]
16. [QS]जिन्हें समय से पूर्व ही उठा लिया गया, [QE][QS2]जिनकी तो नींव ही नदी अपने प्रवाह में बहा ले गई? [QE]
17. [QS]वे परमेश्वर से आग्रह करते, ‘हमसे दूर चले जाइए!’ [QE][QS2]तथा यह भी ‘सर्वशक्तिमान उनका क्या बिगाड़ लेगा?’ [QE]
18. [QS]फिर भी परमेश्वर ने उनके घरों को उत्तम वस्तुओं से भर रखा है, [QE][QS2]किंतु उन दुर्वृत्तों की युक्ति मेरी समझ से परे है. [QE]
19. [QS]यह देख धार्मिक उल्लसित हो रहे हैं तथा वे; [QE][QS2]जो निर्दोष हैं, उनका उपहास कर रहे हैं. [QE]
20. [QS]उनका नारा है, ‘यह सत्य है कि हमारे शत्रु मिटा दिए गए हैं, [QE][QS2]उनकी समृद्धि को अग्नि भस्म कर चुकी है.’ [QE][PBR]
21. [QS]“अब भी समर्पण करके परमेश्वर से मेल कर लो; [QE][QS2]तब तो तुम्हारे कल्याण की संभावना है. [QE]
22. [QS]कृपया उनसे शिक्षा ग्रहण कर लो. [QE][QS2]उनके शब्दों को मन में रख लो. [QE]
23. [QS]यदि तुम सर्वशक्तिमान की ओर मुड़कर समीप हो जाओ, तुम पहले की तरह हो जाओगे: [QE][QS2]यदि तुम अपने घर में से बुराई को दूर कर दोगे, [QE]
24. [QS]यदि तुम अपने स्वर्ण को भूमि में दबा दोगे, उस स्वर्ण को, जो ओफीर से लाया गया है, [QE][QS2]उसे नदियों के पत्थरों के मध्य छिपा दोगे, [QE]
25. [QS]तब सर्वशक्तिमान स्वयं तुम्हारे लिए स्वर्ण हो जाएंगे हां, [QE][QS2]उत्कृष्ट चांदी. [QE]
26. [QS]तुम परमेश्वर की ओर दृष्टि करोगे, [QE][QS2]तब सर्वशक्तिमान तुम्हारे परमानंद हो जाएंगे. [QE]
27. [QS]जब तुम उनसे प्रार्थना करोगे, वह तुम्हारी सुन लेंगे, [QE][QS2]इसके अतिरिक्त तुम अपनी मन्नतें भी पूर्ण करोगे. [QE]
28. [QS]तुम किसी विषय की कामना करोगे और वह तुम्हारे लिए सफल हो जाएगा, [QE][QS2]इसके अतिरिक्त तुम्हारा रास्ता भी प्रकाशित हो जाएगा. [QE]
29. [QS]उस स्थिति में जब तुम पूर्णतः हताश हो जाओगे, तुम्हारी बातें तुम्हारा ‘आत्मविश्वास प्रकट करेंगी!’ [QE][QS2]परमेश्वर विनीत व्यक्ति को रक्षा प्रदान करते हैं. [QE]
30. [QS]निर्दोष को परमेश्वर सुरक्षा प्रदान करते हैं, [QE][QS2]वह निर्दोष तुम्हारे ही शुद्ध कामों के कारण छुड़ाया जाएगा.” [QE]