पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
अय्यूब
1. {#1परमेश्वर की सामर्थ्य का स्तवन }
2. [PS]तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया: [PE][QS]“प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं; [QE][QS2]वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं. [QE]
3. [QS]क्या परमेश्वर की सेना गण्य है? [QE][QS2]कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है? [QE]
4. [QS]तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है? [QE][QS2]अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है? [QE]
5. [QS]यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है [QE][QS2]तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है, [QE]
6. [QS]तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है, [QE][QS2]मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!” [QE]
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परमेश्वर की सामर्थ्य का स्तवन 1 2 तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया: “प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं; वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं. 3 क्या परमेश्वर की सेना गण्य है? कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है? 4 तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है? अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है? 5 यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है, 6 तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है, मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!”
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