पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यहोशू
1. {#1एफ्राईम और मनश्शेह की सीमा } [LS] योसेफ़ को येरीख़ो नगर के पास यरदन नदी से लेकर येरीख़ो के जल के सोते तक और पूर्व में निर्जन प्रदेश तक भूमि दी गई जो येरीख़ो से लेकर पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए बेथेल तक थी.
2. यह सीमा बेथेल से लूज़ तक थी और आगे बढ़ते हुए अटारोथ के अर्कीयों की सीमा तक थी.
3. यह पश्चिम से होते हुए यफलेतियों की सीमा से आगे बढ़ते हुए बेथ-होरोन तथा गेज़ेर से होती हुई भूमध्य-सागर तट पर खत्म होती है. [LE][PBR]
4. [LS4] इस प्रकार योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह तथा एफ्राईम को उनका हिस्सा मिला. [LE][PBR] [PBR]
5. [LS4] उनके परिवारों के अनुसार एफ्राईम वंश के मीरास की सीमाएं इस प्रकार थी: [LE][PBR] [LS]पूर्व में उनकी सीमा अटारोथ-अद्दार से लेकर उच्चतर बेथ-होरोन तक थी.
6. यह सीमा पश्चिम की ओर बढ़ती गई: जो उत्तर में मिकमथाथ, फिर पूर्व में तानथ-शिलोह की ओर मुड़ गई, फिर बढ़ते हुए यानोहा में जा पहुंची.
7. यानोहा से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए अटारोथ और नाराह पहुंचकर येरीख़ो पहुंच गई और वहां से निकलकर यरदन पर खत्म हुई.
8. फिर तप्पूआह से यह सीमा पश्चिम में कानाह नदी की और बढ़ जाती है और भूमध्य-सागर पर जाकर मिल जाती है. एफ्राईम गोत्र के परिवारों के अनुसार उनका हिस्सा यही है, [LE]
9. [LS] इसके अलावा कुछ ऐसे गांव एवं नगर भी हैं, जो मनश्शेह की विरासत की सीमा के अंदर थे, जो एफ्राईम वंश को दे दिए गए थे. [LE][PBR]
10. [PS]लेकिन उन्होंने उन कनानियों को बाहर नहीं निकाला, जो गेज़ेर में रह रहे थे. तब आज तक कनानी एफ्राईम वंश के बीच दास बनकर रह रहे हैं. [PE]
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एफ्राईम और मनश्शेह की सीमा 1 योसेफ़ को येरीख़ो नगर के पास यरदन नदी से लेकर येरीख़ो के जल के सोते तक और पूर्व में निर्जन प्रदेश तक भूमि दी गई जो येरीख़ो से लेकर पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए बेथेल तक थी. 2 यह सीमा बेथेल से लूज़ तक थी और आगे बढ़ते हुए अटारोथ के अर्कीयों की सीमा तक थी. 3 यह पश्चिम से होते हुए यफलेतियों की सीमा से आगे बढ़ते हुए बेथ-होरोन तथा गेज़ेर से होती हुई भूमध्य-सागर तट पर खत्म होती है. 4 इस प्रकार योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह तथा एफ्राईम को उनका हिस्सा मिला. 5 उनके परिवारों के अनुसार एफ्राईम वंश के मीरास की सीमाएं इस प्रकार थी: पूर्व में उनकी सीमा अटारोथ-अद्दार से लेकर उच्चतर बेथ-होरोन तक थी. 6 यह सीमा पश्चिम की ओर बढ़ती गई: जो उत्तर में मिकमथाथ, फिर पूर्व में तानथ-शिलोह की ओर मुड़ गई, फिर बढ़ते हुए यानोहा में जा पहुंची. 7 यानोहा से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए अटारोथ और नाराह पहुंचकर येरीख़ो पहुंच गई और वहां से निकलकर यरदन पर खत्म हुई. 8 फिर तप्पूआह से यह सीमा पश्चिम में कानाह नदी की और बढ़ जाती है और भूमध्य-सागर पर जाकर मिल जाती है. एफ्राईम गोत्र के परिवारों के अनुसार उनका हिस्सा यही है, 9 इसके अलावा कुछ ऐसे गांव एवं नगर भी हैं, जो मनश्शेह की विरासत की सीमा के अंदर थे, जो एफ्राईम वंश को दे दिए गए थे. 10 लेकिन उन्होंने उन कनानियों को बाहर नहीं निकाला, जो गेज़ेर में रह रहे थे. तब आज तक कनानी एफ्राईम वंश के बीच दास बनकर रह रहे हैं.
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