1. [PS]फिर मनश्शेह के गोत्र के लिए भूमि का बंटवारा किया गया. मनश्शेह के बड़े बेटे माखीर को गिलआद तथा बाशान नामक स्थान दिया गया, क्योंकि वह एक योद्धा था.
2. तब मनश्शेह के शेष पुत्रों के लिए उनके परिवारों के अनुसार भूमि बांटी गई: अबीएज़ेर, हेलेक, अस्रीएल, शेकेम, हेफेर तथा शेमीदा के पुत्रों के लिए; ये सभी उनके परिवारों के अनुसार योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह के पुरुष वंशज थे. [PE]
3. [PS]हेफेर, जो गिलआद का बेटा माखीर का पोता और मनश्शेह का परपोता था, उसके पुत्र ज़लोफेहाद का कोई पुत्र न था—केवल बेटियां ही थी. उसकी पुत्रियों के नाम: महलाह, नोआ, होगलाह, मिलकाह तथा तिरज़ाह है.
4. ये सभी, पुरोहित एलिएज़र, नून के पुत्र यहोशू तथा प्रधानों के पास गईं तथा उनसे निवेदन किया, “याहवेह की ओर से मोशेह को यह कहा गया था कि वह हमें हमारे भाई-बंधुओं के साथ हमारा हिस्सा दे.” तब उन्होंने याहवेह के कहे अनुसार उन्हें उनके पिता के भाइयों के बीच हिस्सा दे दिया.
5. इसके अलावा गिलआद तथा बाशान मनश्शेह के हिस्से में दस अंश आए. यह यरदन के पार हैं,
6. तथा मनश्शेह गोत्र के पुत्रों के साथ पुत्रियों को भी हिस्सा दिया. गिलआद पर अब मनश्शेह के पुत्रों का अधिकार हो गया. [PE][PBR]
7. [LS] मनश्शेह प्रदेश की सीमा आशेर से शेकेम के पूर्व में मिकमथाथ तक थी. फिर यह सीमा दक्षिण की ओर मुड़ जाती है जहां एन-तप्पूआह का नगर है.
8. तप्पूआह देश मनश्शेह की संपत्ति थी, किंतु मनश्शेह की सीमा पर बसा नगर तप्पूआह एफ्राईम वंश की संपत्ति थी.
9. तब सीमा दक्षिण में कानाह नदी की ओर बढ़ जाती है, ये नगर मनश्शेह के नगरों के बीच होने पर भी, एफ्राईम ही की संपत्ति थी. मनश्शेह की सीमा, नदी के उत्तर में थी जो भूमध्य-सागर पर जाकर खत्म होती थी.
10. दक्षिण हिस्सा एफ्राईम का, तथा उत्तरी हिस्सा मनश्शेह का था. इनकी सीमा समुद्र तक थी. ये उत्तर में आशेर तथा पूर्व में इस्साखार तक पहुंचती थी. [LE]
11. [LS] इस्साखार तथा आशेर के भूमि प्रदेश के अंदर में ही मनश्शेह को ये दिए गये: बेथ-शान तथा इसके चारों ओर के गांवों, इब्लीम तथा इसके चारों ओर के गांवों, दोर तथा इसके चारों ओर के गांवों, एन-दोर तथा इसके चारों ओर के गांवों, तानख तथा इसके चारों ओर के गांवों, मगिद्दो तथा इसके चारों ओर के गांवों. (और तीसरा नगर नाफ़ोथ था.) [LE][PBR]
12. [PS]मनश्शेह इन नगरों को अपने अधिकार में न कर सके, क्योंकि कनानी ज़बरदस्ती इन नगरों में रह रहे थे.
13. जब इस्राएल वंश बलवंत हो गए, तब उन्होंने कनानियों को मज़दूर बना दिया; उन्होंने इन्हें देश से पूरी तरह बाहर न निकाला. [PE]
14.
15. [PS]योसेफ़ गोत्रजों ने यहोशू से कहा, “आपने क्यों एक ही बार में हमें हिस्सा दे दिया, जबकि हम वह गोत्र हैं, जिसे याहवेह ने अब तक आशीष दी है, और हमारे गोत्र की संख्या बहुत ज्यादा है.” [PE]
16. [PS]यहोशू ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि तुम्हारे गोत्र की संख्या ज्यादा है, तो अच्छा होगा कि तुम लोग पर्वतीय वन में जाकर वन को साफ़ करें और परिज्ज़ियों तथा रेफाइम के प्रदेश में अपने लिए जगह बना लें, क्योंकि तुम्हारे लिए एफ्राईम का पर्वतीय क्षेत्र बहुत छोटा है.” [PE]
17. [PS]योसेफ़ गोत्रजों ने उन्हें उत्तर दिया, “पर्वतीय क्षेत्र भी हमारे लिए पूरा न होगा तथा उन सभी के पास लोहे के रथ हैं, जो कनानी तराई-घाटी की भूमि में रहते हैं; जो बेथ-शान और चारों ओर के गांवों में तथा जो येज़्रील घाटी में हैं.” [PE][PS]यहोशू ने योसेफ़—एफ्राईम तथा मनश्शेह—गोत्रों से कहा, “तुम लोग बहुत बलवान हो. तुम लोगों का फैसला एक ही बार में न होगा.
18. यह पर्वतीय क्षेत्र है, तुम इसे साफ़ करो और यह पूरा तुम्हारा ही होगा; और तुम कनानियों को निकाल बाहर करोगे, यद्यपि उनके पास लोहे के रथ हैं और वे ताकतवर भी हैं.” [PE]