पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
न्यायियों
1. {#1गिदोन द्वारा मिदियानी हरा जाता है } [PS]तब यरूबाल, अर्थात् गिदोन, तथा उसके साथ के सारे योद्धा तड़के उठे और उन्होंने हरोद के सोते के पास पड़ाव डाल दिया; मिदियानी उनके उत्तर में घाटी की मोरेह पहाड़ी पर पड़ाव डाले हुए थे.
2. याहवेह ने गिदोन से कहा, “मिदियानियों को तुम्हारे वश में कर देने के उद्देश्य से तुम्हारे साथ के इन लोगों की संख्या बहुत अधिक है. ऐसा न हो इस्राएल अहंकार में यह डींग मारने लगे, ‘अपनी ही शक्ति से हमने छुटकारा प्राप्‍त किया है!’
3. इस कारण अब मेरे पास आओ, लोगों को घोषणा करके यह सुना दो, ‘जो कोई डरा हुआ है, और डर से कांप रहा है, वह गिलआद पहाड़ से लौटकर चला जाए.’ ” इस घोषणा पर बाईस हज़ार लोग लौटकर चले गए. बचे रह गए, दस हज़ार. [PE]
4.
5. [PS]याहवेह ने गिदोन से कहा, “अब भी गिनती में ये लोग बहुत ज्यादा हैं. उन्हें जल के पास ले आओ कि मैं उन्हें वहां तुम्हारे लिए परख सकूं. मैं जिस किसी के विषय में कहूंगा, ‘यह जाएगा तुम्हारे साथ,’ वही तुम्हारे साथ जाएगा; किंतु जिस किसी के विषय में मैं यह कहूं ‘यह तुम्हारे साथ नहीं जाएगा,’ वह तुम्हारे साथ नहीं जाएगा.” [PE][PS]इस प्रकार गिदोन उस सबको जल के निकट ले आया. याहवेह ने गिदोन को आदेश दिया, “तुम उन्हें, जो कुत्ते के समान जीभ से जल पिएंगे, उनसे अलग कर लेना, जो घुटने टेककर जल पिएंगे.”
6. उन व्यक्तियों की गिनती, जिन्होंने चुल्लू में जल लेकर जीभ की सहायता से जल पिया था, तीन सौ हुई; मगर बचे हुए वे थे, जिन्होंने घुटने टेककर जल पिया था. [PE]
7. [PS]याहवेह ने गिदोन से कहा, “मैं इन्हीं तीन सौ व्यक्तियों के द्वारा तुम्हें छुटकारा दिलाऊंगा, जिन्होंने चुल्लू में जल लेकर जीभ की सहायता से पिया था. मैं मिदियानियों को तुम्हारे अधीन कर दूंगा. इसलिये अब इन बचे हुओं को लौट जाने दो.”
8. इन लोगों ने अपने भोजन सामग्री और अपने नरसिंगे उठा लिए. बाकियों को गिदोन ने विदा कर दिया, और इस्राएली अपनी-अपनी घर को लौट गए, मगर इन तीन सौ को उसने अपने साथ रखा. [PE][PS]मिदियानियों का पड़ाव नीचे घाटी में था.
9. उसी रात याहवेह ने गिदोन को आदेश दिया, “उठो, जाकर पड़ाव पर हमला कर दो, क्योंकि मैंने उसे तुम्हारे अधीन कर दिया है.
10. हां, यदि तुम्हें वहां जाने में डर लग रहा हो, तो अपने सेवक पुराह को लेकर वहां पड़ाव को जाओ.
11. वहां जाकर सुनो कि वे क्या-क्या बातें कर रहे हैं. इससे तुम्हें हौसला मिलेगा कि तुम पड़ाव पर हमला कर सको.” सो गिदोन अपने सेवक पुराह को लेकर सेना के पड़ाव की सीमा चौकी पर जा पहुंचा.
12. इस समय मिदियानी, अमालेक तथा पूर्वी देशों से आए हुए सैनिक घाटी में अपनी-अपनी छावनियों में लेटे हुए थे. वे टिड्डी दल के समान अनगिनत थे. उनके ऊंट भी अनगिनत थे, जैसे सागर किनारे की रेत. [PE]
13.
14. [PS]जब गिदोन सीमा चौकी पर पहुंचा, एक सैनिक अपने मित्र से अपने स्वप्न के बारे में बता रहा था; वह कह रहा था, “सुनो, मैंने एक स्वप्न देखा है. जौ की एक रोटी लुढ़कती हुई आई और मिदियानी पड़ाव में प्रवेश कर गई, एक तंबू तक पहुंचकर उसने उस पर ऐसा हमला किया, कि वह तंबू भूमि पर बिछ गया.” [PE]
15. [PS]उसके मित्र ने उत्तर में कहा, “इस्राएली योआश के पुत्र गिदोन की तलवार के अलावा यह और कोई नहीं हो सकता. परमेश्वर ने मिदियान तथा उसकी पूरी छावनी को उसके वश में कर दिया है.” [PE][PS]जब गिदोन ने इस स्वप्न तथा इसके फल के बारे में सुना, वह परमेश्वर की स्तुति में वहीं दंडवत हो गया. वह इस्राएली छावनी को लौट गया और वहां यह घोषणा कर दी, “उठो-उठो याहवेह ने मिदियानी पड़ाव को तुम्हारे वश में कर दिया है.”
16. तब गिदोन ने उन तीन सौ को तीन दलों में बांटकर उन सभी के हाथों में नरसिंगे और खाली मटकियां दे दीं, जिनमें मशालें रखी हुई थी. [PE]
17. [PS]उसने उन्हें आदेश दिया, “मेरी ओर देखते रहना तथा वैसा ही करते जाना जैसा जैसा मैं करूंगा, और सुनो, जब मैं उनकी छावनी के पास पहुंचूंगा, तो जो मैं करूंगा, वही तुम भी करना.
18. जब मैं और मेरे साथी नरसिंगा फूंकें, तब तुम भी पूरी छावनी के आस-पास नरसिंगा फूंकते हुए नारा लगाना, ‘याहवेह के लिए और गिदोन के लिए!’ ” [PE]
19. [PS]इस कारण आधी रात को, जब उन्होंने पहरेदार चुने, गिदोन और उसके साथ के सौ व्यक्ति छावनी के पास पहुंच गए. उन्होंने नरसिंगे फूंके और अपने हाथों की मटकियों को फोड़ डाला.
20. जब तीनों दलों ने नरसिंगे फूंकते हुए अपनी-अपनी मटकियां फोड़ीं, उन्होंने मशालें अपने बाएं हाथ में तथा नाद करने के लिए नरसिंगे दाएं हाथ में पकड़े थे. उन्होंने नारा लगाया, “तलवार याहवेह के लिए और गिदोन के लिए.”
21. हर एक व्यक्ति अपने-अपने स्थान पर पड़ाव के आस-पास घेरा बनाए हुए खड़ा था. पड़ाव के सभी लोग भागने लगे. वे सब भागते हुए चिल्लाते जा रहे थे. [PE]
22. [PS]जब उन तीन सौ ने नरसिंगे फूंके, याहवेह ने मिदियानियों के हर एक सैनिक की तलवार उसके साथी पर चलवा दी; ऐसा सारी सेना में हो गया. सेना ज़ेरेराह के बेथ-शित्ताह तक भागती चली गई; और आगे तब्बाथ के निकट आबेल-मेहोलाह की सीमा तक.
23. नफताली, आशेर तथा मनश्शेह के गोत्रों से इस्राएलियों को बुलाया गया और उन्होंने भी मिदियानियों का पीछा किया.
24. गिदोन ने एफ्राईम के सारे पहाड़ी इलाके में यह संदेश लेकर अपने दूत भेज दिए: “आकर मिदियान पर आक्रमण करके उनसे बेथ-बाराह तथा यरदन तक के जलाशय छीन लो.” [PE][PS]इसलिए एफ्राईम से सभी पुरुष आ गए और उन्होंने बेथ-बाराह तथा यरदन तक सारे जलाशयों पर अधिकार कर लिया.
25. उन्होंने मिदियान के दो हाकिमों ओरेब तथा ज़ेब, को पकड़ लिया. जब वे मिदियानियों का पीछा कर रहे थे, ओरेब का वध ओरेब की चट्टान पर तथा ज़ेब का वध ज़ेब के दाख के कुंड पर कर दिया. उन्होंने यरदन पार से ओरेब तथा ज़ेब के सिर लाकर गिदोन के सामने रख दिए. [PE]
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गिदोन द्वारा मिदियानी हरा जाता है 1 तब यरूबाल, अर्थात् गिदोन, तथा उसके साथ के सारे योद्धा तड़के उठे और उन्होंने हरोद के सोते के पास पड़ाव डाल दिया; मिदियानी उनके उत्तर में घाटी की मोरेह पहाड़ी पर पड़ाव डाले हुए थे. 2 याहवेह ने गिदोन से कहा, “मिदियानियों को तुम्हारे वश में कर देने के उद्देश्य से तुम्हारे साथ के इन लोगों की संख्या बहुत अधिक है. ऐसा न हो इस्राएल अहंकार में यह डींग मारने लगे, ‘अपनी ही शक्ति से हमने छुटकारा प्राप्‍त किया है!’ 3 इस कारण अब मेरे पास आओ, लोगों को घोषणा करके यह सुना दो, ‘जो कोई डरा हुआ है, और डर से कांप रहा है, वह गिलआद पहाड़ से लौटकर चला जाए.’ ” इस घोषणा पर बाईस हज़ार लोग लौटकर चले गए. बचे रह गए, दस हज़ार. 4 5 याहवेह ने गिदोन से कहा, “अब भी गिनती में ये लोग बहुत ज्यादा हैं. उन्हें जल के पास ले आओ कि मैं उन्हें वहां तुम्हारे लिए परख सकूं. मैं जिस किसी के विषय में कहूंगा, ‘यह जाएगा तुम्हारे साथ,’ वही तुम्हारे साथ जाएगा; किंतु जिस किसी के विषय में मैं यह कहूं ‘यह तुम्हारे साथ नहीं जाएगा,’ वह तुम्हारे साथ नहीं जाएगा.” इस प्रकार गिदोन उस सबको जल के निकट ले आया. याहवेह ने गिदोन को आदेश दिया, “तुम उन्हें, जो कुत्ते के समान जीभ से जल पिएंगे, उनसे अलग कर लेना, जो घुटने टेककर जल पिएंगे.” 6 उन व्यक्तियों की गिनती, जिन्होंने चुल्लू में जल लेकर जीभ की सहायता से जल पिया था, तीन सौ हुई; मगर बचे हुए वे थे, जिन्होंने घुटने टेककर जल पिया था. 7 याहवेह ने गिदोन से कहा, “मैं इन्हीं तीन सौ व्यक्तियों के द्वारा तुम्हें छुटकारा दिलाऊंगा, जिन्होंने चुल्लू में जल लेकर जीभ की सहायता से पिया था. मैं मिदियानियों को तुम्हारे अधीन कर दूंगा. इसलिये अब इन बचे हुओं को लौट जाने दो.” 8 इन लोगों ने अपने भोजन सामग्री और अपने नरसिंगे उठा लिए. बाकियों को गिदोन ने विदा कर दिया, और इस्राएली अपनी-अपनी घर को लौट गए, मगर इन तीन सौ को उसने अपने साथ रखा. मिदियानियों का पड़ाव नीचे घाटी में था. 9 उसी रात याहवेह ने गिदोन को आदेश दिया, “उठो, जाकर पड़ाव पर हमला कर दो, क्योंकि मैंने उसे तुम्हारे अधीन कर दिया है. 10 हां, यदि तुम्हें वहां जाने में डर लग रहा हो, तो अपने सेवक पुराह को लेकर वहां पड़ाव को जाओ. 11 वहां जाकर सुनो कि वे क्या-क्या बातें कर रहे हैं. इससे तुम्हें हौसला मिलेगा कि तुम पड़ाव पर हमला कर सको.” सो गिदोन अपने सेवक पुराह को लेकर सेना के पड़ाव की सीमा चौकी पर जा पहुंचा. 12 इस समय मिदियानी, अमालेक तथा पूर्वी देशों से आए हुए सैनिक घाटी में अपनी-अपनी छावनियों में लेटे हुए थे. वे टिड्डी दल के समान अनगिनत थे. उनके ऊंट भी अनगिनत थे, जैसे सागर किनारे की रेत. 13 14 जब गिदोन सीमा चौकी पर पहुंचा, एक सैनिक अपने मित्र से अपने स्वप्न के बारे में बता रहा था; वह कह रहा था, “सुनो, मैंने एक स्वप्न देखा है. जौ की एक रोटी लुढ़कती हुई आई और मिदियानी पड़ाव में प्रवेश कर गई, एक तंबू तक पहुंचकर उसने उस पर ऐसा हमला किया, कि वह तंबू भूमि पर बिछ गया.” 15 उसके मित्र ने उत्तर में कहा, “इस्राएली योआश के पुत्र गिदोन की तलवार के अलावा यह और कोई नहीं हो सकता. परमेश्वर ने मिदियान तथा उसकी पूरी छावनी को उसके वश में कर दिया है.” जब गिदोन ने इस स्वप्न तथा इसके फल के बारे में सुना, वह परमेश्वर की स्तुति में वहीं दंडवत हो गया. वह इस्राएली छावनी को लौट गया और वहां यह घोषणा कर दी, “उठो-उठो याहवेह ने मिदियानी पड़ाव को तुम्हारे वश में कर दिया है.” 16 तब गिदोन ने उन तीन सौ को तीन दलों में बांटकर उन सभी के हाथों में नरसिंगे और खाली मटकियां दे दीं, जिनमें मशालें रखी हुई थी. 17 उसने उन्हें आदेश दिया, “मेरी ओर देखते रहना तथा वैसा ही करते जाना जैसा जैसा मैं करूंगा, और सुनो, जब मैं उनकी छावनी के पास पहुंचूंगा, तो जो मैं करूंगा, वही तुम भी करना. 18 जब मैं और मेरे साथी नरसिंगा फूंकें, तब तुम भी पूरी छावनी के आस-पास नरसिंगा फूंकते हुए नारा लगाना, ‘याहवेह के लिए और गिदोन के लिए!’ ” 19 इस कारण आधी रात को, जब उन्होंने पहरेदार चुने, गिदोन और उसके साथ के सौ व्यक्ति छावनी के पास पहुंच गए. उन्होंने नरसिंगे फूंके और अपने हाथों की मटकियों को फोड़ डाला. 20 जब तीनों दलों ने नरसिंगे फूंकते हुए अपनी-अपनी मटकियां फोड़ीं, उन्होंने मशालें अपने बाएं हाथ में तथा नाद करने के लिए नरसिंगे दाएं हाथ में पकड़े थे. उन्होंने नारा लगाया, “तलवार याहवेह के लिए और गिदोन के लिए.” 21 हर एक व्यक्ति अपने-अपने स्थान पर पड़ाव के आस-पास घेरा बनाए हुए खड़ा था. पड़ाव के सभी लोग भागने लगे. वे सब भागते हुए चिल्लाते जा रहे थे. 22 जब उन तीन सौ ने नरसिंगे फूंके, याहवेह ने मिदियानियों के हर एक सैनिक की तलवार उसके साथी पर चलवा दी; ऐसा सारी सेना में हो गया. सेना ज़ेरेराह के बेथ-शित्ताह तक भागती चली गई; और आगे तब्बाथ के निकट आबेल-मेहोलाह की सीमा तक. 23 नफताली, आशेर तथा मनश्शेह के गोत्रों से इस्राएलियों को बुलाया गया और उन्होंने भी मिदियानियों का पीछा किया. 24 गिदोन ने एफ्राईम के सारे पहाड़ी इलाके में यह संदेश लेकर अपने दूत भेज दिए: “आकर मिदियान पर आक्रमण करके उनसे बेथ-बाराह तथा यरदन तक के जलाशय छीन लो.” इसलिए एफ्राईम से सभी पुरुष आ गए और उन्होंने बेथ-बाराह तथा यरदन तक सारे जलाशयों पर अधिकार कर लिया. 25 उन्होंने मिदियान के दो हाकिमों ओरेब तथा ज़ेब, को पकड़ लिया. जब वे मिदियानियों का पीछा कर रहे थे, ओरेब का वध ओरेब की चट्टान पर तथा ज़ेब का वध ज़ेब के दाख के कुंड पर कर दिया. उन्होंने यरदन पार से ओरेब तथा ज़ेब के सिर लाकर गिदोन के सामने रख दिए.
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