पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. {#3शलोमोन के बुद्धि सूत्र } [PS]शलोमोन के ज्ञान सूत्र निम्न लिखित हैं: [PE][QS]बुद्धिमान संतान पिता के आनंद का विषय होती है, [QE][QS2]किंतु मूर्ख संतान माता के शोक का कारण. [QE][PBR]
2. [QS]बुराई द्वारा प्राप्‍त किया धन लाभ में वृद्धि नहीं करता, [QE][QS2]धार्मिकता मृत्यु से सुरक्षित रखती है. [QE][PBR]
3. [QS]याहवेह धर्मी व्यक्ति को भूखा रहने के लिए छोड़ नहीं देते, [QE][QS2]किंतु वह दुष्ट की लालसा पर अवश्य पानी फेर देते हैं. [QE][PBR]
4. [QS]निर्धनता का कारण होता है आलस्य, [QE][QS2]किंतु परिश्रमी का प्रयास ही उसे समृद्ध बना देता है. [QE][PBR]
5. [QS]बुद्धिमान है वह पुत्र, जो ग्रीष्मकाल में ही आहार संचित कर रखता है, [QE][QS2]किंतु वह जो फसल के दौरान सोता है वह एक अपमानजनक पुत्र है. [QE][PBR]
6. [QS]धर्मी आशीषें प्राप्‍त करते जाते हैं, [QE][QS2]किंतु दुष्ट में हिंसा ही समाई रहती है. [QE][PBR]
7. [QS]धर्मी का जीवन ही आशीर्वाद-स्वरूप स्मरण किया जाता है,[* उत्प 48:20 ] [QE][QS2]किंतु दुष्ट का नाम ही मिट जाता है. [QE][PBR]
8. [QS]बुद्धिमान आदेशों को हृदय से स्वीकार करेगा, [QE][QS2]किंतु बकवादी मूर्ख विनष्ट होता जाएगा. [QE][PBR]
9. [QS]जिस किसी का चालचलन सच्चाई का है, वह सुरक्षित है, [QE][QS2]किंतु वह, जो कुटिल मार्ग अपनाता है, पकड़ा जाता है. [QE][PBR]
10. [QS]जो कोई आंख मारता है, वह समस्या उत्पन्‍न कर देता है, [QE][QS2]किंतु बकवादी मूर्ख विनष्ट हो जाएगा. [QE][PBR]
11. [QS]धर्मी के मुख से निकले वचन जीवन का सोता हैं, [QE][QS2]किंतु दुष्ट अपने मुख में हिंसा छिपाए रहता है. [QE][PBR]
12. [QS]घृणा कलह की जननी है, [QE][QS2]किंतु प्रेम सभी अपराधों पर आवरण डाल देता है. [QE][PBR]
13. [QS]समझदार व्यक्ति के होंठों पर ज्ञान का वास होता है, [QE][QS2]किंतु अज्ञानी के लिए दंड ही निर्धारित है. [QE][PBR]
14. [QS]बुद्धिमान ज्ञान का संचयन करते हैं, [QE][QS2]किंतु मूर्ख की बातें विनाश आमंत्रित करती है. [QE][PBR]
15. [QS]धनी व्यक्ति के लिए उसका धन एक गढ़ के समान होता है, [QE][QS2]किंतु निर्धन की गरीबी उसे ले डूबती है. [QE][PBR]
16. [QS]धर्मी का ज्ञान उसे जीवन प्रदान करता है, [QE][QS2]किंतु दुष्ट की उपलब्धि होता है पाप. [QE][PBR]
17. [QS]जो कोई सावधानीपूर्वक शिक्षा का चालचलन करता है, [QE][QS2]वह जीवन मार्ग पर चल रहा होता है, किंतु जो ताड़ना की अवमानना करता है, अन्यों को भटका देता है. [QE][PBR]
18. [QS]वह, जो घृणा को छिपाए रहता है, [QE][QS2]झूठा होता है और वह व्यक्ति मूर्ख प्रमाणित होता है, जो निंदा करता फिरता है. [QE][PBR]
19. [QS]जहां अधिक बातें होती हैं, वहां अपराध दूर नहीं रहता, [QE][QS2]किंतु जो अपने मुख पर नियंत्रण रखता है, वह बुद्धिमान है. [QE][PBR]
20. [QS]धर्मी की वाणी उत्कृष्ट चांदी तुल्य है; [QE][QS2]दुष्ट के विचारों का कोई मूल्य नहीं होता. [QE][PBR]
21. [QS]धर्मी के उद्गार अनेकों को तृप्‍त कर देते हैं, [QE][QS2]किंतु बोध के अभाव में ही मूर्ख मृत्यु का कारण हो जाते हैं. [QE][PBR]
22. [QS]याहवेह की कृपादृष्टि समृद्धि का मर्म है. [QE][QS2]वह इस कृपादृष्टि में दुःख को नहीं मिलाता. [QE][PBR]
23. [QS]जैसे अनुचित कार्य करना मूर्ख के लिए हंसी का विषय है, [QE][QS2]वैसे ही बुद्धिमान के समक्ष विद्वत्ता आनंद का विषय है. [QE][PBR]
24. [QS]जो आशंका दुष्ट के लिए भयास्पद होती है, वही उस पर घटित हो जाती है; [QE][QS2]किंतु धर्मी की मनोकामना पूर्ण होकर रहती है. [QE][PBR]
25. [QS]बवंडर के निकल जाने पर दुष्ट शेष नहीं रह जाता, [QE][QS2]किंतु धर्मी चिरस्थायी बना रहता है. [QE][PBR]
26. [QS]आलसी संदेशवाहक अपने प्रेषक पर वैसा ही प्रभाव छोड़ता है, [QE][QS2]जैसा सिरका दांतों पर और धुआं नेत्रों पर. [QE][PBR]
27. [QS]याहवेह के प्रति श्रद्धा से आयु बढ़ती जाती है, [QE][QS2]किंतु थोड़े होते हैं दुष्ट के आयु के वर्ष. [QE][PBR]
28. [QS]धर्मी की आशा में आनंद का उद्घाटन होता है, [QE][QS2]किंतु दुर्जन की आशा निराशा में बदल जाती है. [QE][PBR]
29. [QS]निर्दोष के लिए याहवेह का विधान एक सुरक्षित आश्रय है, [QE][QS2]किंतु बुराइयों के निमित्त सर्वनाश. [QE][PBR]
30. [QS]धर्मी सदैव अटल और स्थिर बने रहते हैं, [QE][QS2]किंतु दुष्ट पृथ्वी पर निवास न कर सकेंगे. [QE][PBR]
31. [QS]धर्मी अपने बोलने में ज्ञान का संचार करते हैं, [QE][QS2]किंतु कुटिल की जीभ काट दी जाएगी. [QE][PBR]
32. [QS]धर्मी में यह सहज बोध रहता है, कि उसका कौन सा उद्गार स्वीकार्य होगा, [QE][QS2]किंतु दुष्ट के शब्द कुटिल विषय ही बोलते हैं. [QE][PBR]
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शलोमोन के बुद्धि सूत्र 1 शलोमोन के ज्ञान सूत्र निम्न लिखित हैं: बुद्धिमान संतान पिता के आनंद का विषय होती है, किंतु मूर्ख संतान माता के शोक का कारण. 2 बुराई द्वारा प्राप्‍त किया धन लाभ में वृद्धि नहीं करता, धार्मिकता मृत्यु से सुरक्षित रखती है. 3 याहवेह धर्मी व्यक्ति को भूखा रहने के लिए छोड़ नहीं देते, किंतु वह दुष्ट की लालसा पर अवश्य पानी फेर देते हैं. 4 निर्धनता का कारण होता है आलस्य, किंतु परिश्रमी का प्रयास ही उसे समृद्ध बना देता है. 5 बुद्धिमान है वह पुत्र, जो ग्रीष्मकाल में ही आहार संचित कर रखता है, किंतु वह जो फसल के दौरान सोता है वह एक अपमानजनक पुत्र है. 6 धर्मी आशीषें प्राप्‍त करते जाते हैं, किंतु दुष्ट में हिंसा ही समाई रहती है. 7 धर्मी का जीवन ही आशीर्वाद-स्वरूप स्मरण किया जाता है,* उत्प 48:20 किंतु दुष्ट का नाम ही मिट जाता है. 8 बुद्धिमान आदेशों को हृदय से स्वीकार करेगा, किंतु बकवादी मूर्ख विनष्ट होता जाएगा. 9 जिस किसी का चालचलन सच्चाई का है, वह सुरक्षित है, किंतु वह, जो कुटिल मार्ग अपनाता है, पकड़ा जाता है. 10 जो कोई आंख मारता है, वह समस्या उत्पन्‍न कर देता है, किंतु बकवादी मूर्ख विनष्ट हो जाएगा. 11 धर्मी के मुख से निकले वचन जीवन का सोता हैं, किंतु दुष्ट अपने मुख में हिंसा छिपाए रहता है. 12 घृणा कलह की जननी है, किंतु प्रेम सभी अपराधों पर आवरण डाल देता है. 13 समझदार व्यक्ति के होंठों पर ज्ञान का वास होता है, किंतु अज्ञानी के लिए दंड ही निर्धारित है. 14 बुद्धिमान ज्ञान का संचयन करते हैं, किंतु मूर्ख की बातें विनाश आमंत्रित करती है. 15 धनी व्यक्ति के लिए उसका धन एक गढ़ के समान होता है, किंतु निर्धन की गरीबी उसे ले डूबती है. 16 धर्मी का ज्ञान उसे जीवन प्रदान करता है, किंतु दुष्ट की उपलब्धि होता है पाप. 17 जो कोई सावधानीपूर्वक शिक्षा का चालचलन करता है, वह जीवन मार्ग पर चल रहा होता है, किंतु जो ताड़ना की अवमानना करता है, अन्यों को भटका देता है. 18 वह, जो घृणा को छिपाए रहता है, झूठा होता है और वह व्यक्ति मूर्ख प्रमाणित होता है, जो निंदा करता फिरता है. 19 जहां अधिक बातें होती हैं, वहां अपराध दूर नहीं रहता, किंतु जो अपने मुख पर नियंत्रण रखता है, वह बुद्धिमान है. 20 धर्मी की वाणी उत्कृष्ट चांदी तुल्य है; दुष्ट के विचारों का कोई मूल्य नहीं होता. 21 धर्मी के उद्गार अनेकों को तृप्‍त कर देते हैं, किंतु बोध के अभाव में ही मूर्ख मृत्यु का कारण हो जाते हैं. 22 याहवेह की कृपादृष्टि समृद्धि का मर्म है. वह इस कृपादृष्टि में दुःख को नहीं मिलाता. 23 जैसे अनुचित कार्य करना मूर्ख के लिए हंसी का विषय है, वैसे ही बुद्धिमान के समक्ष विद्वत्ता आनंद का विषय है. 24 जो आशंका दुष्ट के लिए भयास्पद होती है, वही उस पर घटित हो जाती है; किंतु धर्मी की मनोकामना पूर्ण होकर रहती है. 25 बवंडर के निकल जाने पर दुष्ट शेष नहीं रह जाता, किंतु धर्मी चिरस्थायी बना रहता है. 26 आलसी संदेशवाहक अपने प्रेषक पर वैसा ही प्रभाव छोड़ता है, जैसा सिरका दांतों पर और धुआं नेत्रों पर. 27 याहवेह के प्रति श्रद्धा से आयु बढ़ती जाती है, किंतु थोड़े होते हैं दुष्ट के आयु के वर्ष. 28 धर्मी की आशा में आनंद का उद्घाटन होता है, किंतु दुर्जन की आशा निराशा में बदल जाती है. 29 निर्दोष के लिए याहवेह का विधान एक सुरक्षित आश्रय है, किंतु बुराइयों के निमित्त सर्वनाश. 30 धर्मी सदैव अटल और स्थिर बने रहते हैं, किंतु दुष्ट पृथ्वी पर निवास न कर सकेंगे. 31 धर्मी अपने बोलने में ज्ञान का संचार करते हैं, किंतु कुटिल की जीभ काट दी जाएगी. 32 धर्मी में यह सहज बोध रहता है, कि उसका कौन सा उद्गार स्वीकार्य होगा, किंतु दुष्ट के शब्द कुटिल विषय ही बोलते हैं.
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